"पथ का पाप -रांगेय राघव": अवतरणों में अंतर
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*रांगेय राघव बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने कहानी, कविता, नाटक आदि विभिन्न विधाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। | *रांगेय राघव बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने कहानी, कविता, नाटक आदि विभिन्न विधाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। | ||
*मूल रूप से दक्षिण भारतीय होने के बावजूद भी हिन्दी पर [[रांगेय राघव]] की पकड़ सराहनीय थी। | *मूल रूप से दक्षिण भारतीय होने के बावजूद भी हिन्दी पर [[रांगेय राघव]] की पकड़ सराहनीय थी। | ||
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07:31, 24 जनवरी 2013 का अवतरण
पथ का पाप -रांगेय राघव
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लेखक | रांगेय राघव |
प्रकाशक | राजपाल प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि | 1 जनवरी, 2009 |
ISBN | 9788170281375 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 112 |
भाषा | हिन्दी |
प्रकार | उपन्यास |
पथ का पाप भारत के प्रसिद्ध उपन्यासकारों और साहित्यकारों में गिने जाने वाले रांगेय राघव द्वारा लिखा गया उपन्यास है। यह उपन्यास 1 जनवरी, 2009 को प्रकाशित हुआ था। उपन्यास का प्रकाशन 'राजपाल प्रकाशन' द्वारा किया गया था। रांगेय राघव का यह उपन्यास ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित है।[1]
- हिन्दी के जाने-माने लेखक रांगेय राघव का उपन्यास 'पथ का पाप' एक कालजयी रचना है।
- लेखक ने अपनी अन्य कृतियों के समान ही अपने इस उपन्यास के लिए भी ग्रामीण परिवेश को ही आधार बनाया है।
- रांगेय राघव बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने कहानी, कविता, नाटक आदि विभिन्न विधाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है।
- मूल रूप से दक्षिण भारतीय होने के बावजूद भी हिन्दी पर रांगेय राघव की पकड़ सराहनीय थी।
- उनके उपन्यास 'पथ का पाप' में उन्होंने स्वाधीन भारत के ग्रामीण जीवन में आये बदलाव के साथ-साथ धार्मिक रूढ़ियों का बड़ा ही मार्मिक और यथार्थ चित्रण किया है।[1]
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