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'''चंकीगढ़''' [[बिहार]] का एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। इस स्थान को जानकीगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=313|url=}}</ref> | '''चंकीगढ़''' [[बिहार]] का एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। इस स्थान को जानकीगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=313|url=}}</ref> | ||
*नरकटियागंज से 2 मील | *नरकटियागंज से 2 मील (लगभग 3.2 कि.मी.) की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में चंदी गांव के निकट एक प्राचीन ढूह है। यहाँ जानकीकोट दुर्ग के खंडहर 90 फुट की ऊँचाई पर अवस्थित हैं। | ||
*दुर्ग को वृज्जिगोत्रीय वुलियों ने बनवाया था। ये [[क्षत्रिय]] [[महात्मा बुद्ध]] के समकालीन थे। इसका संबंध [[चाणक्य]] से बताया जाता है। | *दुर्ग को वृज्जिगोत्रीय वुलियों ने बनवाया था। ये [[क्षत्रिय]] [[महात्मा बुद्ध]] के समकालीन थे। इसका संबंध [[चाणक्य]] से बताया जाता है। | ||
13:03, 29 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
चंकीगढ़ बिहार का एक ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान को जानकीगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।[1]
- नरकटियागंज से 2 मील (लगभग 3.2 कि.मी.) की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में चंदी गांव के निकट एक प्राचीन ढूह है। यहाँ जानकीकोट दुर्ग के खंडहर 90 फुट की ऊँचाई पर अवस्थित हैं।
- दुर्ग को वृज्जिगोत्रीय वुलियों ने बनवाया था। ये क्षत्रिय महात्मा बुद्ध के समकालीन थे। इसका संबंध चाणक्य से बताया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 313 |