"देवकी बोस": अवतरणों में अंतर
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वर्ष [[1930]] में 'द शैडो ऑफ़ डैड' फ़िल्म बन कर तैयार हुई। लेकिन यह फ़िल्म बुरी तरह से असफल हो गयी। देवकी बोस तो लखनऊ से वापस कलकत्ता चले गये, लेकिन फ़िल्म के छायाकार कृष्ण गोपाल को कम्पनी ने बंधक बना लिया और कहा कि 'वह कम्पनी छोड़ कर तब ही जा सकते हैं, जब पूरे घाटे की भरपाई करें'। यह कृष्ण गोपाल के बस में नहीं था। इसलिए वह कम्पनी के बंधक बने रहे और उम्मीद करते रहे कि देवकी बोस उन्हें छुड़ाने के लिए पैसे लेकर आएँगे। देवकी बोस ने प्रथमेश बरूआ से उन्हें अपनी फ़िल्म कम्पनी में रखने की गुजारिश की और फिर कृष्ण गोपाल को छुड़वाने के लिए भी उनसे पैसा हासिल कर लिया। इस तरह कृष्ण गोपाल देवकी बोस की वजह से ही कम्पनी के बन्धन से छूट सके। | वर्ष [[1930]] में 'द शैडो ऑफ़ डैड' फ़िल्म बन कर तैयार हुई। लेकिन यह फ़िल्म बुरी तरह से असफल हो गयी। देवकी बोस तो लखनऊ से वापस कलकत्ता चले गये, लेकिन फ़िल्म के छायाकार कृष्ण गोपाल को कम्पनी ने बंधक बना लिया और कहा कि 'वह कम्पनी छोड़ कर तब ही जा सकते हैं, जब पूरे घाटे की भरपाई करें'। यह कृष्ण गोपाल के बस में नहीं था। इसलिए वह कम्पनी के बंधक बने रहे और उम्मीद करते रहे कि देवकी बोस उन्हें छुड़ाने के लिए पैसे लेकर आएँगे। देवकी बोस ने प्रथमेश बरूआ से उन्हें अपनी फ़िल्म कम्पनी में रखने की गुजारिश की और फिर कृष्ण गोपाल को छुड़वाने के लिए भी उनसे पैसा हासिल कर लिया। इस तरह कृष्ण गोपाल देवकी बोस की वजह से ही कम्पनी के बन्धन से छूट सके। | ||
==सफलता की पाप्ति== | |||
'न्यू थियेटर्स' की फ़िल्म 'चंडीदास' की कामयाबी से देवकी बोस का नाम अचानक ही रातों रात चमक उठा। 'न्यू थियेटर्स' में उनके प्रवेश की कहानी भी फिल्मी-सी है। जब 'न्यू थियेटर्स' की एक के बाद एक सात फिल्में फ़्लॉप हो गईं, तब देवकी बोस ने 'न्यू थियेटर्स' के मालिक वीरेन्द्रनाथ सरकार से मिलने की कोशिश की। वीरेन्द्रनाथ सरकार उनसे मिल लिए, लेकिन जब देवकी बोस अपने साथ लाई हुई एक पटकथा सुनाने लगे तो उन्होंने कहा कि वे यह पटकथा छायाकार [[नितिन बोस]] को सुनाएँ। नितिन बोस से देवकी बोस तीन दिनों तक मिलने की कोशिश करते रहे, लेकिन उन्होंने पलट कर देखा तक नहीं। इतना अवश्य था कि वे ये देखते रहे कि कोई सफ़ेद रंग की धोती कुर्ता पहने युवक कई दिनों से उनके पीछे रहता है। आखिरकार चौथे दिन हिम्मत करके देवकी बोस ने नितिन बोस को अपना परिचय दिया और बताया कि उन्हें वीरेन्द्रनाथ सरकार ने उनसे मिलने के लिए कहा है। | |||
नितिन बोस ने दोपहर में लंच के समय देवकी बोस के हाथ में मौजूद कहानी को सुना और सुनते ही अभिभूत हो गये। यह कहानी और कोई नहीं, बल्कि फ़िल्म "चंडीदास" की ही पटकथा थी। 'चंडीदास' के बनते ही 'न्यू थियेटर्स' की टूटती साँसे लौट आयीं। फिल्म सुपरहिट हो चुकी थी, और इसके साथ ही देवकी बोस भी 'न्यू थियेटर्स' के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बन गये। | |||
==प्रमुख फ़िल्में== | |||
देवकी बोस ने चार दर्जन से भी ज़्यादा फिल्मों का सफल निर्देशन किया, जिसमें [[हिन्दी]] से अधिक [[बांग्ला भाषा]] की फिल्में थीं। उनके द्वारा निर्देशित प्रमुख फिल्मों में से कुछ निन्मलिखित हैं- | |||
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|+देवकी बोस द्वारा निर्देशित प्रमुख फ़िल्में | |||
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! क्र.सं. | |||
! फ़िल्म | |||
! क्र.सं. | |||
! फ़िल्म | |||
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|1. | |||
|द शैडो ऑफ़ डैड | |||
|2. | |||
|अपराधी | |||
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|3. | |||
|निशिर डाक | |||
|4. | |||
|चंडीदास | |||
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|5. | |||
