"जया बच्चन": अवतरणों में अंतर

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====बचपन====  
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जया बचपन से ही जिद्दी स्वभाव की थीं। उन्हें जो चाहिए, वह हासिल कर छोड़ती थीं। वे [[भोपाल]] के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट में पढ़ती थीं। खेलकूद में भी वे शिरकत करती थीं और 1966 में उन्हें [[प्रधानमंत्री]] के हाथों एन.सी.सी. की बेस्ट कैडेट होने का तमगा मिला था। उन्होंने छःसाल तक [[भरतनाट्यम]] का प्रशिक्षण भी लिया था। वे [[दिलीप कुमार]] की फेन थीं।
जया बचपन से ही जिद्दी स्वभाव की थीं। उन्हें जो चाहिए, वह हासिल कर छोड़ती थीं। वे [[भोपाल]] के 'सेंट जोसेफ कॉन्वेंट' में पढ़ती थीं। खेलकूद में भी वे शिरकत करती थीं और 1966 में उन्हें [[प्रधानमंत्री]] के हाथों एन.सी.सी. की बेस्ट कैडेट होने का तमगा मिला था। उन्होंने छः साल तक [[भरतनाट्यम]] का प्रशिक्षण भी लिया था। वे [[दिलीप कुमार]] की प्रशंसक हैं।
====शिक्षा====  
====शिक्षा====  
हायर सेकंडरी पास करने के बाद जया ने [[पुणे]] के फिल्म इंस्टीट्यूट में प्रवेश लिया था, लेकिन इससे पहले ही वे [[सत्यजीत राय]] की फिल्म 'महानगर' में काम कर चुकी थीं। फिल्म निर्माता-निर्देशक तपन सिन्हा, तरुण कुमार के अच्छे दोस्तों में थे। उनकी फिल्म 'क्षुधित पाषाण' की जब भोपाल में शूटिंग हुई थी, तब सारी व्यवस्था तरुण कुमार ने की थी। सिन्हा, तरुण कुमार को भाग्यवान (लकी) आदमी मानते थे और अपनी शूटिंग के समय अक्सर उन्हें अपने पास बुलाया करते थे। इसीलिए 'निर्जन सैकते' की आउटडोर शूटिंग के समय उन्होंने अपने मित्र को पुरी बुलाया था। यह 1962 का साल था। पिताजी के साथ जया भी पुरी गई थीं। वे होटल 'बे-व्यू' में ठहरे थे, जहाँ शर्मिला टैगोर और रवि घोष से भी उनकी मुलाकात हुई थी।<ref name="wbd"/>  
हायर सेकंडरी पास करने के बाद जया ने [[पुणे]] के 'फिल्म इंस्टीट्यूट' में प्रवेश लिया था, लेकिन इससे पहले ही वे [[सत्यजीत राय]] की फिल्म 'महानगर' में काम कर चुकी थीं। फिल्म निर्माता-निर्देशक तपन सिन्हा, तरुण कुमार के अच्छे दोस्तों में थे। उनकी फिल्म 'क्षुधित पाषाण' की जब भोपाल में शूटिंग हुई थी, तब सारी व्यवस्था तरुण कुमार ने की थी। सिन्हा, तरुण कुमार को भाग्यवान (लकी) आदमी मानते थे और अपनी शूटिंग के समय अक्सर उन्हें अपने पास बुलाया करते थे। इसीलिए 'निर्जन सैकते' की आउटडोर शूटिंग के समय उन्होंने अपने मित्र को पुरी बुलाया था। यह 1962 का साल था। पिताजी के साथ जया भी पुरी गई थीं। वे होटल 'बे-व्यू' में ठहरे थे, जहाँ शर्मिला टैगोर और रवि घोष से भी उनकी मुलाकात हुई थी।<ref name="wbd"/>  


