"इश्क़ की मस्ती -नज़ीर अकबराबादी": अवतरणों में अंतर
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कुछ क़ैद नहीं, कुछ बन्द नहीं, कुछ जब्र<ref>अत्याचार</ref> नहीं, आज़ाद नहीं ।। | कुछ क़ैद नहीं, कुछ बन्द नहीं, कुछ जब्र<ref>अत्याचार</ref> नहीं, आज़ाद नहीं ।। | ||
शागिर्द नहीं, उस्ताद नहीं, वीरान नहीं, आबाद नहीं । | शागिर्द नहीं, उस्ताद नहीं, वीरान नहीं, आबाद नहीं । | ||
हैं जितनी बातें | हैं जितनी बातें दुनिया की सब भूल गए कुछ याद नहीं ।। | ||
हर आन हँसी, हर आन ख़ुशी हर वक़्त अमीरी है बाबा । | हर आन हँसी, हर आन ख़ुशी हर वक़्त अमीरी है बाबा । |
11:49, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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हैं आशिक़ और माशूक जहाँ वां शाह[1] बज़ीरी[2]है बाबा । |
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