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'''भारत का संविधान (57वाँ संशोधन) अधिनियम,1987'''
'''भारत का संविधान (58वाँ संशोधन) अधिनियम,1987'''
*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया।
*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया।
*संविधान (51 संशोधन) अधिनियम, 1984 [[लोकसभा]] में [[नागालैंड]], [[मेघालय]], [[मिजोरम]] और [[अरुणाचल प्रदेश]] की अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित करने तथा संविधान के अनुच्छेद 330 व 332 को समुचित प्रकार से संशोधित करके नागालैंड और मेघालय की विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
*[[हिन्दी]] में संविधान के प्राधिकृत पाठ की मागँ सामान्यत: रही है।
*यद्यपि ये क्षेत्र जनजाति-बहुल हैं, तथापि इस संशोधन का उद्देश्य यह था कि इस क्षेत्र में रहने वाली जनजातियाँ अपना न्यूनतम प्रतिनिधित्व तो कर ही सकें, क्योंकि वे विकसित वर्ग के लोगों के साथ चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं हैं।
*विधि प्रक्रिया में संविधान का आसानी से प्रयोग किया जा सके, इसके लिए आवश्यक है कि इसका हिन्दी पाठ भी प्राधिकृत हो।
*यद्यपि संविधान (51 संशोधन) अधिनियम औपचारिक रूप से प्रभावी था, फिर भी यह पूरी तरह से तब तक लागू नहीं हो सकता था, जब तक यह निर्धारित न हो जाए कि इन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के लिए किन-किन स्थानों का आरक्षण करना है।
*संविधान का कोई भी हिन्दी संस्करण न केवल संवैधानिक सभा द्वारा प्रकाशित हिन्दी अनुवाद के अनुरूप हो, बल्कि हिन्दी में केंद्रीय अधिनियमों के प्रधिकृत पाठों की भाषा, शैली शब्दावली के भी अनुरूप हो।
*किसी भी राज्य में अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 332 के अंतर्गत संविधान के अनुच्छेद 332(3) के प्रावधानों को ध्यान में रखकर ही निर्धारित किया जाता है, किंतु उत्तर-पूर्वी राज्यों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, इन राज्यों की अनुसूचित जनजातियों के विकास अन्य संबंधित बातों पर विचार करके यह जरूरी समझा गया कि इन क्षेत्रों में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण के लिए विशेष प्रावधान किए जाएँ, ताकि ये लोग भी, जैसा कि संविधान में संकल्पना की गई है, सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।
*संविधान को संशोधित करके [[राष्ट्रपति]] को यह शक्ति प्रदत्त की गई है कि वह अपने प्राधिकार के तहत संविधान के हिन्दी अनुवाद को, जिस पर संवैधानिक सभा के सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए हुए हैं तथा जिनमें उन सभी परिवर्तनों को शामिल कर लिया गया है जिससे यह हिन्दी भाषा के केंद्रीय अधिनियमों के प्राधिकृत पाठों की भाषा, शैली व शब्दावली के अनुरूप हो, प्रकाशित करा सकें।
*संविधान के अनुच्छेद 332 को अस्थाई प्रावधान बनाने के लिए फिर से संशोधित किया गया, जिससे अनुच्छेद 170 के अंतर्गत वर्ष 2000 के बाद पहली  जनगणना के आधार पर अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण का पून: निर्धारण किया जा सके।
*राष्ट्रपति को यह शक्ति भी प्रदत्त की गई है कि वह संविधान में किए गए प्रत्येक अंग्रेज़ी संशोधन का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करवाएँ।
*इस संशोधन में यह इच्छा व्यक्त की गई कि यदि ऐसे राज्यों की विधानसभाओं (जो संशोधित अधिनियम के लागू होने की तिथि पर अस्तित्व में थीं) में सभी स्थान अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा अधिग्रहीत किए गए हों, तो एक को छोड़कर सभी स्थान अनुसूचित जनजातीयों के लिए आरक्षित किए जाएँ तथा अन्य किसी मामले में जहाँ पर स्थानों की संख्या कुल संख्या के बराबर हो, एक ऐसा अनुपात हो जिसमें मौजूदा विधानसभा के सदस्यों की संख्या मौजूदा विधानसभा के कूल सदस्यों की संख्या के बराबर हो।
*यह अधिनियम इन उद्देश्यों को प्राप्त करता है।





09:52, 31 अगस्त 2011 का अवतरण

भारत का संविधान (58वाँ संशोधन) अधिनियम,1987

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • हिन्दी में संविधान के प्राधिकृत पाठ की मागँ सामान्यत: रही है।
  • विधि प्रक्रिया में संविधान का आसानी से प्रयोग किया जा सके, इसके लिए आवश्यक है कि इसका हिन्दी पाठ भी प्राधिकृत हो।
  • संविधान का कोई भी हिन्दी संस्करण न केवल संवैधानिक सभा द्वारा प्रकाशित हिन्दी अनुवाद के अनुरूप हो, बल्कि हिन्दी में केंद्रीय अधिनियमों के प्रधिकृत पाठों की भाषा, शैली व शब्दावली के भी अनुरूप हो।
  • संविधान को संशोधित करके राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदत्त की गई है कि वह अपने प्राधिकार के तहत संविधान के हिन्दी अनुवाद को, जिस पर संवैधानिक सभा के सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए हुए हैं तथा जिनमें उन सभी परिवर्तनों को शामिल कर लिया गया है जिससे यह हिन्दी भाषा के केंद्रीय अधिनियमों के प्राधिकृत पाठों की भाषा, शैली व शब्दावली के अनुरूप हो, प्रकाशित करा सकें।
  • राष्ट्रपति को यह शक्ति भी प्रदत्त की गई है कि वह संविधान में किए गए प्रत्येक अंग्रेज़ी संशोधन का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करवाएँ।


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