==अभिनय की शुरूआत==
==अभिनय की शुरूआत==
जया इंस्टीट्यूट में पढ़ रही थीं कि बासु चटर्जी अपनी फिल्म में काम करने के लिए उनसे बात करने आए थे। चटर्जी से जया ने कहा था कि कोर्स पूरा करने से पहले कोई भी छात्र फिल्म में काम नहीं कर सकता, ऐसा नियम है। तब चटर्जी ने जया से कहा था कि उनके जैसी कलाकार के लिए इंस्टीट्यूट की पढ़ाई का कोई महत्व नहीं है। छोड़ दो कोर्स। लेकिन जया ने ऐसा नहीं किया था। बासु चटर्जी ने भी उनकी प्रतीक्षा नहीं की थी।  
जया इंस्टीट्यूट में पढ़ रही थीं कि बासु चटर्जी अपनी फिल्म में काम करने के लिए उनसे बात करने आए थे। चटर्जी से जया ने कहा था कि कोर्स पूरा करने से पहले कोई भी छात्र फिल्म में काम नहीं कर सकता, ऐसा नियम है। तब चटर्जी ने जया से कहा था कि उनके जैसी कलाकार के लिए इंस्टीट्यूट की पढ़ाई का कोई महत्व नहीं है। छोड़ दो कोर्स। लेकिन जया ने ऐसा नहीं किया था। बासु चटर्जी ने भी उनकी प्रतीक्षा नहीं की थी।  
====पहली फ़िल्म====
====पहली फ़िल्म====
जगत मुरारी जब फिल्म इंस्टीट्यूट के प्रधानाचार्य थे, तब ऋषिकेश मुखर्जी ने उनसे कहा था कि 'गुड्डी' फिल्म के लिए एक अच्छी लड़की चाहिए। जगत मुरारी ने कहा था- जया है ना, जया भादुड़ी। ऋषिदा को अचानक उनका स्मरण हो आया और उन्होंने कहा- जया आदर्श गुड्डी बनेगी। वह जैसे ही पास हो जाए, मैं 'गुड्डी' का काम शुरू कर दूँगा। 15 अगस्त 1970 को भोपाल में भादुड़ी परिवार में पहली बार 'फ्रिज' आया। 16 अगस्त को जया ने मुंबई की गाड़ी पकड़ी और 18 अगस्त को मोहन स्टूडियो में 'गुड्डी' की शूटिंग शुरू हो गई। गुड्डी के सेट पर ही [[अमिताभ बच्चन]], जलाल आगा और अनवर अली से जया की मुलाकात हुई थी। 'गुड्डी' के सेट पर जया को हमेशा यह लगता रहता था कि यह तिकड़ी कोड-लेंग्वेज में मेरे बारे में ही बातें करती रहती है। मिथुन चक्रवर्ती, अमित और जया की जोड़ी को मेड फॉर इच अदर (एक-दूजे के लिए) कहते हैं।<ref name="wbd"/>  
जगत मुरारी जब फिल्म इंस्टीट्यूट के प्रधानाचार्य थे, तब ऋषिकेश मुखर्जी ने उनसे कहा था कि 'गुड्डी' फिल्म के लिए एक अच्छी लड़की चाहिए। जगत मुरारी ने कहा था- 'जया है ना, जया भादुड़ी।' ऋषिदा को अचानक उनका स्मरण हो आया और उन्होंने कहा- 'जया आदर्श गुड्डी बनेगी। वह जैसे ही पास हो जाए, मैं 'गुड्डी' का काम शुरू कर दूँगा।' 16 अगस्त 1970 को जया ने [[मुंबई]] की गाड़ी पकड़ी और 18 अगस्त को मोहन स्टूडियो में 'गुड्डी' की शूटिंग शुरू हो गई। गुड्डी के सेट पर ही [[अमिताभ बच्चन]], जलाल आगा और अनवर अली से जया की मुलाकात हुई थी। 'गुड्डी' के सेट पर जया को हमेशा यह लगता रहता था कि यह तिकड़ी कोड-लेंग्वेज में मेरे बारे में ही बातें करती रहती है। मिथुन चक्रवर्ती, अमित और जया की जोड़ी को 'मेड फॉर इच अदर' (एक-दूजे के लिए) कहते हैं।<ref name="wbd"/>  


