"कथनी-करणी का अंग -कबीर": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
<poem> | <poem> | ||
जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल । | जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल । | ||
पारब्रह्म नेड़ा रहै, पल में करै निहाल | पारब्रह्म नेड़ा रहै, पल में करै निहाल ॥ | ||
पद गाए मन हरषियां, साषी कह्यां अनंद । | पद गाए मन हरषियां, साषी कह्यां अनंद । | ||
सो तत नांव न जाणियां, गल में पड़िया फंद | सो तत नांव न जाणियां, गल में पड़िया फंद ॥ | ||
मैं जाण्यूं पढिबौ भलो, पढ़बा थैं भलौ जोग । | मैं जाण्यूं पढिबौ भलो, पढ़बा थैं भलौ जोग । | ||
राम-नाम सूं प्रीति करि, भल भल नींदौ लोग | राम-नाम सूं प्रीति करि, भल भल नींदौ लोग ॥ | ||
`कबीर' पढ़िबो दूरि करि, पुस्तक देइ बहाइ । | `कबीर' पढ़िबो दूरि करि, पुस्तक देइ बहाइ । | ||
बावन आषिर सोधि करि, `ररै' `ममै' चित्त लाइ | बावन आषिर सोधि करि, `ररै' `ममै' चित्त लाइ ॥ | ||
पोथी पढ़ पढ़ जग मुवा, पंडित भया न कोय । | पोथी पढ़ पढ़ जग मुवा, पंडित भया न कोय । | ||
ऐकै आषिर पीव का, पढ़ै सो पंडित होइ | ऐकै आषिर पीव का, पढ़ै सो पंडित होइ ॥ | ||
करता दीसै कीरतन, ऊँचा करि-करि तुंड । | करता दीसै कीरतन, ऊँचा करि-करि तुंड । | ||
जानें-बूझै कुछ नहीं, यौंहीं आंधां रूंड | जानें-बूझै कुछ नहीं, यौंहीं आंधां रूंड ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} |
10:30, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण
| ||||||||||||||||||||
|
जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल । |
संबंधित लेख