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*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया।
*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया।
*इस संशोधन द्वारा [[संसद]] सदस्यों और राज्य विधानमंडलों से त्यागपत्र दिए जाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए अनुच्छेद 101 तथा 120 में संशोधन किया गया।
*इस संशोधन द्वारा [[संसद]] सदस्यों और राज्य विधानमंडलों से त्यागपत्र दिए जाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए अनुच्छेद 101 तथा 120 में संशोधन किया गया।
*संशोधन अनुच्छेद में यह उपबंधित है कि संसद और राज्य-विधानमण्डलों के सदस्यों द्वारा दिये गये त्यागपत्र को स्पीकर तभी स्वीकार करेगा यदि उसे इस बात का समाधान हो जाए कि त्यागपत्र स्वेच्छा से दिया गया है।
*संशोधन अनुच्छेद में यह उपबंधित है कि संसद और राज्य-विधानमण्डलों के सदस्यों द्वारा दिये गये त्यागपत्र को अध्यक्ष (स्पीकर) तभी स्वीकार करेगा यदि उसे इस बात का समाधान हो जाए कि त्यागपत्र स्वेच्छा से दिया गया है।
*यदि उसे विश्वास हो जाए कि त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं है या धमकी के कारण दिया गया है तो वह उसे स्वीकार नहीं करेगा।
*यदि उसे विश्वास हो जाए कि त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं है या धमकी के कारण दिया गया है तो वह उसे स्वीकार नहीं करेगा।
*मूल अनुच्छेद के अनुसार ऐसे त्यागपत्र स्पीकर को दिये जाने पर स्वत: प्रभावी हो जाते थे।
*मूल अनुच्छेद के अनुसार ऐसे त्यागपत्र अध्यक्ष (स्पीकर) को दिये जाने पर स्वत: प्रभावी हो जाते थे।


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07:41, 31 अगस्त 2011 का अवतरण

भारत का संविधान (33वाँ संशोधन) अधिनियम, 1974

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • इस संशोधन द्वारा संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडलों से त्यागपत्र दिए जाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए अनुच्छेद 101 तथा 120 में संशोधन किया गया।
  • संशोधन अनुच्छेद में यह उपबंधित है कि संसद और राज्य-विधानमण्डलों के सदस्यों द्वारा दिये गये त्यागपत्र को अध्यक्ष (स्पीकर) तभी स्वीकार करेगा यदि उसे इस बात का समाधान हो जाए कि त्यागपत्र स्वेच्छा से दिया गया है।
  • यदि उसे विश्वास हो जाए कि त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं है या धमकी के कारण दिया गया है तो वह उसे स्वीकार नहीं करेगा।
  • मूल अनुच्छेद के अनुसार ऐसे त्यागपत्र अध्यक्ष (स्पीकर) को दिये जाने पर स्वत: प्रभावी हो जाते थे।


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