==अमिताभ और जया==
==अमिताभ और जया==
जया और अमिताभ का परिचय ऋषिकेश मुखर्जी ने अपनी फिल्म 'गुड्डी' के सेट पर कराया था। अभिमान फिल्म के बाद अमिताभ और जया ने जिंदगी भर साथ चलने का फैसला किया था और [[शोले]] फिल्म साइन करने के बाद दोनों ने शादी कर ली। अमिताभ और जया [[3 जून]] 1973 को बंगाली रीति-रिवाज से शादी के बंधन में बंध गए। जया और अमिताभ पहली बार पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट में मिले थे। जया कहती हैं कि मैंने पहली बार अमित जी को इंस्टीट्यूट में देखा और पसंद करने लगी। मेरे दोस्तों ने कहा कि वो एक स्टिक की तरह लगते हैं। वो काफी पतले थे और उनकी आंखें काफी बड़ी-बड़ी थीं। मुझे याद है कि इस बात पर मैं अपने दोस्तों से काफी लड़ी थी और कहा था कि वो काफी अलग हैं। शायद ये पहली नजर का प्यार था। उसके बाद ये मुलाकात, कई और मुलाकातों का सबब बनी लेकिन दोनों कैसे करीब आए, इसे दोनों ने जमाने से छुपाए रखा। चुपके-चुपके, गुड्डी, बावर्ची, सिलसिला, अभिमान, मिली, खामोश, कभी खुशी कभी गम में दोनों की ऑन स्क्रीन कैमिस्ट्री बेमिसाल रही है।<ref>{{cite web |url=http://khabar.ibnlive.in.com/news/41440/6 |title=शोले साइन करने के बाद अमिताभ-जया ने की शादी |accessmonthday=16 दिसंबर |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=|publisher=आई.बी.एन. खबर |language=हिन्दी}}</ref>  
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[[चित्र:Amitabh-Jaya-Marriage.jpg|thumb|[[अमिताभ बच्चन|अमिताभ]] और जया बच्चन शादी के दौरान|250px]]
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1972 से 1981 तक जया ने अमिताभ बच्चन के साथ कुल आठ फिल्में की हैं। ये हैं-  
1972 से 1981 तक जया ने अमिताभ बच्चन के साथ कुल आठ फिल्में की हैं। ये हैं-  
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# सिलसिला।  
# सिलसिला।  
इसके बाद वे 'कभी खुशी-कभी गम' में भी वे साथ-साथ आए थे।  
इसके बाद वे 'कभी खुशी-कभी गम' में भी वे साथ-साथ आए थे।  
==करियर==  
==कैरियर==  
श्रीमती अमिताभ बच्चन बनने के बाद अपनी पृथक पहचान बनाए रखना लगभग असंभव था, लेकिन जया ने इसे संभव कर दिखाया। इसे उनके व्यक्तित्व की विशिष्टता कहा जा सकता है। अपनी पहली हिन्दी फिल्म 'गुड्डी' में उन्होंने अभिनेता [[धर्मेन्द्र]] की दीवानी-लड़की की भूमिका की थी, जबकि दूसरी फिल्म राजश्री की 'उपहार' में ऐसी अल्हड़ लड़की का रोल किया था, जो प्रेम और शादी का अर्थ नहीं समझती है। इन दो फिल्मों के बाद ही उन्हें संजीदा अभिनेत्री के रूप में मान्यता मिल गई। महिला दर्शकों ने जया को सादगी की साक्षात मूर्ति के रूप में ज्यादा सराहा, लेकिन ग्लैमरस भूमिकाओं में (दिल दीवाना) नकार दिया। अपने अपेक्षाकृत छोटे-से करियर में जया ने 'जवानी दीवानी, अनामिका, कोरा काग़ज़, कोशिश, पिया का घर, बावर्ची, गाय और गौरी, मन का आँगन, नौकर, नया दिन-नई रात, परिचय, फागुन, समाधि और शोर जैसी सात्विक फिल्मों में काम किया।<ref name="wbd"/>  
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12:59, 16 दिसम्बर 2011 का अवतरण

जया बच्चन
जया बच्चन
जया बच्चन
पूरा नाम जया भादुड़ी बच्चन
प्रसिद्ध नाम जया बच्चन
जन्म 9 अप्रैल, 1950
जन्म भूमि जबलपुर, मध्य प्रदेश
पति/पत्नी अमिताभ बच्चन
संतान पुत्र अभिषेक बच्चन और पुत्री श्वेता नंदा
कर्म भूमि मुंबई
कर्म-क्षेत्र अभिनेत्री, राजनीतिज्ञ
मुख्य फ़िल्में जंजीर, अभिमान, चुपके-चुपके, मिली, शोले, सिलसिला, कोरा काग़ज़, कोशिश, फ़िज़ा आदि
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 6 बार फिल्मफेयर पुरस्कार (तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और तीन बार सहायक अभिनेत्री)
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी जया बच्चन कई वर्षों तक चिल्ड्रन्स फिल्म सोसायटी की अध्यक्ष रह चुकी हैं।
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जया बच्चन (जन्म का नाम- जया भादुड़ी) एक प्रसिद्ध अभिनेत्री और राज्यसभा की सदस्य हैं। जया भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन की पत्नी और अभिनेता अभिषेक बच्चन की माँ है। अभिनेत्री के रूप में जया की भी अपनी विशिष्ट उपलब्धियाँ रही हैं और वे फिल्म क्षेत्र की आदरणीय अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं। आज के अनेक युवा कलाकारों के लिए वे मातृवत स्नेह का झरना हैं।