|राजरानी मीरा | |||
|6. | |||
|पूरन भगत | |||
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|7. | |||
|मीराबाई | |||
|8. | |||
|दुलारी बीवी | |||
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|9. | |||
|सीता | |||
|10. | |||
|जीवन नाटक | |||
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|11. | |||
|इंकलाब | |||
|12. | |||
|सोनार संसार | |||
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|13. | |||
|विद्यापति | |||
|14. | |||
|सपेरा | |||
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|15. | |||
|नर्तकी | |||
|16. | |||
|अभिनव | |||
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|17. | |||
|अपना घर | |||
|18. | |||
|श्रीरामानुज | |||
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|19. | |||
|स्वर्ग से सुन्दर देश हमारा | |||
|20. | |||
|मेघदूत | |||
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|21. | |||
|कृष्णलीला | |||
|22. | |||
|अलकनंदा | |||
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|23. | |||
|चंद्रशेखर | |||
|24. | |||
|सर शंकरनाथ | |||
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|25. | |||
|कवि | |||
|26. | |||
|रत्नदीप | |||
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|27. | |||
|पथिक | |||
|28. | |||
|भालोबाशा | |||
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|29. | |||
|नवजन्मा | |||
|30. | |||
|चिरकुमार सभा | |||
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|31. | |||
|सोनार काठी | |||
|32. | |||
|सागर संगम | |||
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|33. | |||
|अर्घ्य | |||
|34. | |||
|अपराधी | |||
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12:40, 19 जनवरी 2013 का अवतरण
देवकी कुमार बोस (जन्म- 25 नवम्बर, 1898, पश्चिम बंगाल; मृत्यु- 11 नवम्बर, 1971, कोलकाता) 'मूक युग' के बाद भारतीय सिनेमा के इतिहास में आये थियेटर्स युग के बेहद कल्पनाशील फ़िल्म निर्देशक थे। वे ध्वनि और संगीत के अद्भुत जानकरा थे। यही कारण है कि उनके द्वारा निर्देशित सभी फ़िल्मों में संगीत का माधुर्य बिखरा पड़ा है। उनकी अधिकतर फ़िल्मों में रामचंद्र बोराल ने संगीत दिया था। देवकी बोस ही वह पहले बंगाली फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्होंने 'भारतीय शास्त्रीय संगीत' के साथ 'रवीन्द्र संगीत' को मिला कर फ़िल्मों में एक अद्भुत ध्वनि माधुर्य पैदा किया। यदि देवकी बोस 'न्यू थियेटर्स' से न जुड़ते तो संभव था कि 'न्यू थियेटर्स' की वह प्रसिद्धि नहीं होती जो आज है।
जन्म
देवकी बोस का जन्म 25 नवम्बर, 1898 ई. को वर्धमान ज़िला, पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनके पिता अपने समय के एक नामी वकील थे। जिन दिनों देवकी बोस अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहे थे, उस समय देश को स्वतंत्रता दिलाने के कई क्रांतिकारी अपनी गतिविधियाँ चला रहे थे। इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी सर्वप्रमुख थे।
गाँधीजी का प्रभाव
भारत की आज़ादी के लिए महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया 'असहयोग आन्दोलन' अपने चरम बिन्दू पर था। इस आन्दोलन से देवकी बोस स्वयं भी बहुत प्रभावित थे। इसके परिणामस्वरूप आन्दोलन में हिस्सा लेने के लिए देवकी बोस ने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी। पढ़ाई छोड़ने के बाद वह कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में रह कर एक छोटे-से अख़बार "शक्ति" का संपादन करने लगे।
फ़िल्म निर्देशन
