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'''सुहोत्र''' [[हिन्दू]] मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार एक राजा थे तथा राजा भरत के पौत्र तथा भुमन्‍यु के पुत्र थे।<ref>{{cite web |url=http://hi.krishnakosh.org/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4_%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5_%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF_94_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95_22-41|title=महाभारत आदि पर्व|accessmonthday=3 फरवरी|accessyear=2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कृष्णकोश|language=हिन्दी}}</ref>
'''सुहोत्र''' [[हिन्दू]] मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार एक राजा थे तथा राजा भरत के पौत्र तथा भुमन्‍यु के पुत्र थे।  
*राजा सुहोत्र की माता का नाम पुप्‍करिणि था, तथा इनके अन्य भाई भी थे, जिसमे सुहोत्र ज्‍येष्ठ थे अत: उन्‍हीं को राज्‍य मिला था।
*राजा सुहोत्र की माता का नाम पुप्‍करिणि था, तथा इनके अन्य भाई भी थे, जिसमे सुहोत्र ज्‍येष्ठ थे अत: उन्‍हीं को राज्‍य मिला था।
*सुहोत्र ने राजसूय तथा अश्वमेध आदि अनेक यज्ञों द्वारा यजन किया और समुद्र पर्यन्‍त सम्‍पूर्ण पृथ्‍वी, जो हाथी-घोड़ों से परिपूर्ण तथा अनेक प्रकार के रत्नों से सम्‍पन्न थी, उपभोग किया। जब राजा सुहोत्र धर्मपूर्वक प्रजा का शासन करते थे।
*सुहोत्र ने राजसूय तथा अश्वमेध आदि अनेक यज्ञों द्वारा यजन किया और समुद्र पर्यन्‍त सम्‍पूर्ण पृथ्‍वी, जो हाथी-घोड़ों से परिपूर्ण तथा अनेक प्रकार के रत्नों से सम्‍पन्न थी, उपभोग किया। जब राजा सुहोत्र धर्मपूर्वक प्रजा का शासन करते थे।

07:12, 26 फ़रवरी 2016 का अवतरण

सुहोत्र हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार एक राजा थे तथा राजा भरत के पौत्र तथा भुमन्‍यु के पुत्र थे।

  • राजा सुहोत्र की माता का नाम पुप्‍करिणि था, तथा इनके अन्य भाई भी थे, जिसमे सुहोत्र ज्‍येष्ठ थे अत: उन्‍हीं को राज्‍य मिला था।
  • सुहोत्र ने राजसूय तथा अश्वमेध आदि अनेक यज्ञों द्वारा यजन किया और समुद्र पर्यन्‍त सम्‍पूर्ण पृथ्‍वी, जो हाथी-घोड़ों से परिपूर्ण तथा अनेक प्रकार के रत्नों से सम्‍पन्न थी, उपभोग किया। जब राजा सुहोत्र धर्मपूर्वक प्रजा का शासन करते थे।
  • राजा सुहोत्र का विवाह ऐक्ष्वाकी से हुआ था, जिनसे अजमीढ़, सुसीढ़ तथा पुरुमीढ़ नामक तीन पुत्रों का जन्‍म हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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