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'''लोरयाअराराज''' [[बिहार]] का ऐतिहासिक [[ग्राम]] है, जो मोतीहारी से 18 मील की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है। इस ग्राम से एक मील दूर [[मौर्य]] [[अशोक|सम्राट अशोक]] का शिलास्तंभ है, जिस पर मौर्य सम्राट के छह [[अशोक के शिलालेख|अभिलेख]] अंकित हैं।


*अशोक का यह स्तंभ 37 फीट ऊंचा है।
*अशोक का यह स्तंभ 37 फीट ऊंचा है।

11:16, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

लोरयाअराराज बिहार का ऐतिहासिक ग्राम है, जो मोतीहारी से 18 मील की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है। इस ग्राम से एक मील दूर मौर्य सम्राट अशोक का शिलास्तंभ है, जिस पर मौर्य सम्राट के छह अभिलेख अंकित हैं।

  • अशोक का यह स्तंभ 37 फीट ऊंचा है।
  • स्तंभ का शीर्ष नष्ट हो गया है, किंतु जान पड़ता है कि स्तंभ पर पहले अवश्य ही किसी पशु, जैसे- वृष, सिंह, अश्व या गज, जो बुद्ध की जीवन कथा से संबंधित माने जाते हैं, की मूर्ति रही होगी।
  • यहाँ स्थित स्तंभ का अभिलेख दो भागों में उत्कीर्ण किया गया है, पहला उत्तर की ओर 18 पंक्तियों में और दूसरा दक्षिण की ओर 23 पंक्तियों में है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 824 |

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