"राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय": अवतरणों में अंतर

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[[पुणे]] में मुख्यालय सहित, राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय के फिलहाल 3 क्षेत्रीय कार्यालय हैं: [[बेंगलुरु]], [[कोलकाता]] और [[तिरुवनंतपुरम]] में। 1969 से राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय महासंघ (एफआईएएफ) का सदस्य है और इस संस्थान के कार्य में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है।  
[[पुणे]] में मुख्यालय सहित, राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय के फिलहाल 3 क्षेत्रीय कार्यालय हैं: [[बेंगलुरु]], [[कोलकाता]] और [[तिरुवनंतपुरम]] में। 1969 से राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय महासंघ (एफआईएएफ) का सदस्य है और इस संस्थान के कार्य में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है।  
==फ़िल्म संग्रह==
==फ़िल्म संग्रह==
राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय के फिल्‍म संग्रह के खजाने में [[दादा साहेब फालके|डी.जी.फालके]] व बाबूराव पेंटर की फिल्‍मों के बचे हुए अंश, [[हिमांशु राय]] व फ्रांज ऑस्‍टन की मूल फिल्‍में, [[1930]] व [[1940]] के दशकों की प्रमुख फिल्‍म कंपनियों व स्‍टूडियो जैसे प्रभात फिल्‍म कंपनी, न्‍यू थिएटर्स, बॉम्‍बे टॉकीज, श्री भारत लक्ष्‍मी पिक्‍चर्स, मिनर्वा मूवीटोन, वाडिया मूवीटोन, जेमिनी, विजया वौहिनी व अन्‍य फिल्‍मों का संग्रह है। उसी प्रकार संग्रहालय के खजाने में [[1940]] के अंत में स्‍टूडियो प्रथा समाप्‍त होने के बाद [[महबूब खान]], [[राजकपूर]], [[बिमल रॉय]], [[गुरु दत्त]], ए.आर.करदार, एल.वी. प्रसाद व [[बी. नागी रेड्डी]] जैसों के द्वारा निर्मित स्‍वतंत्र बॅनर भी हैं। मुख्‍य धारा सिनेमा के उदाहरणों के अतिरिक्‍त नवीन भारतीय सिनेमा के प्रवर्तकों जैसे [[सत्यजित राय]], [[मृणाल सेन]], ऋत्विक घटक, अडूर गोपालकृष्‍णन, [[श्याम बेनेगल]], [[मणि कौल]], जी. अरविंदन, कुमार शाहनी, गिरीश कासारवल्‍ली, मीरा नायर व अन्‍य के प्रमुख कार्यों के बेहतरीन प्रिंट्स भी संग्रहालय द्वारा जतन की गई हैं।
राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय के फिल्‍म संग्रह के ख़ज़ाने में [[दादा साहेब फालके|डी.जी.फालके]] व बाबूराव पेंटर की फिल्‍मों के बचे हुए अंश, [[हिमांशु राय]] व फ्रांज ऑस्‍टन की मूल फिल्‍में, [[1930]] व [[1940]] के दशकों की प्रमुख फिल्‍म कंपनियों व स्‍टूडियो जैसे प्रभात फिल्‍म कंपनी, न्‍यू थिएटर्स, बॉम्‍बे टॉकीज, श्री भारत लक्ष्‍मी पिक्‍चर्स, मिनर्वा मूवीटोन, वाडिया मूवीटोन, जेमिनी, विजया वौहिनी व अन्‍य फिल्‍मों का संग्रह है। उसी प्रकार संग्रहालय के ख़ज़ाने में [[1940]] के अंत में स्‍टूडियो प्रथा समाप्‍त होने के बाद [[महबूब खान]], [[राजकपूर]], [[बिमल रॉय]], [[गुरु दत्त]], ए.आर.करदार, एल.वी. प्रसाद व [[बी. नागी रेड्डी]] जैसों के द्वारा निर्मित स्‍वतंत्र बॅनर भी हैं। मुख्‍य धारा सिनेमा के उदाहरणों के अतिरिक्‍त नवीन भारतीय सिनेमा के प्रवर्तकों जैसे [[सत्यजित राय]], [[मृणाल सेन]], ऋत्विक घटक, अडूर गोपालकृष्‍णन, [[श्याम बेनेगल]], [[मणि कौल]], जी. अरविंदन, कुमार शाहनी, गिरीश कासारवल्‍ली, मीरा नायर व अन्‍य के प्रमुख कार्यों के बेहतरीन प्रिंट्स भी संग्रहालय द्वारा जतन की गई हैं।


