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'''जटासुर''' | '''जटासुर''' [[हिन्दू]] पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार एक [[असुर]] था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= महाभारत शब्दकोश|लेखक= एस. पी. परमहंस|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= 48|url=}}</ref> | ||
*[[भीमसेन]] की अनुपस्थिति में अकस्मात इस [[राक्षस]] ने [[युधिष्ठिर|धर्मराज युधिष्ठिर]], [[नकुल]], [[सहदेव]] तथा [[द्रौपदी]] को हर लिया था। | |||
*यह [[ब्राह्मण]] के वेश में प्रतिदिन उन्हीं के साथ रहता था और सब [[पाण्डव|पाण्डवों]] से कहता था कि में सम्पूर्ण [[शास्त्र|शास्त्रों]] में श्रेष्ठ और मंत्र-कुशल ब्राह्मण हूँ। | |||
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07:26, 19 अप्रैल 2016 के समय का अवतरण
जटासुर | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जटासुर (बहुविकल्पी) |
जटासुर हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के उल्लेखानुसार एक असुर था।[1]
- भीमसेन की अनुपस्थिति में अकस्मात इस राक्षस ने धर्मराज युधिष्ठिर, नकुल, सहदेव तथा द्रौपदी को हर लिया था।
- यह ब्राह्मण के वेश में प्रतिदिन उन्हीं के साथ रहता था और सब पाण्डवों से कहता था कि में सम्पूर्ण शास्त्रों में श्रेष्ठ और मंत्र-कुशल ब्राह्मण हूँ।
- यह कुन्ती-कुमारों के तरकस और धनुष को भी हर लेना चाहता था और द्रौपदी का अपहरण करने के लिये सदा अवसर ढूंढता रहता था, यह दुष्टात्मा एवं पापबुद्धि था।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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