"महेश भट्ट": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 28: | पंक्ति 28: | ||
|शीर्षक 2= | |शीर्षक 2= | ||
|पाठ 2= | |पाठ 2= | ||
|अन्य जानकारी=इनके द्वारा निर्देशित | |अन्य जानकारी=इनके द्वारा निर्देशित फ़िल्म सारांश (1984) को मॉस्को अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म उत्सव में दिखाया गया था और साथ ही इसके कहानी लिखने के कारण इन्हें सर्वश्रेष्ठ कहानी का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। | ||
|बाहरी कड़ियाँ= | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
|अद्यतन={{अद्यतन|16:37, 17 नवम्बर 2017 (IST)}} | |अद्यतन={{अद्यतन|16:37, 17 नवम्बर 2017 (IST)}} | ||
}} | }} | ||
'''महेश भट्ट''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mahesh Bhatt'', जन्म: [[20 सितंबर]], [[1948]]) भारतीय हिन्दी | '''महेश भट्ट''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mahesh Bhatt'', जन्म: [[20 सितंबर]], [[1948]]) भारतीय हिन्दी फ़िल्म निर्माता-निर्देशक एवं पटकथा लेखक हैं। उनके शुरुआती निर्देशन करियर के दौरान उन्होंने कई बहुप्रशंसित फिल्में दी हैं जैसे अर्थ, सारांश, जानम, नाम, सड़क, जख्म। इन्होंने मंज़िलें और भी हैं (1974) से अपने निर्देशन कार्य की शुरुआत की थी। इनके द्वारा निर्देशित फ़िल्म सारांश (1984) को मॉस्को अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म उत्सव में दिखाया गया था और साथ ही इसके कहानी लिखने के कारण इन्हें सर्वश्रेष्ठ कहानी का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। यह अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ कब्ज़ा (1988) नामक फ़िल्म के निर्माण के साथ ही निर्माता भी बन गए। महेश भट्ट हमेशा नए प्रतिभाशाली कलाकारों को बढ़ावा देते हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
महेश भट्ट का जन्म [[20 सितंबर]], [[1948]] को बॉम्बे (अब [[मुंबई]]) में हुआ था। उनके पिता का नाम नानाभाई भट्ट और मां का नाम शिरीन मोहम्मद अली है। भट्ट के पिता गुजराती ब्राह्मण थे और उनकी मां गुजराती शिया मुस्लिम थीं। उनके भाई मुकेश भट्ट भी भारतीय फिल्म निर्माता हैं। उनकी स्कूली पढ़ाई डॉन बोस्को हाई स्कूल, माटुंगा से हुई थी। स्कूल के दौरान ही उन्होंने पैसा कमाने के लिए समर जॉब्स शुरू कर दी थी। उन्होंने प्रोडक्ट एडवरटीजमेंट्स भी बनाए। | महेश भट्ट का जन्म [[20 सितंबर]], [[1948]] को बॉम्बे (अब [[मुंबई]]) में हुआ था। उनके पिता का नाम नानाभाई भट्ट और मां का नाम शिरीन मोहम्मद अली है। भट्ट के पिता गुजराती ब्राह्मण थे और उनकी मां गुजराती शिया मुस्लिम थीं। उनके भाई मुकेश भट्ट भी भारतीय फिल्म निर्माता हैं। उनकी स्कूली पढ़ाई डॉन बोस्को हाई स्कूल, माटुंगा से हुई थी। स्कूल के दौरान ही उन्होंने पैसा कमाने के लिए समर जॉब्स शुरू कर दी थी। उन्होंने प्रोडक्ट एडवरटीजमेंट्स भी बनाए। | ||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
==कार्यक्षेत्र== | ==कार्यक्षेत्र== | ||
26 साल की उम्र में महेश भट्ट ने निर्देशक के तौर पर फिल्म 'मंजिलें और भी हैं' से [[बॉलीवुड]] में अपना पदार्पण किया। इसके बाद 1979 में आई 'लहू के दो रंग' जिसमें [[शबाना आज़मी]] और [[विनोद खन्ना]] मुख्य भूमिका में थे, इसने 1980 के फिल्मफेयर अवार्ड्स में दो पुरस्कार जीते। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर औसत से ऊपर प्रदर्शन किया। उनकी पहली बड़ी हिट 'अर्थ' थी। इसके बाद उनकी 'जानम' और 'नाम' को भी काफी पसंद किया गया। ऐसा कहा जाता है कि इन फिल्मों से उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन को पर्दे पर उकेरने की कोशिश की। फिल्म 'सारांश' को भी लोगों ने काफी पसंद किया और [[अनुपम खेर]] के जीवन की भी यह अहम फिल्म रही। सारांश को 14वें मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी प्रवेश मिला था। 1987 में वे निर्माता बन गए जब उन्होंने अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ मिलकर 'विशेष फिल्म्स' नाम से अपना प्रोडक्शन हाऊस शुरू कर दिया। