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'''भारत का संविधान (55वाँ संशोधन) अधिनियम,1986''' | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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10:58, 5 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
संविधान संशोधन- 55वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
55वाँ संशोधन | 1986 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (55वाँ संशोधन) अधिनियम, 1986
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- इसमें केंद्रशासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिए जाने के भारत सरकार के प्रस्ताव को लागू किया गया है।
- इसके लिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 371 एच जोड़ा गया है।
- अन्य बातों के अलावा, इस अनुच्छेद में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को प्रदेश की अत्यंत नाजुक स्थिति के कारण क़ानून और व्यवस्था के क्षेत्र में विशेष ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
- इसके अनुसार अपने दायित्वों को पूरा करने में राज्यपाल मंत्रिपरिषद में सलाह-मशविरा करके की जाने वाली कार्रवाई के बारे में अपना व्यक्तिगत निर्णय ले सकेंगे।
- यदि राष्ट्रपति चाहे तो राज्यपाल की यह ज़िम्मेदारी खत्म की जा सकेगी।
- नए अनुच्छेद के अनुसार यह भी व्यवस्था की गई है कि अरुणाचल प्रदेश राज्य की विधानसभा में 30 से कम सदस्य नहीं होंगे।
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