"मृदुला गर्ग": अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक") |
No edit summary |
||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
|संतान= | |संतान= | ||
|कर्म भूमि= | |कर्म भूमि=[[भारत]] | ||
|कर्म-क्षेत्र= | |कर्म-क्षेत्र= | ||
|मुख्य रचनाएँ= 'कठगुलाब', 'उसके हिस्से की धूप', 'जादू का कालीन', 'चितकोबरा', 'कितनी कैदें', 'टुकड़ा टुकड़ा आदमी' | |मुख्य रचनाएँ='कठगुलाब', 'उसके हिस्से की धूप', 'जादू का कालीन', 'चितकोबरा', 'कितनी कैदें', 'टुकड़ा टुकड़ा आदमी' आदि। | ||
|विषय= | |विषय= | ||
|भाषा=[[हिन्दी]] | |भाषा=[[हिन्दी]] | ||
|विद्यालय= | |विद्यालय= | ||
|शिक्षा= एम.ए. | |शिक्षा= एम.ए. | ||
|पुरस्कार-उपाधि=[[व्यास सम्मान]] (2004), [[साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी]], [[साहित्यकार सम्मान]], साहित्य भूषण सम्मान | |पुरस्कार-उपाधि=[[व्यास सम्मान]] (2004), [[साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी]], [[साहित्यकार सम्मान]], साहित्य भूषण सम्मान आदि। | ||
|प्रसिद्धि= | |प्रसिद्धि= | ||
|विशेष योगदान= | |विशेष योगदान= | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
|अद्यतन={{अद्यतन|15:34, 9 मार्च 2015 (IST)}} | |अद्यतन={{अद्यतन|15:34, 9 मार्च 2015 (IST)}} | ||
}} | }} | ||
'''मृदुला गर्ग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mridula Garg'', जन्म: 25 अक्तूबर, 1938) [[हिंदी]] की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। [[कोलकाता]] में [[25 अक्तूबर]], [[1938]] को पैदा हुई मृदुला जी ने एम.ए. तो किया था [[अर्थशास्त्र]] में, पर उनका मन रमा [[हिंदी साहित्य]] में। कथानक की विविधता और विषयों के नएपन ने उन्हें अलग पहचान दी। शायद यही वजह थी कि उनके उपन्यासों को समालोचकों की सराहना तो मिली ही, वे खूब पसंद भी किए गए। | '''मृदुला गर्ग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mridula Garg'', जन्म: [[25 अक्तूबर]], [[1938]]) [[हिंदी]] की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। [[कोलकाता]] में [[25 अक्तूबर]], [[1938]] को पैदा हुई मृदुला जी ने एम.ए. तो किया था [[अर्थशास्त्र]] में, पर उनका मन रमा [[हिंदी साहित्य]] में। कथानक की विविधता और विषयों के नएपन ने उन्हें अलग पहचान दी। शायद यही वजह थी कि उनके [[उपन्यास|उपन्यासों]] को समालोचकों की सराहना तो मिली ही, वे खूब पसंद भी किए गए। | ||
==कार्यक्षेत्र== | ==कार्यक्षेत्र== | ||
अध्यापन से अपने कार्यजीवन का प्रारंभ करने वाली मृदुली गर्ग ने उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह सब मिलाकर उन्होंने 20 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। इसके अतिरिक्त वे स्तंभकार रही हैं, पर्यावरण के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उन्होंने [[इंडिया टुडे]] के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। वे [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के कोलंबिया विश्वविद्यालय में [[1990]] में आयोजित एक सम्मेलन में [[हिंदी साहित्य]] में महिलाओं के प्रति भेदभाव विषय पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं। उनकी रचनाओं के [[अनुवाद]] जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेज़ी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में हो चुके हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.abhivyakti-hindi.org/lekhak/m/mridula_garg.htm |title=मृदुला गर्ग |accessmonthday=9 मार्च |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अभिव्यक्ति |language=हिन्दी }}</ref> | अध्यापन से अपने कार्यजीवन का प्रारंभ करने वाली मृदुली गर्ग ने उपन्यास, कहानी संग्रह, [[नाटक]] तथा [[निबंध]] संग्रह सब मिलाकर उन्होंने 20 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। इसके अतिरिक्त वे स्तंभकार रही हैं, [[पर्यावरण]] के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उन्होंने [[इंडिया टुडे]] के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। वे [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के कोलंबिया विश्वविद्यालय में [[1990]] में आयोजित एक सम्मेलन में [[हिंदी साहित्य]] में महिलाओं के प्रति भेदभाव विषय पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं। उनकी रचनाओं के [[अनुवाद]] जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेज़ी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में हो चुके हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.abhivyakti-hindi.org/lekhak/m/mridula_garg.htm |title=मृदुला गर्ग |accessmonthday=9 मार्च |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अभिव्यक्ति |language=हिन्दी }}</ref> | ||
==प्रमुख कृतियाँ== | ==प्रमुख कृतियाँ== | ||
