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उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले का यह क्षेत्र [[समुद्र]] तल से 554 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हल्द्वानी-काठगोदाम उत्तराखंड का दूसरा सबसे बड़ा नगर परिषद है और इसकी स्थानपा [[1942]] ई. में हुई थी। काठगोदाम का शाब्दिक अर्थ होता है- "लकड़ियों का गोदाम"। यह अर्थ काफ़ी सही भी मालूम पड़ता है, क्योंकि यह शहर ज़िले में व्यापार और व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है। | उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले का यह क्षेत्र [[समुद्र]] तल से 554 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हल्द्वानी-काठगोदाम उत्तराखंड का दूसरा सबसे बड़ा नगर परिषद है और इसकी स्थानपा [[1942]] ई. में हुई थी। काठगोदाम का शाब्दिक अर्थ होता है- "लकड़ियों का गोदाम"। यह अर्थ काफ़ी सही भी मालूम पड़ता है, क्योंकि यह शहर ज़िले में व्यापार और व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है।<ref name="aa">{{cite web |url= http://hindi.nativeplanet.com/kathgodam/|title= काठगोदाम- श्रदालुओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए|accessmonthday= 04 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नेटिव प्लेनेट|language=हिन्दी}}</ref> | ||
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काठगोदाम की स्थानीय [[भाषा]] कुमाऊंनी, [[हिन्दी]] और गड़वाली है। काफ़ी पहले काठगोदाम को लोग बिल्कुल भी नहीं जानते थे। वर्ष [[1909]] ई. में ब्रिटिश [[अंग्रेज़]] सरकार ने यहां रेलवे ट्रैक बिछाए। इसके बाद काठगोदाम को चर्चा मिली। | काठगोदाम की स्थानीय [[भाषा]] कुमाऊंनी, [[हिन्दी]] और गड़वाली है। काफ़ी पहले काठगोदाम को लोग बिल्कुल भी नहीं जानते थे। वर्ष [[1909]] ई. में ब्रिटिश [[अंग्रेज़]] सरकार ने यहां रेलवे ट्रैक बिछाए। इसके बाद काठगोदाम को चर्चा मिली। | ||
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वर्ष [[1984]] में हल्द्वानी रेलवे लाइन को काठगोदाम तक फैला दिया गया। वर्तमान में काठगोदाम उत्तर-पूर्व रेलवे का आखिरी स्टेशन है। इस क्षेत्र के दो प्रमुख आकर्षण 'शीतला देवी' और 'कालीचौड़ का मंदिर' है। त्योहारों के मौसम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन करने आते हैं। | वर्ष [[1984]] में हल्द्वानी रेलवे लाइन को काठगोदाम तक फैला दिया गया। वर्तमान में काठगोदाम उत्तर-पूर्व रेलवे का आखिरी स्टेशन है। इस क्षेत्र के दो प्रमुख आकर्षण 'शीतला देवी' और 'कालीचौड़ का मंदिर' है। त्योहारों के मौसम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन करने आते हैं। | ||
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गौला नदी इस क्षेत्र का खास आकर्षण है। 'सात ताल झील' से निकलने वाली यह नदी हल्द्वानी और शाही जैसी कई जगहों से होकर गुजरती है। इस नदी के ऊपर एक बाँध भी बना हुआ है, जिसे गौला बांध के नाम से जाना जाता है। पिकनिक के लिए यह जगह काफ़ी पसंद किया जाता है। काठगोदाम आने वाले पर्यटक चाहें तो यहां से 21 कि.मी. दूर स्थित छोटे-सा शहर 'भीमताल' का भी भ्रमण कर सकते हैं। यह जगह साल भर पानी से भरी रहने वाली भीमताल झील के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह का नामकरण '[[महाभारत]]' के एक पात्र [[भीम]] के नाम पर हुआ है। [[भीमताल झील]] के किनारे [[शिव|भगवान शिव]] का एक पुराना मंदिर है, जिसे 'भीमेश्वर महादेव मंदिर' के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण 17वीं [[शताब्दी]] में [[कुमाऊं मण्डल|कुमाऊं]] के राजा बाज बहादुर ने करवाया था। [[झील]] के मध्य स्थित टापू पर बना एक्वेरियम यहां की खूबसूरती में और भी इजाफा कर देता है। | गौला नदी इस क्षेत्र का खास आकर्षण है। 