"सहसराम": अवतरणों में अंतर
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*यह भवन अठकोण है। इसमें एक बाहरी बरामदा है। गुंबद भीतरी दीवारों पर आधृत है। मक़बरे के चारों ओर एक वर्गाकार चबूतरा है, जिसके कोनों पर छोटे-छोटे मंडप बने हुए हैं। गुंबद के शीर्ष के चतुर्दिक अठकोण स्तंभाकार रचनाएँ हैं, जिससे मक़बरे की बहीरेखा की सुंदरता द्विगणित हो जाती है। | |||
*यह भवन अठकोण है। इसमें एक बाहरी बरामदा है। गुंबद भीतरी दीवारों पर आधृत है। मक़बरे के चारों ओर एक वर्गाकार चबूतरा है जिसके कोनों पर छोटे-छोटे मंडप बने हुए हैं। गुंबद के शीर्ष के चतुर्दिक अठकोण स्तंभाकार रचनाएँ हैं जिससे | *सहसराम के पूर्व की ओर चंदनपीर की पहाड़ी की एक गुफ़ा में [[अशोक]] का लघु [[अशोक के शिलालेख|शिलालेख]] संख्या-1 उत्कीर्ण है। | ||
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06:44, 9 अक्टूबर 2014 का अवतरण
सहसराम बिहार के शाहाबाद ज़िले में स्थित है। इसका आधुनिक नाम सासाराम है। सहसराम में दिल्ली के सुलतान शेरशाह सूरी (1540-1545 ई.) तथा उसके पिता का मक़बरा स्थित है।
- शेरशाह का जन्म स्थान सहसराम ही है। उसका मक़बरा एक विस्तीर्ण तड़ाग के अन्दर बना है।
- यह भवन अठकोण है। इसमें एक बाहरी बरामदा है। गुंबद भीतरी दीवारों पर आधृत है। मक़बरे के चारों ओर एक वर्गाकार चबूतरा है, जिसके कोनों पर छोटे-छोटे मंडप बने हुए हैं। गुंबद के शीर्ष के चतुर्दिक अठकोण स्तंभाकार रचनाएँ हैं, जिससे मक़बरे की बहीरेखा की सुंदरता द्विगणित हो जाती है।
- सहसराम के पूर्व की ओर चंदनपीर की पहाड़ी की एक गुफ़ा में अशोक का लघु शिलालेख संख्या-1 उत्कीर्ण है।
इन्हें भी देखें: सासाराम
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