{| class="bharattable-pink" | {| class="bharattable-pink" | ||
पंक्ति 73: | पंक्ति 73: | ||
|} | |} | ||
==सम्मान और पुरस्कार== | ==सम्मान और पुरस्कार== | ||
मृदुला गर्ग को [[हिंदी अकादमी]] द्वारा 1988 में [[साहित्यकार सम्मान]], [[उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान]] द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, [[2003]] में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, [[2004]] में 'कठगुलाब' के लिए [[व्यास सम्मान]] तथा [[2003]] में 'कठगुलाब' के लिए ही [[भारतीय ज्ञानपीठ|ज्ञानपीठ]] का वाग्देवी पुरस्कार, वर्ष 2013 का [[साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी]] उनकी कृति 'मिलजुल मन' उपन्यास के लिए प्रदान किया गया है। 'उसके हिस्से की धूप' उपन्यास को [[1975]] में तथा 'जादू का कालीन' को [[1993]] में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है। | मृदुला गर्ग को [[हिंदी अकादमी]] द्वारा [[1988]] में [[साहित्यकार सम्मान]], [[उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान]] द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, [[2003]] में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, [[2004]] में 'कठगुलाब' के लिए [[व्यास सम्मान]] तथा [[2003]] में 'कठगुलाब' के लिए ही [[भारतीय ज्ञानपीठ|ज्ञानपीठ]] का वाग्देवी पुरस्कार, वर्ष 2013 का [[साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी]] उनकी कृति 'मिलजुल मन' उपन्यास के लिए प्रदान किया गया है। 'उसके हिस्से की धूप' उपन्यास को [[1975]] में तथा 'जादू का कालीन' को [[1993]] में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है। | ||
05:25, 25 अक्टूबर 2017 का अवतरण
मृदुला गर्ग
| |
पूरा नाम | मृदुला गर्ग |
जन्म | 25 अक्तूबर, 1938 |
जन्म भूमि | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | 'कठगुलाब', 'उसके हिस्से की धूप', 'जादू का कालीन', 'चितकोबरा', 'कितनी कैदें', 'टुकड़ा टुकड़ा आदमी' आदि। |
भाषा | हिन्दी |
शिक्षा | एम.ए. |
पुरस्कार-उपाधि | व्यास सम्मान (2004), साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी, साहित्यकार सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान आदि। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | 'उसके हिस्से की धूप' नामक उपन्यास को 1975 में तथा 'जादू का कालीन' को 1993 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है। |
अद्यतन | 15:34, 9 मार्च 2015 (IST)
|
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
मृदुला गर्ग (अंग्रेज़ी: Mridula Garg, जन्म: 25 अक्तूबर, 1938) हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। कोलकाता में 25 अक्तूबर, 1938 को पैदा हुई मृदुला जी ने एम.ए. तो किया था अर्थशास्त्र में, पर उनका मन रमा हिंदी साहित्य में। कथानक की विविधता और विषयों के नएपन ने उन्हें अलग पहचान दी। शायद यही वजह थी कि उनके उपन्यासों को समालोचकों की सराहना तो मिली ही, वे खूब पसंद भी किए गए।
कार्यक्षेत्र
अध्यापन से अपने कार्यजीवन का प्रारंभ करने वाली मृदुली गर्ग ने उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह सब मिलाकर उन्होंने 20 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। इसके अतिरिक्त वे स्तंभकार रही हैं, पर्यावरण के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उन्होंने इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में 1990 में आयोजित एक सम्मेलन में हिंदी साहित्य में महिलाओं के प्रति भेदभाव विषय पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं। उनकी रचनाओं के अनुवाद जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेज़ी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में हो चुके हैं।[1]
प्रमुख कृतियाँ
|
|
|
सम्मान और पुरस्कार
मृदुला गर्ग को हिंदी अकादमी द्वारा 1988 में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, 2003 में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, 2004 में 'कठगुलाब' के लिए व्यास सम्मान तथा 2003 में 'कठगुलाब' के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार, वर्ष 2013 का साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी उनकी कृति 'मिलजुल मन' उपन्यास के लिए प्रदान किया गया है। 'उसके हिस्से की धूप' उपन्यास को 1975 में तथा 'जादू का कालीन' को 1993 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मृदुला गर्ग (हिन्दी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 9 मार्च, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
- मृदुला गर्ग के साथ एक साक्षात्कार (यू-ट्यूब)
- मृदुला गर्ग की पुस्तकें
- 21वीं सदी की 25 श्रेष्ठ हिंदी लेखिकाएं
- मृदुला गर्ग का उपन्यास 'मिलजुल मन'
- कठगुलाब (उपन्यास)
संबंधित लेख