"छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-5": अवतरणों में अंतर

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*इस अध्याय में 'प्राण' की सर्वश्रेष्ठता एवं पंचाग्नि विद्या का विशद वर्णन किया गया है।  
*इस अध्याय में 'प्राण' की सर्वश्रेष्ठता एवं पंचाग्नि विद्या का विशद वर्णन किया गया है।  
*साथ ही अग्नि का महत्त्व, जीव की गति, 'आत्मा' पर सत्यकाम जाबाल, श्वेतकेतु और प्रवाहण का संवाद तथा जीवन-जगत के गूढ़तम विषयों का सरल भाष्य प्रस्तुत किया गया है।  
*साथ ही अग्नि का महत्त्व, जीव की गति, 'आत्मा' पर [[जाबाल|सत्यकाम जाबाल]], श्वेतकेतु और प्रवाहण का संवाद तथा जीवन-जगत के गूढ़तम विषयों का सरल भाष्य प्रस्तुत किया गया है।  
*जो इस प्रकार है:-
*जो इस प्रकार है:-
**[[छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-5 खण्ड-1|प्रथम खण्ड]]
**[[छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-5 खण्ड-1|प्रथम खण्ड]]

12:43, 14 जनवरी 2013 का अवतरण

इस अध्याय में चौबीस खण्ड हैं।


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