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के वे जाने माने निर्देशक बन गए जब उन्होंने डैडी, आवारगी, आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, गुमराह जैसी फिल्में दीं। वे मुकेश भट्ट के साथ फिल्म प्रोडक्शन हाऊस 'विशेष फिल्म्स' के सह-मालिक हैं। वे यूएस नानप्राफिट टीचएड्स के सलाहकार मंडल के सदस्य भी हैं। महेश भट्ट [[पुणे]] स्थित [[भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान]] के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।<ref>{{cite web |url=https://hindi.filmibeat.com/celebs/mahesh-bhatt/biography.html|title=महेश भट्ट|accessmonthday=17 नवबंर|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink=|format= |publisher=|language=हिन्दी}}</ref> | 26 साल की उम्र में महेश भट्ट ने निर्देशक के तौर पर फिल्म 'मंजिलें और भी हैं' से [[बॉलीवुड]] में अपना पदार्पण किया। इसके बाद 1979 में आई 'लहू के दो रंग' जिसमें [[शबाना आज़मी]] और [[विनोद खन्ना]] मुख्य भूमिका में थे, इसने 1980 के फिल्मफेयर अवार्ड्स में दो पुरस्कार जीते। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर औसत से ऊपर प्रदर्शन किया। उनकी पहली बड़ी हिट 'अर्थ' थी। इसके बाद उनकी 'जानम' और 'नाम' को भी काफी पसंद किया गया। ऐसा कहा जाता है कि इन फिल्मों से उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन को पर्दे पर उकेरने की कोशिश की। फिल्म 'सारांश' को भी लोगों ने काफी पसंद किया और [[अनुपम खेर]] के जीवन की भी यह अहम फिल्म रही। सारांश को 14वें मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी प्रवेश मिला था। 1987 में वे निर्माता बन गए जब उन्होंने अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ मिलकर 'विशेष फिल्म्स' नाम से अपना प्रोडक्शन हाऊस शुरू कर दिया। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के वे जाने माने निर्देशक बन गए जब उन्होंने डैडी, आवारगी, आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, गुमराह जैसी फिल्में दीं। वे मुकेश भट्ट के साथ फिल्म प्रोडक्शन हाऊस 'विशेष फिल्म्स' के सह-मालिक हैं। वे यूएस नानप्राफिट टीचएड्स के सलाहकार मंडल के सदस्य भी हैं। महेश भट्ट [[पुणे]] स्थित [[भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान]] के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।<ref>{{cite web |url=https://hindi.filmibeat.com/celebs/mahesh-bhatt/biography.html|title=महेश भट्ट|accessmonthday=17 नवबंर|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink=|format= |publisher=|language=हिन्दी}}</ref> | ||
==प्रमुख | ==प्रमुख फ़िल्में== | ||
* मंजिलें और भी हैं | * मंजिलें और भी हैं | ||
* लहू के दो रंग | * लहू के दो रंग | ||
पंक्ति 78: | पंक्ति 78: | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[https://short-biography.com/mahesh-bhatt.htm Mahesh Bhatt] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{फ़िल्म निर्माता और निर्देशक}} | {{फ़िल्म निर्माता और निर्देशक}} |
11:50, 17 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
महेश भट्ट
| |
पूरा नाम | महेश भट्ट |
जन्म | 20 सितंबर, 1948 |
जन्म भूमि | मुंबई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | पिता- नानाभाई भट्ट और माता- शिरीन मोहम्मद अली |
पति/पत्नी | किरण भट्ट, सोनी राजदान |
संतान | पूजा भट्ट और राहुल भट्ट[1]; शाहीन भट्ट और आलिया भट्ट[2] |
मुख्य फ़िल्में | अर्थ, सारांश, जानम, नाम, सड़क, जख्म आदि |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | इनके द्वारा निर्देशित फ़िल्म सारांश (1984) को मॉस्को अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म उत्सव में दिखाया गया था और साथ ही इसके कहानी लिखने के कारण इन्हें सर्वश्रेष्ठ कहानी का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। |
