"अपापापुर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*अपापापुर [[बिहार शरीफ़]] स्टेशन से 9 मील पर स्थित है।  
*अपापापुर [[बिहार शरीफ़]] स्टेशन से 9 मील पर स्थित है।  
*अंतिम जैन तीर्थकर [[महावीर]] के मृत्युस्थान के रूप में यह स्थान इतिहास-प्रसिद्ध है।  
*अंतिम [[जैन तीर्थंकर|जैन तीर्थकर]] [[महावीर]] के मृत्युस्थान के रूप में यह स्थान इतिहास-प्रसिद्ध है।  
*महावीर की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में अपापापुर के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी।  
*महावीर की मृत्यु 72 [[वर्ष]] की आयु में अपापापुर के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी।  
*उस दिन कार्तिकमास के [[कृष्णपक्ष]] की अमावस्या थी।  
*उस दिन [[कार्तिक मास|कार्तिकमास]] के [[कृष्णपक्ष]] की [[अमावस्या]] थी।  
*विविध तीर्थकल्प के अनुसार अंतिम [[जिन]] या तीर्थकर महावीर की वाणी इस स्थान के निकट स्थित एक पहाड़ी की गुफा में गूंजती थीं इस जैन ग्रन्थ के अनुसार महावीर जृंभिका से महासेन वन में आए थे।
*विविध तीर्थकल्प के अनुसार अंतिम [[जिन]] या तीर्थकर महावीर की वाणी इस स्थान के निकट स्थित एक पहाड़ी की गुफा में गूंजती थीं इस जैन ग्रन्थ के अनुसार महावीर जृंभिका से महासेन वन में आए थे।
*यहां उन्होंनें दो दिन के [[उपवास]] के पश्चात् अपना अंतिम उपदेश दिया और राजा हस्तिकाल के करागृह में पहुंच कर निर्वांण प्राप्त किया।
*यहां उन्होंनें दो [[दिन]] के [[उपवास]] के पश्चात् अपना अंतिम उपदेश दिया और राजा हस्तिकाल के करागृह में पहुंच कर निर्वांण प्राप्त किया।


{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[पावापुरी]]
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[पावापुरी]]

10:44, 29 अप्रैल 2018 का अवतरण

  • अपापापुर बिहार शरीफ़ स्टेशन से 9 मील पर स्थित है।
  • अंतिम जैन तीर्थकर महावीर के मृत्युस्थान के रूप में यह स्थान इतिहास-प्रसिद्ध है।
  • महावीर की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में अपापापुर के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी।
  • उस दिन कार्तिकमास के कृष्णपक्ष की अमावस्या थी।
  • विविध तीर्थकल्प के अनुसार अंतिम जिन या तीर्थकर महावीर की वाणी इस स्थान के निकट स्थित एक पहाड़ी की गुफा में गूंजती थीं इस जैन ग्रन्थ के अनुसार महावीर जृंभिका से महासेन वन में आए थे।
  • यहां उन्होंनें दो दिन के उपवास के पश्चात् अपना अंतिम उपदेश दिया और राजा हस्तिकाल के करागृह में पहुंच कर निर्वांण प्राप्त किया।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- पावापुरी

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख