"बहुरि नहिं आवना या देस -कबीर": अवतरणों में अंतर
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बहुरि नहिं आवना या देस ॥ | बहुरि नहिं आवना या देस ॥ | ||
जो जो गए बहुरि नहि आए, पठवत नाहिं | जो जो गए बहुरि नहि आए, | ||
सुर नर मुनि अरु पीर औलिया, देवी देव गनेस | पठवत नाहिं सेस ॥1॥ | ||
धरि धरि जनम सबै भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस | |||
जोगी जङ्गम औ संन्यासी, दीगंबर दरवेस | सुर नर मुनि अरु पीर औलिया, | ||
चुंडित, मुंडित पंडित लोई, सरग रसातल सेस | देवी देव गनेस ॥2॥ | ||
ज्ञानी, गुनी, चतुर अरु कविता, राजा रंक नरेस | |||
कोइ राम कोइ रहिम बखानै, कोइ कहै आदेस | धरि धरि जनम सबै, | ||
नाना भेष बनाय सबै मिलि ढूऊंढि फिरें चहुँ देस | भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस ॥3॥ | ||
कहै कबीर अंत ना पैहो, बिन सतगुरु उपदेश | |||
जोगी जङ्गम औ संन्यासी, | |||
दीगंबर दरवेस ॥4॥ | |||
चुंडित, मुंडित पंडित लोई, | |||
सरग रसातल सेस ॥5॥ | |||
ज्ञानी, गुनी, चतुर अरु कविता, | |||
राजा रंक नरेस ॥6॥ | |||
कोइ राम कोइ रहिम बखानै, | |||
कोइ कहै आदेस ॥7॥ | |||
नाना भेष बनाय सबै, | |||
मिलि ढूऊंढि फिरें चहुँ देस ॥8॥ | |||
कहै कबीर अंत ना पैहो, | |||
बिन सतगुरु उपदेश ॥9॥ | |||
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09:12, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण
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बहुरि नहिं आवना या देस ॥ |
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