"है दुनिया जिसका नाम -नज़ीर अकबराबादी": अवतरणों में अंतर
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याँ हरदम झगड़े उठते हैं, हर आन अदालत कस्ती है | याँ हरदम झगड़े उठते हैं, हर आन अदालत कस्ती है | ||
गर मस्त करे तो मस्ती है और पस्त करे तो पस्ती है | गर मस्त करे तो मस्ती है और पस्त करे तो पस्ती है | ||
कुछ देर | कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ़ और अद्ल पर्स्ती है | ||
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती है | इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती है | ||
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नुक़सान करे नुक़सान मिले, एहसान करे एहसान मिले | नुक़सान करे नुक़सान मिले, एहसान करे एहसान मिले | ||
जो जैसा जिस के साथ करे, फिर वैसा उसको आन मिले | जो जैसा जिस के साथ करे, फिर वैसा उसको आन मिले | ||
कुछ देर | कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ़ और अद्ल परस्ती है | ||
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती है | इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती है | ||
पंक्ति 48: | पंक्ति 48: | ||
जो याँ कारहने वाला है, ये दिल में अपने जान रखे | जो याँ कारहने वाला है, ये दिल में अपने जान रखे | ||
ये चरत-फिरत का नक़शा है, इस नक़शे को पहचान रखे | ये चरत-फिरत का नक़शा है, इस नक़शे को पहचान रखे | ||
कुछ देर | कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ़ और अद्ल परस्ती है | ||
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बद्स्ती है | इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बद्स्ती है | ||
पंक्ति 55: | पंक्ति 55: | ||
शम्शीर तीर बन्दूक़ सिना और नश्तर तीर नहरनी है | शम्शीर तीर बन्दूक़ सिना और नश्तर तीर नहरनी है | ||
याँ जैसी जैसी करनी है, फिर वैसी वैसी भरनी है | याँ जैसी जैसी करनी है, फिर वैसी वैसी भरनी है | ||
कुछ देर | कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ़ और अद्ल परस्ती है | ||
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बद्स्ती है | इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बद्स्ती है | ||
पंक्ति 62: | पंक्ति 62: | ||
बेज़ुल्म ख़ता जिस ज़ालिम ने मज़लूम ज़िबह करडाला है | बेज़ुल्म ख़ता जिस ज़ालिम ने मज़लूम ज़िबह करडाला है | ||
उस ज़ालिम के भी लूहू का फिर बहता नद्दी नाला है | उस ज़ालिम के भी लूहू का फिर बहता नद्दी नाला है | ||
कुछ देर | कुछ देर नहीं अंधेर नहीं, इंसाफ़ और अद्ल परस्ती है | ||
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बद्स्ती है | इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बद्स्ती है | ||
12:48, 2 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
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है दुनिया जिस का नाम मियाँ ये और तरह की बस्ती है |
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