==फ़िल्में प्राप्त करना==
==फ़िल्में प्राप्त करना==

10:56, 26 अप्रैल 2013 का अवतरण

राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय भारतीय सिनेमा की परंपरा की रक्षा व भारत में एक स्वस्थ फ़िल्म संस्कृति के प्रसार के केंद्र के रूप में कार्य करने वाला एक संस्थान है। सिनेमा के विविध पहलुओं पर शोध करने हेतु फ़िल्म विद्वानों को प्रोत्साहन देना भी इसकी घोषणा पर चार्टर का एक भाग है। विदेशी दर्शकों को भारतीय सिनेमा से परिचित करवाना व उसे पूरे विश्व में देखे जाने योग्य बनाना, संग्रहालय का एक और घोषित लक्ष्य है।

स्थापना

भारत का राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार की एक मीडिया इकाई के रूप में फरवरी, 1964 में स्थापित किया गया। इसके मुख्य उद्देश्य व कार्य हैं :

  • भावी पीढ़ियों के उपयोग हेतु राष्ट्रीय सिनेमा की परंपरा की खोज, प्राप्ति व परिरक्षण एवं विश्व सिनेमा का एक प्रतिनिधि संग्रह ।
  • फ़िल्म से संबंधित सामग्री का वर्गीकरण व प्रलेखन तथा फ़िल्मों पर शोध व उसको प्रोत्साहन देना ।
  • देश में फ़िल्म संस्कृति के प्रसार के केंद्र के रूप में कार्य करना व भारतीय सिनेमा का विदेश में प्रचार ।

मुख्यालय एवं क्षेत्रीय कार्यालय

पुणे में मुख्यालय सहित, राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय के फिलहाल 3 क्षेत्रीय कार्यालय हैं: बेंगलुरु, कोलकाता और तिरुवनंतपुरम में। 1969 से राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म संग्रहालय महासंघ (एफआईएएफ) का सदस्य है और इस संस्थान के कार्य में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है।

फ़िल्म संग्रह

राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय के फिल्‍म संग्रह के ख़ज़ाने में डी.जी.फालके व बाबूराव पेंटर की फिल्‍मों के बचे हुए अंश, हिमांशु राय व फ्रांज ऑस्‍टन की मूल फिल्‍में, 19301940 के दशकों की प्रमुख फिल्‍म कंपनियों व स्‍टूडियो जैसे प्रभात फिल्‍म कंपनी, न्‍यू थिएटर्स, बॉम्‍बे टॉकीज, श्री भारत लक्ष्‍मी पिक्‍चर्स, मिनर्वा मूवीटोन, वाडिया मूवीटोन, जेमिनी, विजया वौहिनी व अन्‍य फिल्‍मों का संग्रह है। उसी प्रकार संग्रहालय के ख़ज़ाने में 1940 के अंत में स्‍टूडियो प्रथा समाप्‍त होने के बाद महबूब खान, राजकपूर, बिमल रॉय, गुरु दत्त, ए.आर.करदार, एल.वी. प्रसाद व बी. नागी रेड्डी जैसों के द्वारा निर्मित स्‍वतंत्र बॅनर भी हैं। मुख्‍य धारा सिनेमा के उदाहरणों के अतिरिक्‍त नवीन भारतीय सिनेमा के प्रवर्तकों जैसे सत्यजित राय, मृणाल सेन, ऋत्विक घटक, अडूर गोपालकृष्‍णन, श्याम बेनेगल, मणि कौल, जी. अरविंदन, कुमार शाहनी, गिरीश कासारवल्‍ली, मीरा नायर व अन्‍य के प्रमुख कार्यों के बेहतरीन प्रिंट्स भी संग्रहालय द्वारा जतन की गई हैं।