जीवन परिचय

जन्म और परिवार

जया पत्रकार तरुण कुमार भादुड़ी की तीन पुत्रियों में सबसे बड़ी हैं। तरुण कुमार का वास्तविक नाम सुधांशु भूषण था। 1936 में उनके पिता देवीभूषण दिल्ली से स्थानांतरित होकर नागपुर पहुँचे थे। सुधांशु ने त्रिपुरी कांग्रेस में स्वयंसेवक की भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1944 में पटना की इंदिरा गोस्वामी से विवाह किया। जया का जन्म 9 अप्रैल 1950 को हुआ। जया की दो छोटी बहनों के नाम नीता और रीता हैं।[1]

बचपन

जया बचपन से ही जिद्दी स्वभाव की थीं। उन्हें जो चाहिए, वह हासिल कर छोड़ती थीं। वे भोपाल के 'सेंट जोसेफ कॉन्वेंट' में पढ़ती थीं। खेलकूद में भी वे शिरकत करती थीं और 1966 में उन्हें प्रधानमंत्री के हाथों एन.सी.सी. की बेस्ट कैडेट होने का तमगा मिला था। उन्होंने छः साल तक भरतनाट्यम का प्रशिक्षण भी लिया था। वे दिलीप कुमार की प्रशंसक हैं।

शिक्षा

हायर सेकंडरी पास करने के बाद जया ने पुणे के 'फिल्म इंस्टीट्यूट' में प्रवेश लिया था, लेकिन इससे पहले ही वे सत्यजीत राय की फिल्म 'महानगर' में काम कर चुकी थीं। फिल्म निर्माता-निर्देशक तपन सिन्हा, तरुण कुमार के अच्छे दोस्तों में थे। उनकी फिल्म 'क्षुधित पाषाण' की जब भोपाल में शूटिंग हुई थी, तब सारी व्यवस्था तरुण कुमार ने की थी। सिन्हा, तरुण कुमार को भाग्यवान (लकी) आदमी मानते थे और अपनी शूटिंग के समय अक्सर उन्हें अपने पास बुलाया करते थे। इसीलिए 'निर्जन सैकते' की आउटडोर शूटिंग के समय उन्होंने अपने मित्र को पुरी बुलाया था। यह 1962 का साल था। पिताजी के साथ जया भी पुरी गई थीं। वे होटल 'बे-व्यू' में ठहरे थे, जहाँ शर्मिला टैगोर और रवि घोष से भी उनकी मुलाकात हुई थी।[1]

अभिनय की शुरूआत

जया इंस्टीट्यूट में पढ़ रही थीं कि बासु चटर्जी अपनी फिल्म में काम करने के लिए उनसे बात करने आए थे। चटर्जी से जया ने कहा था कि कोर्स पूरा करने से पहले कोई भी छात्र फिल्म में काम नहीं कर सकता, ऐसा नियम है। तब चटर्जी ने जया से कहा था कि उनके जैसी कलाकार के लिए इंस्टीट्यूट की पढ़ाई का कोई महत्व नहीं है। छोड़ दो कोर्स। लेकिन जया ने ऐसा नहीं किया था। बासु चटर्जी ने भी उनकी प्रतीक्षा नहीं की थी।