अद्यतन | 16:37, 17 नवम्बर 2017 (IST)
|
महेश भट्ट (अंग्रेज़ी: Mahesh Bhatt, जन्म: 20 सितंबर, 1948) भारतीय हिन्दी फ़िल्म निर्माता-निर्देशक एवं पटकथा लेखक हैं। उनके शुरुआती निर्देशन करियर के दौरान उन्होंने कई बहुप्रशंसित फिल्में दी हैं जैसे अर्थ, सारांश, जानम, नाम, सड़क, जख्म। इन्होंने मंज़िलें और भी हैं (1974) से अपने निर्देशन कार्य की शुरुआत की थी। इनके द्वारा निर्देशित फ़िल्म सारांश (1984) को मॉस्को अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म उत्सव में दिखाया गया था और साथ ही इसके कहानी लिखने के कारण इन्हें सर्वश्रेष्ठ कहानी का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। यह अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ कब्ज़ा (1988) नामक फ़िल्म के निर्माण के साथ ही निर्माता भी बन गए। महेश भट्ट हमेशा नए प्रतिभाशाली कलाकारों को बढ़ावा देते हैं।
जीवन परिचय
महेश भट्ट का जन्म 20 सितंबर, 1948 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था। उनके पिता का नाम नानाभाई भट्ट और मां का नाम शिरीन मोहम्मद अली है। भट्ट के पिता गुजराती ब्राह्मण थे और उनकी मां गुजराती शिया मुस्लिम थीं। उनके भाई मुकेश भट्ट भी भारतीय फिल्म निर्माता हैं। उनकी स्कूली पढ़ाई डॉन बोस्को हाई स्कूल, माटुंगा से हुई थी। स्कूल के दौरान ही उन्होंने पैसा कमाने के लिए समर जॉब्स शुरू कर दी थी। उन्होंने प्रोडक्ट एडवरटीजमेंट्स भी बनाए।
विवाह
महेश भट्ट ने किरन भट्ट (लॉरेन ब्राइट) से शादी की थी जिनसे उनकी मुलाकात स्कूल के दौरान ही हुई थी। इनके दो बच्चे हैं- पूजा भट्ट और राहुल भट्ट। उनके किरन के साथ रोमांस से ही प्रेरित होकर उन्होंने फिल्म 'आशिकी' बनाई लेकिन शुरूआती करियर में आई कठिनाईयों और परवीन बॉबी से चले उनके अफेयर की वजह से यह शादी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई। बाद में भट्ट अभिनेत्री सोनी राजदान के प्यार में पड़ गए और उनसे शादी कर ली। इनके भी दो बच्चे हैं- शाहीन भट्ट और आलिया भट्ट।
कार्यक्षेत्र
26 साल की उम्र में महेश भट्ट ने निर्देशक के तौर पर फिल्म 'मंजिलें और भी हैं' से बॉलीवुड में अपना पदार्पण किया। इसके बाद 1979 में आई 'लहू के दो रंग' जिसमें शबाना आज़मी और विनोद खन्ना मुख्य भूमिका में थे, इसने 1980 के फिल्मफेयर अवार्ड्स में दो पुरस्कार जीते। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर औसत से ऊपर प्रदर्शन किया। उनकी पहली बड़ी हिट 'अर्थ' थी। इसके बाद उनकी 'जानम' और 'नाम' को भी काफी पसंद किया गया। ऐसा कहा जाता है कि इन फिल्मों से उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन को पर्दे पर उकेरने की कोशिश की। फिल्म 'सारांश' को भी लोगों ने काफी पसंद किया और अनुपम खेर के जीवन की भी यह अहम फिल्म रही। सारांश को 14वें मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी प्रवेश मिला था। 1987 में वे निर्माता बन गए जब उन्होंने अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ मिलकर 'विशेष फिल्म्स' नाम से अपना प्रोडक्शन हाऊस शुरू कर दिया। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के वे जाने माने निर्देशक बन गए जब उन्होंने डैडी, आवारगी, आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, गुमराह जैसी फिल्में दीं। वे मुकेश भट्ट के साथ फिल्म प्रोडक्शन हाऊस 'विशेष फिल्म्स' के सह-मालिक हैं। वे यूएस नानप्राफिट टीचएड्स के सलाहकार मंडल के सदस्य भी हैं। महेश भट्ट पुणे स्थित भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।[3]
प्रमुख फ़िल्में
- मंजिलें और भी हैं
- लहू के दो रंग
- अर्थ
- सारांश
- नाम
- कब्जा
- डैडी
- आवारगी
- जुर्म
- आशिकी
- स्वयं
- सर
- हम हैं राही प्यार के
- क्रिमिनल
- दस्तक
- तमन्ना
- डुप्लिकेट
- जख्म
- कारतूस
- संघर्ष
- राज
- मर्डर
- रोग
- जहर
- कलयुग
- गैंग्सटर
- वो लम्हे
- तुम मिले
- जिस्म 2
- मर्डर 3
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख