"जौ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Adding category Category:वनस्पति (Redirect Category:वनस्पति resolved) (को हटा दिया गया हैं।))
छो (Adding category Category:वनस्पति कोश (को हटा दिया गया हैं।))
पंक्ति 26: पंक्ति 26:
[[Category:कृषि]][[Category:फ़सल]][[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:कृषि]][[Category:फ़सल]][[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:वनस्पति]]
[[Category:वनस्पति]]
[[Category:वनस्पति कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

11:26, 14 सितम्बर 2012 का अवतरण

जौ

जौ प्राचीन काल से कृषि किये जाने वाले अनाजों में से एक है। इसका उपयोग प्राचीन काल से धार्मिक संस्कारों में होता रहा है। संस्कृत में इसे 'यव' कहते हैं। रूस, अमरीका, जर्मनी, कनाडा और भारत में यह मुख्यत: पैदा होता है। हमारे ऋषियों-मुनियों का प्रमुख आहार जौ ही था। वेदों द्वारा यज्ञ की आहुति के रूप में जौ को स्वीकारा गया है। स्वाद और आकृति के दृष्टिकोण से जौ, गेहूँ से एकदम भिन्न दिखाई पड़ते हैं, किन्तु यह गेहूँ की जाति का ही अन्न है। यदि गुण की नज़र से देखा जाये तो जौ-गेहूँ की अपेक्षा हल्का होता है और मोटा अनाज भी होता है जो कि पूरे भारत में पाया जाता है।

जौं की गणना यद्यपि मोटे अनाजों में की जाती है किन्तु यह भी देश की एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। यह सामान्यतया शुष्क एवं बलुई मिट्टी में बोया जाता है तथा इसकी शीत एवं नमी सहन करने की क्षमता भी अधिक होती है। इसका सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है जबकि बिहार राज्य के कृषि क्षेत्र 5 प्रतिशत भाग पर जौ की कृषि की जाती है। इसके अन्य उत्पादक राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब है।

जौ के पौधे

जौ के पौधे गेहूँ के पौधे के समान होते हैं और उतनी ही ऊंचाई भी होती है। जौ ख़ासतौर पर 3 तरह की होती है। तीक्ष्ण नोक वाले, नोकरहित और हरापन लिए हुए बारीक। नोकदार जौ को यव, बिना नोक के काले तथा लालिमा लिए हुए जौ को अतियव एवं हरापन लिए हुए नोकरहित बारीक जौ को तोक्ययव कहते हैं। यव की अपेक्षा अतियव और अतियव की अपेक्षा तोक्ययव कम गुण माने वाले जाते हैं।

रंग और स्वरूप

जौ का रंग पीलासफ़ेद होता है। जौ एक प्रकार का अनाज है।

जंगली जाति

जौ की एक जंगली जाति भी होती है। उस जाति के जौ का उपयोग- यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान आदि देशों में औषधियाँ बनाने के लिए होता है।

जौ

सत्तू

जौ को भूनकर, पीसकर, उस आटे में थोड़ा-सा नमक और पानी मिलाने पर सत्तू बनता है। कुछ लोग सत्तू में नमक के स्थान पर गुड़ डालते हैं व सत्तू में घी और शक्कर मिलाकर भी खाया जाता है।

गुण

  • जौ बीमार लोगों के लिए उत्तम पथ्य है।
  • जौ में से लेक्टिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, फास्फोरिक एसिड, पोटैशियम और कैल्शियम उपलब्ध होता है।
  • जौ में अल्पमात्रा में कैरोटिन भी है।
  • सुप्रसिद्ध मलटाइन काडलीवर नामक दवा में जौ का उपयोग होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख