"शहरे आशोब भाग-2 -नज़ीर अकबराबादी": अवतरणों में अंतर
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किस्मत से चार पैसे जिन्हें हाथ आते हैं । | किस्मत से चार पैसे जिन्हें हाथ आते हैं । | ||
अलबत्ता रूखी सूखी वह रोटी पकाते हैं । | अलबत्ता रूखी सूखी वह रोटी पकाते हैं । | ||
जो | जो ख़ाली आते हैं वह क़र्ज़ लेते जाते हैं । | ||
यूं भी न पाया कुछ तो फ़कत ग़म ही खाते हैं । | यूं भी न पाया कुछ तो फ़कत ग़म ही खाते हैं । | ||
सोते हैं कर किवाड़ को एक आह मार बंद ॥26। | सोते हैं कर किवाड़ को एक आह मार बंद ॥26। |
12:29, 14 मई 2013 के समय का अवतरण
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