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'''देवकी का बेटा''' [[हिन्दी]] के प्रसिद्धि प्राप्त साहित्यकार और उपन्यासकार [[रांगेय राघव]] द्वारा लिखा गया उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' ने किया था। अपने उपन्यास "देवकी का बेटा" में राघव जी ने जननायक [[श्रीकृष्ण]] का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है। | '''देवकी का बेटा''' [[हिन्दी]] के प्रसिद्धि प्राप्त साहित्यकार और उपन्यासकार [[रांगेय राघव]] द्वारा लिखा गया उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' ने किया था। अपने उपन्यास "देवकी का बेटा" में राघव जी ने जननायक [[श्रीकृष्ण]] का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है। | ||
डॉ. रांगेय राघव जी ने 1950 ई. के पश्चात् कई जीवनी प्रधान उपन्यास लिखे हैं, इनका पहला उपन्यास सन् 1951-1953 ई. के बीच प्रकाशित हुआ। '[[भारती का सपूत -रांगेय राघव|भारती का सपूत]]' जो [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] के जीवनी पर आधारित है। तत्पश्चात् विद्यापति के जीवन पर 'लखिमा के | डॉ. रांगेय राघव जी ने 1950 ई. के पश्चात् कई जीवनी प्रधान उपन्यास लिखे हैं, इनका पहला उपन्यास सन् 1951-1953 ई. के बीच प्रकाशित हुआ। '[[भारती का सपूत -रांगेय राघव|भारती का सपूत]]' जो [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] के जीवनी पर आधारित है। तत्पश्चात् विद्यापति के जीवन पर 'लखिमा के आँखेंं', [[बिहारी]] के जीवन पर 'मेरी भव बाधा हरो', [[तुलसी]] के जीवन पर 'रत्ना की बात', [[कबीर]]- जीवन पर '[[लोई का ताना -रांगेय राघव|लोई का ताना]]' और 'धूनी का धुंआं' [[गोरखनाथ]] के जीवन पर कृति है। 'यशोधरा जीत गई है', [[गौतम बुद्ध]] पर लिखा गया है। 'देवकी का बेटा' [[कृष्ण]] के जीवन पर आधारित है।<ref>{{cite web |url=http://vangmaypatrika.blogspot.in/2010/12/blog-post_22.html |title=जीवनीपरक साहित्यकारों में डॉ. रांगेय राघव |accessmonthday=24 जनवरी |accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref> | ||
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05:45, 4 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
देवकी का बेटा -रांगेय राघव
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लेखक | रांगेय राघव |
प्रकाशक | राजपाल एंड संस |
ISBN | 81-7028-383-3 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 130 |
भाषा | हिन्दी |
प्रकार | उपन्यास |
देवकी का बेटा हिन्दी के प्रसिद्धि प्राप्त साहित्यकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' ने किया था। अपने उपन्यास "देवकी का बेटा" में राघव जी ने जननायक श्रीकृष्ण का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है।
डॉ. रांगेय राघव जी ने 1950 ई. के पश्चात् कई जीवनी प्रधान उपन्यास लिखे हैं, इनका पहला उपन्यास सन् 1951-1953 ई. के बीच प्रकाशित हुआ। 'भारती का सपूत' जो भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के जीवनी पर आधारित है। तत्पश्चात् विद्यापति के जीवन पर 'लखिमा के आँखेंं', बिहारी के जीवन पर 'मेरी भव बाधा हरो', तुलसी के जीवन पर 'रत्ना की बात', कबीर- जीवन पर 'लोई का ताना' और 'धूनी का धुंआं' गोरखनाथ के जीवन पर कृति है। 'यशोधरा जीत गई है', गौतम बुद्ध पर लिखा गया है। 'देवकी का बेटा' कृष्ण के जीवन पर आधारित है।[1]
- रांगेय राघव ने विशिष्ट काव्य कलाकारों और महापुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक माला लिखकर साहित्य की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है।
- इस उपन्यास में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के साथ संबद्ध अनेकानेक अलौकिक घटनाओं को लेखक ने वैज्ञानिक कसौटी पर रखकर उन सबका संगत अर्थ दिया है।
- लेखक ने उपन्यास में कृष्ण को एक महान् पुरुषार्थी, त्यागी, कर्मठ और जीवन को एक विशिष्ट मोड़ देने वाले एक सामान्य मनुष्य के रूप में चित्रित किया है।
- 'देवकी का बेटा' में समय के धुंधलके और कुहासे से ढके एक महान् ऐतिहासिक पुरुष के चरित्र को बहुत ही स्पष्ट, यथार्थसंगत और प्रामाणिक रूप में चित्रित किया गया है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जीवनीपरक साहित्यकारों में डॉ. रांगेय राघव (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।
- ↑ देवकी का बेटा (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।