पहली फ़िल्म

जगत मुरारी जब फिल्म इंस्टीट्यूट के प्रधानाचार्य थे, तब ऋषिकेश मुखर्जी ने उनसे कहा था कि 'गुड्डी' फिल्म के लिए एक अच्छी लड़की चाहिए। जगत मुरारी ने कहा था- 'जया है ना, जया भादुड़ी।' ऋषिदा को अचानक उनका स्मरण हो आया और उन्होंने कहा- 'जया आदर्श गुड्डी बनेगी। वह जैसे ही पास हो जाए, मैं 'गुड्डी' का काम शुरू कर दूँगा।' 16 अगस्त 1970 को जया ने मुंबई की गाड़ी पकड़ी और 18 अगस्त को मोहन स्टूडियो में 'गुड्डी' की शूटिंग शुरू हो गई। गुड्डी के सेट पर ही अमिताभ बच्चन, जलाल आगा और अनवर अली से जया की मुलाकात हुई थी। 'गुड्डी' के सेट पर जया को हमेशा यह लगता रहता था कि यह तिकड़ी कोड-लेंग्वेज में मेरे बारे में ही बातें करती रहती है। मिथुन चक्रवर्ती, अमित और जया की जोड़ी को 'मेड फॉर इच अदर' (एक-दूजे के लिए) कहते हैं।[1]

अमिताभ और जया

जया और अमिताभ का परिचय ऋषिकेश मुखर्जी ने अपनी फिल्म 'गुड्डी' के सेट पर कराया था। अभिमान फिल्म के बाद अमिताभ और जया ने जिंदगी भर साथ चलने का फैसला किया था और शोले फिल्म साइन करने के बाद दोनों ने शादी कर ली। अमिताभ और जया 3 जून 1973 को बंगाली रीति-रिवाज से शादी के बंधन में बंध गए। जया और अमिताभ पहली बार पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट में मिले थे। जया कहती हैं कि मैंने पहली बार अमित जी को इंस्टीट्यूट में देखा और पसंद करने लगी। मेरे दोस्तों ने कहा कि वो एक स्टिक की तरह लगते हैं। वो काफी पतले थे और उनकी आंखें काफी बड़ी-बड़ी थीं। मुझे याद है कि इस बात पर मैं अपने दोस्तों से काफी लड़ी थी और कहा था कि वो काफी अलग हैं। शायद ये पहली नजर का प्यार था। उसके बाद ये मुलाकात, कई और मुलाकातों का सबब बनी लेकिन दोनों कैसे करीब आए, इसे दोनों ने जमाने से छुपाए रखा। चुपके-चुपके, गुड्डी, बावर्ची, सिलसिला, अभिमान, मिली, कभी खुशी कभी गम में दोनों की ऑन स्क्रीन कैमिस्ट्री बेमिसाल रही है।[2]

अमिताभ और जया बच्चन शादी के दौरान

1972 से 1981 तक जया ने अमिताभ बच्चन के साथ कुल आठ फिल्में की हैं। ये हैं-

  1. बंसी-बिरजू
  2. एक नजर
  3. जंजीर
  4. अभिमान
  5. चुपके-चुपके
  6. मिली
  7. शोले
  8. सिलसिला।

इसके बाद वे 'कभी खुशी-कभी गम' में भी वे साथ-साथ आए थे।

कैरियर

श्रीमती अमिताभ बच्चन बनने के बाद अपनी पृथक पहचान बनाए रखना लगभग असंभव था, लेकिन जया ने इसे संभव कर दिखाया। इसे उनके व्यक्तित्व की विशिष्टता कहा जा सकता है। अपनी पहली हिन्दी फिल्म 'गुड्डी' में उन्होंने अभिनेता धर्मेन्द्र की दीवानी-लड़की की भूमिका की थी, जबकि दूसरी फिल्म राजश्री की 'उपहार' में ऐसी अल्हड़ लड़की का रोल किया था, जो प्रेम और शादी का अर्थ नहीं समझती है। इन दो फिल्मों के बाद ही उन्हें संजीदा अभिनेत्री के रूप में मान्यता मिल गई। महिला दर्शकों ने जया को सादगी की साक्षात मूर्ति के रूप में ज्यादा सराहा, लेकिन ग्लैमरस भूमिकाओं में (दिल दीवाना) नकार दिया। अपने अपेक्षाकृत छोटे-से कैरियर में जया ने 'जवानी दीवानी, अनामिका, कोरा काग़ज़, कोशिश, पिया का घर, बावर्ची, गाय और गौरी, मन का आँगन, नौकर, नया दिन-नई रात, परिचय, फागुन, समाधि और शोर जैसी फिल्मों में काम किया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 जया बच्चन : छोटी सी गुड्डी का लंबा दूल्हा (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) वेब दुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 16 दिसंबर, 2011।
  2. शोले साइन करने के बाद अमिताभ-जया ने की शादी (हिन्दी) आई.बी.एन. खबर। अभिगमन तिथि: 16 दिसंबर, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

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