इन्हीं दिनों पत्रकारिता करते हुए उनकी मुलाकात धीरेन गांगुली से हुई। देवकी बोस ने धीरेन गांगुली की 'ब्रिटिश डोमिनियन कम्पनी' के लिए कई मूक फ़िल्मों की पटकथा लिखी। इसके साथ ही कुछ फ़िल्मों का निर्देशन भी किया, चूँकि इन तमाम फ़िल्मों का छायांकन कृष्ण गोपाल ने किया था, इसलिए देवकी बोस से उनकी मित्रता हो गयी। कृष्ण गोपाल नवाबों के शहर लखनऊ के थे, इसलिए वह चाहते थे कि लखनऊ में रहते हुए ही फ़िल्म बनायें। लखनऊ की एक फ़िल्म कम्पनी 'यूनाइटेड फ़िल्म कारपोरेशन' एक फ़िल्म बनाना चाहती थी, जिसमें छायांकन का काम कृष्ण गोपाल को सौंपा गया था। उन्होंने फ़िल्म को निर्देशित करने के लिए देवकी बोस को कलकत्ता से बुला लिया।
फ़िल्म की असफलता
वर्ष 1930 में 'द शैडो ऑफ़ डैड' फ़िल्म बन कर तैयार हुई। लेकिन यह फ़िल्म बुरी तरह से असफल हो गयी। देवकी बोस तो लखनऊ से वापस कलकत्ता चले गये, लेकिन फ़िल्म के छायाकार कृष्ण गोपाल को कम्पनी ने बंधक बना लिया और कहा कि 'वह कम्पनी छोड़ कर तब ही जा सकते हैं, जब पूरे घाटे की भरपाई करें'। यह कृष्ण गोपाल के बस में नहीं था। इसलिए वह कम्पनी के बंधक बने रहे और उम्मीद करते रहे कि देवकी बोस उन्हें छुड़ाने के लिए पैसे लेकर आएँगे। देवकी बोस ने प्रथमेश बरूआ से उन्हें अपनी फ़िल्म कम्पनी में रखने की गुजारिश की और फिर कृष्ण गोपाल को छुड़वाने के लिए भी उनसे पैसा हासिल कर लिया। इस तरह कृष्ण गोपाल देवकी बोस की वजह से ही कम्पनी के बन्धन से छूट सके।
सफलता की पाप्ति
'न्यू थियेटर्स' की फ़िल्म 'चंडीदास' की कामयाबी से देवकी बोस का नाम अचानक ही रातों रात चमक उठा। 'न्यू थियेटर्स' में उनके प्रवेश की कहानी भी फिल्मी-सी है। जब 'न्यू थियेटर्स' की एक के बाद एक सात फिल्में फ़्लॉप हो गईं, तब देवकी बोस ने 'न्यू थियेटर्स' के मालिक वीरेन्द्रनाथ सरकार से मिलने की कोशिश की। वीरेन्द्रनाथ सरकार उनसे मिल लिए, लेकिन जब देवकी बोस अपने साथ लाई हुई एक पटकथा सुनाने लगे तो उन्होंने कहा कि वे यह पटकथा छायाकार नितिन बोस को सुनाएँ। नितिन बोस से देवकी बोस तीन दिनों तक मिलने की कोशिश करते रहे, लेकिन उन्होंने पलट कर देखा तक नहीं। इतना अवश्य था कि वे ये देखते रहे कि कोई सफ़ेद रंग की धोती कुर्ता पहने युवक कई दिनों से उनके पीछे रहता है। आखिरकार चौथे दिन हिम्मत करके देवकी बोस ने नितिन बोस को अपना परिचय दिया और बताया कि उन्हें वीरेन्द्रनाथ सरकार ने उनसे मिलने के लिए कहा है।
नितिन बोस ने दोपहर में लंच के समय देवकी बोस के हाथ में मौजूद कहानी को सुना और सुनते ही अभिभूत हो गये। यह कहानी और कोई नहीं, बल्कि फ़िल्म "चंडीदास" की ही पटकथा थी। 'चंडीदास' के बनते ही 'न्यू थियेटर्स' की टूटती साँसे लौट आयीं। फिल्म सुपरहिट हो चुकी थी, और इसके साथ ही देवकी बोस भी 'न्यू थियेटर्स' के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बन गये।
प्रमुख फ़िल्में
देवकी बोस ने चार दर्जन से भी ज़्यादा फिल्मों का सफल निर्देशन किया, जिसमें हिन्दी से अधिक बांग्ला भाषा की फिल्में थीं। उनके द्वारा निर्देशित प्रमुख फिल्मों में से कुछ निन्मलिखित हैं-
क्र.सं. | फ़िल्म | क्र.सं. | फ़िल्म |
---|---|---|---|
1. | द शैडो ऑफ़ डैड | 2. | अपराधी |
3. | निशिर डाक | 4. | चंडीदास |
5. | राजरानी मीरा | 6. | पूरन भगत |
7. | मीराबाई | 8. | दुलारी बीवी |
9. | सीता | 10. | जीवन नाटक |
11. | इंकलाब | 12. | सोनार संसार |
13. | विद्यापति | 14. | सपेरा |
15. | नर्तकी | 16. | अभिनव |
17. | अपना घर | 18. | श्रीरामानुज |
19. | स्वर्ग से सुन्दर देश हमारा | 20. | मेघदूत |
21. | कृष्णलीला | 22. | अलकनंदा |
23. | चंद्रशेखर | 24. | सर शंकरनाथ |
25. | कवि | 26. | रत्नदीप |
27. | पथिक | 28. | भालोबाशा |
29. | नवजन्मा | 30. | चिरकुमार सभा |
31. | सोनार काठी | 32. | सागर संगम |
33. | अर्घ्य | 34. | अपराधी |
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