'सात ताल झील' से निकलने वाली यह नदी हल्द्वानी और शाही जैसी कई जगहों से होकर गुजरती है। इस नदी के ऊपर एक बाँध भी बना हुआ है, जिसे गौला बांध के नाम से जाना जाता है। पिकनिक के लिए यह जगह काफ़ी पसंद किया जाता है। काठगोदाम आने वाले पर्यटक चाहें तो यहां से 21 कि.मी. दूर स्थित छोटे-सा शहर 'भीमताल' का भी भ्रमण कर सकते हैं। यह जगह साल भर पानी से भरी रहने वाली भीमताल झील के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह का नामकरण '[[महाभारत]]' के एक पात्र [[भीम]] के नाम पर हुआ है। [[भीमताल झील]] के किनारे [[शिव|भगवान शिव]] का एक पुराना मंदिर है, जिसे 'भीमेश्वर महादेव मंदिर' के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण 17वीं [[शताब्दी]] में [[कुमाऊं मण्डल|कुमाऊं]] के राजा बाज बहादुर ने करवाया था। [[झील]] के मध्य स्थित टापू पर बना एक्वेरियम यहां की खूबसूरती में और भी इजाफा कर देता है।<ref name="aa"/> | ||
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*काठगोदाम के लिए सीधे हवाई सेवा उपलब्ध नहीं है। यहाँ से सबसे नजदीकी हवाईअड्डा पंतनगर है, जो 71 कि.मी. दूर है। यह 'इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट' से काफ़ी अच्छे से जुड़ा हुआ है और यहाँ से पंतनगर के लिए नियमित उड़ानें मिलती है। इस कारण विदेशों से आने वाले पर्यटकों को कोई दिक्कत नहीं होती। | *काठगोदाम के लिए सीधे हवाई सेवा उपलब्ध नहीं है। यहाँ से सबसे नजदीकी हवाईअड्डा पंतनगर है, जो 71 कि.मी. दूर है। यह 'इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट' से काफ़ी अच्छे से जुड़ा हुआ है और यहाँ से पंतनगर के लिए नियमित उड़ानें मिलती है। इस कारण विदेशों से आने वाले पर्यटकों को कोई दिक्कत नहीं होती। | ||
*काठगोदाम रेलवे स्टेशन उत्तर-पूर्व रेलवे के अंतर्गत आता है और यह [[भारत]] के कई प्रमुख शहरों, जैसे- [[दिल्ली]], [[लखनऊ]] और [[हावड़ा]] से सीधे जुड़ा हुआ है। | *काठगोदाम रेलवे स्टेशन उत्तर-पूर्व रेलवे के अंतर्गत आता है और यह [[भारत]] के कई प्रमुख शहरों, जैसे- [[दिल्ली]], [[लखनऊ]] और [[हावड़ा ज़िला|हावड़ा]] से सीधे जुड़ा हुआ है। | ||
*सड़क मार्ग से भी काठगोदाम पहुंचा जा सकता है। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-87 का सहारा लिया जाता है। [[गाजियाबाद]], [[दिल्ली]], [[नैनीताल]] और हल्द्वानी से काठगोदाम के लिए सीधी बस सेवा है। | *सड़क मार्ग से भी काठगोदाम पहुंचा जा सकता है। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-87 का सहारा लिया जाता है। [[गाजियाबाद]], [[दिल्ली]], [[नैनीताल]] और हल्द्वानी से काठगोदाम के लिए सीधी बस सेवा है।<ref name="aa"/> | ||
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काठगोदाम का [[तापमान]] पूरे साल सामान्य बना रहता है। यहां गर्मी का मौसम [[अप्रैल]] से [[जून]] तक रहता है। इस दौरान तापमान 15 डिग्री से 30 डिग्री के बीच रहता है। काठगोदाम घूमने का सबसे अच्छा समय [[जुलाई]] से [[नवंबर]] तक का होता है। इस दौरान यहां हल्की ठंड पड़ती है और [[मौसम]] सुहाना रहता है। | काठगोदाम का [[तापमान]] पूरे साल सामान्य बना रहता है। यहां गर्मी का मौसम [[अप्रैल]] से [[जून]] तक रहता है। इस दौरान तापमान 15 डिग्री से 30 डिग्री के बीच रहता है। काठगोदाम घूमने का सबसे अच्छा समय [[जुलाई]] से [[नवंबर]] तक का होता है। इस दौरान यहां हल्की ठंड पड़ती है और [[मौसम]] सुहाना रहता है। |
07:50, 4 जुलाई 2014 का अवतरण
काठगोदाम नैनीताल ज़िला, उत्तराखण्ड राज्य का एक शहर, जो गौला नदी की तट पर बसा कुमाऊं पर्वतों का प्रवेश द्वार है। यह एक छोटा-सा नगर है और पहाड़ के पाद प्रदेश में स्थित है। काठगोदाम पूर्वोत्तर रेलवे का अंतिम स्टेशन है। यहाँ से बरेली, लखनऊ तथा आगरा के लिए छोटी लाइन की रेल चलती है। यहाँ से नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत और पिथौरागढ़ के लिए के.एम.ओ.यू. की बसें चलती हैं। गौला नदी इसके दायें से होकर हल्द्वानी की ओर प्रवाहित होती है।
