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'''शहीद दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Martyrs' Day'') [[भारत]] में [[23 मार्च]] को माना जाता है। 23 मार्च, [[1931]] की मध्यरात्रि को अंग्रेज़ी हुकूमत ने [[भारत]] के तीन सपूतों [[भगतसिंह]], [[सुखदेव]] और [[राजगुरु]] को फांसी पर लटका दिया था। शहीद दिवस के रुप में जाना जाने वाला यह दिन यूं तो [[भारतीय इतिहास]] के लिए काला दिन माना जाता है पर स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले यह नायक हमारे आदर्श हैं।  
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'''शहीद दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Martyrs' Day'') [[भारत]] में [[23 मार्च]] को माना जाता है। 23 मार्च, [[1931]] की मध्यरात्रि को अंग्रेज़ी हुकूमत ने [[भारत]] के तीन सपूतों [[भगतसिंह]], [[सुखदेव]] और [[राजगुरु]] को फांसी पर लटका दिया था। शहीद दिवस के रूप में जाना जाने वाला यह दिन यूं तो [[भारतीय इतिहास]] के लिए काला दिन माना जाता है पर स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले यह नायक हमारे आदर्श हैं। इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है।
==इतिहास==
==इतिहास==
भारत एक महान देश है। यहां का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। यह देश अपने अंदर ऐसी कई संस्कृतियां समेटे हुए है जिसने इसे विश्व की सबसे समृद्ध [[संस्कृति]] वाला देश बनाया है। यह देश उन वीरों की कर्मभूमि भी रही है जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना इस देश के लिए कार्य किए हैं। अपने वतन के लिए प्राणों की बलि देने से भी हमारे वीर कभी पीछे नहीं हटे। देश को स्वतंत्र कराने के लिए देश के वीरों ने अपनी जान की आहुति तक दी। आज़ादी के बाद भी हमारे वीर सैनिकों ने सीमाओं पर हमारी हिफाजत के लिए अपने प्राणों को दांव पर लगाया। अदालती आदेश के मुताबिक [[भगतसिंह]], [[राजगुरु]] और [[सुखदेव]] को [[24 मार्च]], [[1931]] को फांसी लगाई जानी थी, सुबह करीब 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम करीब सात बजे फांसी लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातों रात ले जाकर [[व्यास नदी]] के किनारे जला दिए गए। अंग्रेज़ी हुकूमत ने भगतसिंह और अन्य क्रांतिकारियों की बढ़ती लोकप्रियता और 24 मार्च को होने वाले विद्रोह की वजह से 23 मार्च को ही भगतसिंह और अन्य को फांसी दे दी थी। दरअसल यह पूरी घटना भारतीय क्रांतिकारियों की अंग्रेज़ी हुकूमत को हिला देने वाली घटना की वजह से हुई। [[8 अप्रैल]] [[1929]] के दिन [[चंद्रशेखर आज़ाद]] के नेतृत्व में ‘पब्लिक सेफ्टी’ और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ के विरोध में ‘सेंट्रल असेंबली’ में बम फेंका। जैसे ही बिल संबंधी घोषणा की गई तभी भगतसिंह ने बम फेंका। इसके पश्चात क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने का दौर चला। भगत सिंह और [[बटुकेश्र्वर दत्त]] को आजीवन कारावास मिला।<ref>{{cite web |url=http://days.jagranjunction.com/2012/03/23/shahid-diwas-bhagat-singh-rajugurusukhdev/ |title=शहीद दिवस: कब क्यूं और कैसे |accessmonthday=17 मार्च |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language= हिन्दी}}</ref>
भारत एक महान देश है। यहां का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। यह देश अपने अंदर ऐसी कई संस्कृतियां समेटे हुए है जिसने इसे विश्व की सबसे समृद्ध [[संस्कृति]] वाला देश बनाया है। यह देश उन वीरों की कर्मभूमि भी रही है जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना इस देश के लिए कार्य किए हैं। अपने वतन के लिए प्राणों की बलि देने से भी हमारे वीर कभी पीछे नहीं हटे। देश को स्वतंत्र कराने के लिए देश के वीरों ने अपनी जान की आहुति तक दी। आज़ादी के बाद भी हमारे वीर सैनिकों ने सीमाओं पर हमारी हिफाजत के लिए अपने प्राणों को दांव पर लगाया। अदालती आदेश के मुताबिक [[भगतसिंह]], [[राजगुरु]] और [[सुखदेव]] को [[24 मार्च]], [[1931]] को फांसी लगाई जानी थी, सुबह क़रीब 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम क़रीब सात बजे फांसी लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातों रात ले जाकर [[व्यास नदी]] के किनारे जला दिए गए। अंग्रेज़ी हुकूमत ने भगतसिंह और अन्य क्रांतिकारियों की बढ़ती लोकप्रियता और 24 मार्च को होने वाले विद्रोह की वजह से 23 मार्च को ही भगतसिंह और अन्य को फांसी दे दी थी। दरअसल यह पूरी घटना भारतीय क्रांतिकारियों की अंग्रेज़ी हुकूमत को हिला देने वाली घटना की वजह से हुई। [[8 अप्रैल]] [[1929]] के दिन [[चंद्रशेखर आज़ाद]] के नेतृत्व में ‘पब्लिक सेफ्टी’ और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ के विरोध में ‘सेंट्रल असेंबली’ में बम फेंका। जैसे ही बिल संबंधी घोषणा की गई तभी भगतसिंह ने बम फेंका। इसके पश्चात क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने का दौर चला। भगत सिंह और [[बटुकेश्र्वर दत्त]] को आजीवन कारावास मिला।<ref>{{cite web |url=http://days.jagranjunction.com/2012/03/23/shahid-diwas-bhagat-singh-rajugurusukhdev/ |title=शहीद दिवस: कब क्यूं और कैसे |accessmonthday=17 मार्च |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language= हिन्दी}}</ref>
 
==बापू की याद में शहीद दिवस==
==बापू की याद में शहीद दिवस==
बापू की याद में भी शहीद दिवस मनाया जाता है। [[30 जनवरी]] को भी सत्य और अहिंसा के पुजारी [[महात्मा गांधी]] की पुण्यतिथि पर ‘शहीद दिवस’ मनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इस दिन सुबह 11 बजे दो मिनट का मौन रखा जाता है। उनके स्मारक को फूलों से सजाया जाता है। देश के गणमान्य व्यक्ति [[राजघाट दिल्ली|दिल्ली के राजघाट]] पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इस दिन सर्वधर्म प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं और बापू के प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजा राम,’ और ‘[[वैष्णव जन तो तेने कहिये|वैष्णव जन]]’ गाए जाते हैं। शाम के समय उनका स्मारक मोमबत्तियों से प्रकाशित किया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/lifestylenews/article1-Bapu-Martyrs-Day-non-violence-Mahatma-Gandhi-the-British-Empire-freedom-Satyagraha-non-violence-movement-the-death-anniversary-50-50-469374.html |title=बापू की याद में शहीद दिवस |accessmonthday=17 मार्च |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दुस्तान लाइव |language= हिन्दी}}</ref>
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13:13, 17 मार्च 2015 का अवतरण

शहीद दिवस
सुखदेव, भगतसिंह, राजगुरु
सुखदेव, भगतसिंह, राजगुरु
विवरण 23 मार्च, 1931 की मध्यरात्रि को अंग्रेज़ी हुकूमत ने भारत के तीन सपूतों भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था। इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है।
संबंधित लेख भारतीय क्रांति दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस
अन्य जानकारी बापू की याद में भी शहीद दिवस मनाया जाता है। 30 जनवरी को सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ‘शहीद दिवस’ मनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

शहीद दिवस (अंग्रेज़ी: Martyrs' Day) भारत में 23 मार्च को माना जाता है। 23 मार्च, 1931 की मध्यरात्रि को अंग्रेज़ी हुकूमत ने भारत के तीन सपूतों भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था। शहीद दिवस के रूप में जाना जाने वाला यह दिन यूं तो भारतीय इतिहास के लिए काला दिन माना जाता है पर स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले यह नायक हमारे आदर्श हैं। इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है।

इतिहास

भारत एक महान देश है। यहां का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। यह देश अपने अंदर ऐसी कई संस्कृतियां समेटे हुए है जिसने इसे विश्व की सबसे समृद्ध संस्कृति वाला देश बनाया है। यह देश उन वीरों की कर्मभूमि भी रही है जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना इस देश के लिए कार्य किए हैं। अपने वतन के लिए प्राणों की बलि देने से भी हमारे वीर कभी पीछे नहीं हटे। देश को स्वतंत्र कराने के लिए देश के वीरों ने अपनी जान की आहुति तक दी। आज़ादी के बाद भी हमारे वीर सैनिकों ने सीमाओं पर हमारी हिफाजत के लिए अपने प्राणों को दांव पर लगाया। अदालती आदेश के मुताबिक भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च, 1931 को फांसी लगाई जानी थी, सुबह क़रीब 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम क़रीब सात बजे फांसी लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातों रात ले जाकर व्यास नदी के किनारे जला दिए गए। अंग्रेज़ी हुकूमत ने भगतसिंह और अन्य क्रांतिकारियों की बढ़ती लोकप्रियता और 24 मार्च को होने वाले विद्रोह की वजह से 23 मार्च को ही भगतसिंह और अन्य को फांसी दे दी थी। दरअसल यह पूरी घटना भारतीय क्रांतिकारियों की अंग्रेज़ी हुकूमत को हिला देने वाली घटना की वजह से हुई। 8 अप्रैल 1929 के दिन चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में ‘पब्लिक सेफ्टी’ और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ के विरोध में ‘सेंट्रल असेंबली’ में बम फेंका। जैसे ही बिल संबंधी घोषणा की गई तभी भगतसिंह ने बम फेंका। इसके पश्चात क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने का दौर चला। भगत सिंह और बटुकेश्र्वर दत्त को आजीवन कारावास मिला।[1]

बापू की याद में शहीद दिवस

बापू की याद में भी शहीद दिवस मनाया जाता है। 30 जनवरी को सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ‘शहीद दिवस’ मनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इस दिन सुबह 11 बजे दो मिनट का मौन रखा जाता है। उनके स्मारक को फूलों से सजाया जाता है। देश के गणमान्य व्यक्ति दिल्ली के राजघाट पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इस दिन सर्वधर्म प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं और बापू के प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजा राम,’ और ‘वैष्णव जन’ गाए जाते हैं। शाम के समय उनका स्मारक मोमबत्तियों से प्रकाशित किया जाता है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शहीद दिवस: कब क्यूं और कैसे (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 17 मार्च, 2015।
  2. बापू की याद में शहीद दिवस (हिन्दी) हिन्दुस्तान लाइव। अभिगमन तिथि: 17 मार्च, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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