"बंजारानामा -नज़ीर अकबराबादी": अवतरणों में अंतर
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|मुख्य रचनाएँ=[[बंजारानामा -नज़ीर अकबराबादी|बंजारानामा]], [[दूर से आये थे साक़ी -नज़ीर अकबराबादी|दूर से आये थे साक़ी]], [[फ़क़ीरों की सदा -नज़ीर अकबराबादी|फ़क़ीरों की सदा]], [[है दुनिया जिसका नाम -नज़ीर अकबराबादी|है दुनिया जिसका नाम]] आदि | |मुख्य रचनाएँ=[[बंजारानामा -नज़ीर अकबराबादी|बंजारानामा]], [[दूर से आये थे साक़ी -नज़ीर अकबराबादी|दूर से आये थे साक़ी]], [[फ़क़ीरों की सदा -नज़ीर अकबराबादी|फ़क़ीरों की सदा]], [[है दुनिया जिसका नाम -नज़ीर अकबराबादी|है दुनिया जिसका नाम]] आदि | ||
|यू-ट्यूब लिंक= | |यू-ट्यूब लिंक=[http://www.youtube.com/watch?v=dUi_OUBk7FA सब ठाठ पड़ा रह जावेगा] | ||
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धन-दौलत नाती-पोता क्या इक कुनबा काम न आवेगा | धन-दौलत नाती-पोता क्या इक कुनबा काम न आवेगा | ||
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा | सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा | ||
हर मंजिल में अब साथ तेरे, ये जितना डेरा-डांडा है | |||
जर, दाम, दिरम का भांडा है, बन्दूक, सिपर और खांडा है | |||
जब नायक तन का निकल गया, जो मुल्कों-मुल्कों हांडा है | |||
फिर हांडा है ना भांडा है, ना हलवा है ना भांडा है | |||
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा। | |||
जब चलते-चलते रस्ते में, ये गोन तेरी रह जावेगी | |||
इक बधिया तेरी मिट्रटी पर, फिर घास न चरने आवेगी | |||
ये खेप जो तूने लादी है, सब हिस्सों में बट जावेगी | |||
घी पूत, जंवाई, पोता क्या, बंजारिन पास न आवेगी | |||
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा | |||
ये धूम-धड़क्का साथ लिये, क्यों फिरता है जंगल-जंगल | |||
इक तिनका साथ न जावेगा, मौकूफ हुआ जब अन्न ओर जल | |||
घर-बार अटारी, चौपारी, क्या खासा, तनसुख है मसलन | |||
क्या चिलमन, पर्दे, फर्श नये, क्या लाल पलंग और रंगमहल | |||
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा। | |||
क्यों जी पर बोझ उठाता है, इन गोनों भारी-भारी के | |||
जब मौत का डेरा आन पड़ा, तब दूने हैं व्योपारी है | |||
क्या साज जड़ाऊ, जर, जेवर, क्या गोटे थान कनारी के | |||
क्या घोड़े जीन सुनहरी के, क्या हाथी लाल अंबारी के | |||
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा। | |||
हर आन नफा ओर टोटे हैं, क्यों मरता फिरता है बन-बन | |||
टुक गाफिल दिल में सोच जरा है साथ लगा तेरे दुश्मन | |||
क्या लौंडी, बांदी, दाई, दवा, क्या बन्दा, चेला नेक चलन | |||
क्या मंदिर, मस्जिद, लाल कुंआ क्या खेती-बाड़ी फूलचमन | |||
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब छोड़ चलेगा बंजारा। | |||
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06:26, 28 दिसम्बर 2012 का अवतरण
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टुक हिर्सो-हवा[1] को छोड़ मियां, मत देस-बिदेस फिरे मारा |
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