स्थिति तथा स्थापना
उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले का यह क्षेत्र समुद्र तल से 554 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हल्द्वानी-काठगोदाम उत्तराखंड का दूसरा सबसे बड़ा नगर परिषद है और इसकी स्थानपा 1942 ई. में हुई थी। काठगोदाम का शाब्दिक अर्थ होता है- "लकड़ियों का गोदाम"। यह अर्थ काफ़ी सही भी मालूम पड़ता है, क्योंकि यह शहर ज़िले में व्यापार और व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है।[1]
भाषा
काठगोदाम की स्थानीय भाषा कुमाऊंनी, हिन्दी और गड़वाली है। काफ़ी पहले काठगोदाम को लोग बिल्कुल भी नहीं जानते थे। वर्ष 1909 ई. में ब्रिटिश अंग्रेज़ सरकार ने यहां रेलवे ट्रैक बिछाए। इसके बाद काठगोदाम को चर्चा मिली।
पर्यटन स्थल
वर्ष 1984 में हल्द्वानी रेलवे लाइन को काठगोदाम तक फैला दिया गया। वर्तमान में काठगोदाम उत्तर-पूर्व रेलवे का आखिरी स्टेशन है। इस क्षेत्र के दो प्रमुख आकर्षण 'शीतला देवी' और 'कालीचौड़ का मंदिर' है। त्योहारों के मौसम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन करने आते हैं।
आस पास के स्थान
गौला नदी इस क्षेत्र का खास आकर्षण है। 'सात ताल झील' से निकलने वाली यह नदी हल्द्वानी और शाही जैसी कई जगहों से होकर गुजरती है। इस नदी के ऊपर एक बाँध भी बना हुआ है, जिसे गौला बांध के नाम से जाना जाता है। पिकनिक के लिए यह जगह काफ़ी पसंद किया जाता है। काठगोदाम आने वाले पर्यटक चाहें तो यहां से 21 कि.मी. दूर स्थित छोटे-सा शहर 'भीमताल' का भी भ्रमण कर सकते हैं। यह जगह साल भर पानी से भरी रहने वाली भीमताल झील के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह का नामकरण 'महाभारत' के एक पात्र भीम के नाम पर हुआ है। भीमताल झील के किनारे भगवान शिव का एक पुराना मंदिर है, जिसे 'भीमेश्वर महादेव मंदिर' के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में कुमाऊं के राजा बाज बहादुर ने करवाया था। झील के मध्य स्थित टापू पर बना एक्वेरियम यहां की खूबसूरती में और भी इजाफा कर देता है।[1]
सात ताल
पर्यटक 'सात ताल' का भी भ्रमण कर सकते हैं, जो काठगोदाम से 23 कि.मी. दूर है। 'सात ताल' का शाब्दिक अर्थ होता है- ‘सात झील’। यहां सात ताजे पानी के झीलें हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं। इनके नाम हैं- 'राम ताल', 'नील दमयांती ताल', 'लक्ष्मण ताल', 'खुदारिया ताल', 'पूर्णा ताल', 'सूखा ताल' और 'सीता ताल'। इन सबके अलावा यहां के कई विहंगम झरने भी काफ़ी प्रसिद्ध हैं।
कैसे पहुँचें
- काठगोदाम के लिए सीधे हवाई सेवा उपलब्ध नहीं है। यहाँ से सबसे नजदीकी हवाईअड्डा पंतनगर है, जो 71 कि.मी. दूर है। यह 'इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट' से काफ़ी अच्छे से जुड़ा हुआ है और यहाँ से पंतनगर के लिए नियमित उड़ानें मिलती है। इस कारण विदेशों से आने वाले पर्यटकों को कोई दिक्कत नहीं होती।
- काठगोदाम रेलवे स्टेशन उत्तर-पूर्व रेलवे के अंतर्गत आता है और यह भारत के कई प्रमुख शहरों, जैसे- दिल्ली, लखनऊ और हावड़ा से सीधे जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग से भी काठगोदाम पहुंचा जा सकता है। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-87 का सहारा लिया जाता है। गाजियाबाद, दिल्ली, नैनीताल और हल्द्वानी से काठगोदाम के लिए सीधी बस सेवा है।[1]
मौसम
काठगोदाम का तापमान पूरे साल सामान्य बना रहता है। यहां गर्मी का मौसम अप्रैल से जून तक रहता है। इस दौरान तापमान 15 डिग्री से 30 डिग्री के बीच रहता है। काठगोदाम घूमने का सबसे अच्छा समय जुलाई से नवंबर तक का होता है। इस दौरान यहां हल्की ठंड पड़ती है और मौसम सुहाना रहता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 काठगोदाम- श्रदालुओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 04 जुलाई, 2014।
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