फ़िल्में प्राप्त करना

पहला तरीका है दान स्‍वीकार करना अथवा नि:शुल्‍क जमा। वे संग्राहक व फिल्‍मकार जो सिनेमा की सांस्‍कृतिक विरासत के परिरक्षण का महत्‍व जानते हैं उन्‍होंने आगे आकर स्‍थाई परिरक्षण व संग्रहालयीन उपयोग हेतु अपने सर्वाधिकार कापीराइट का उल्‍लंघन किए बगैर प्रिंट्स, वीडियो आदि उपलब्‍ध करवाए। राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय ऐसी सभी फिल्‍में स्‍वीकार करता है क्‍योंकि प्रत्‍येक फिल्‍म हमारे दस्‍तावेजी इतिहास का एक भाग मानी जाती है। जब फिल्‍मों के निर्माता सर्वाधिकार कॉपीराइट धारक राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय के फिल्‍म वॉल्‍ट्स में संग्रहण हेतु नि:शुल्‍क जमा के रूप में अपने नेगेटिव व प्रिंट्स देते हैं तो राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय ऐसे पक्षों के साथ एक जमा करार डिपोजिट एग्रीमेंट करता है। ऐसी फिल्‍में उचित संग्रहण वातावरण में संग्रहित की जाती हैं और उत्‍तरकालीनता हेतु प्रतिरक्षित हो जाती हैं।

  • कभी-कभी राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय को अपने संग्रहण हेतु प्रमुख फिल्‍मों के तैयार व उपयोग किए गए प्रिंट्स प्राप्‍त करने पड़ते हैं। ऐसी फिल्‍में मूल्‍यांकन व प्रिंट की स्थिति की जांच कर और उसका परिरक्षण मूल्‍य व प्रक्षेपण हेतु उसकी उपयुक्तता ज्ञात कर प्राप्‍त की जाती है। ऐसी प्राप्तियों के लिए साधारणतः नाम मात्र प्रतिपूर्ति दी जाती है।
  • संग्रहालय के लिए सभी राष्ट्रीय पुरस्‍कार प्राप्‍त फिल्‍में व भारतीय पैनोरामा विभाग में दिखाने हेतु योग्‍य फिल्‍में प्राप्‍त करना अनिवार्य है। ऐसी फिल्‍मों के निर्माता/सर्वाधिकार धारकों को संग्रहालयीन उपयोग हेतु एक प्रिंट सुरक्षित रखने के लिए एक प्राधिकार पत्र जारी करना होता है।
  • इसके अतिरिक्‍त राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय स्‍थाई परिरक्षण हेतु प्रिंट बनाने के लिए राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय को प्राधिकृत करने हेतु विभिन्‍न निर्माताओं/सर्वाधिकार धारकों से संपर्क भी करता है । ऐसे मामलों में राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय प्रिंट का खर्च उठाता है।
  • संग्रहालय वितरकों, मालिकों आदि को पुरानी फिल्‍मों, फुटेज देने के लिए राजी करता है और अपने संग्रह को समृद्ध करता है। इस कार्य में फिल्‍म संगठन, सांस्‍कृतिक संस्‍थाएं व राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय के शुभचिंतक भी राष्ट्रीय फिल्‍म संग्रहालय की सहायता करते हैं।
  • रेलवे व हवाई अड्डों से लावारिस संपत्ति के रूप में भी संग्रहालय को फिल्‍में प्राप्‍त होती हैं। सीमा-शुल्‍क विभाग द्वारा जब्त फिल्‍में भी संग्रहालय के संग्रहण में शामिल होती हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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