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'''धनराज भगत''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dhanraj Bhaghat'', जन्म- [[20 दिसम्बर]], [[1917]], [[लाहौर]]<ref>{{cite web |url=https://www.tgtpgtkala.com/2020/12/dhanraj-bhagat.html |title=मूर्तिकार धनराज भगत की कला|accessmonthday=14 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=tgtpgtkala.com |language=हिंदी}}</ref>, आज़ादी पूर्व [[भारत]]; मृत्यु- [[1988]]) मूर्तिकार होने के साथ चित्रकार भी थे। लेकिन मुख्य रूप से वह एक मूर्तिकार के रूप में ही जाने गये। धनराज भगत के मूर्तिशिल्प यथार्थवादी होने के साथ ही धनवाद से भी प्रभावित हैं। उन्होंने पत्थर, काष्ठ, सीमेंट, लकड़ी आदि का प्रयोग करते हुए अपने शिल्प बनाये। | {{सूचना बक्सा कलाकार | ||
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}}'''धनराज भगत''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dhanraj Bhaghat'', जन्म- [[20 दिसम्बर]], [[1917]], [[लाहौर]]<ref>{{cite web |url=https://www.tgtpgtkala.com/2020/12/dhanraj-bhagat.html |title=मूर्तिकार धनराज भगत की कला|accessmonthday=14 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=tgtpgtkala.com |language=हिंदी}}</ref>, आज़ादी पूर्व [[भारत]]; मृत्यु- [[1988]]) मूर्तिकार होने के साथ चित्रकार भी थे। लेकिन मुख्य रूप से वह एक मूर्तिकार के रूप में ही जाने गये। धनराज भगत के मूर्तिशिल्प यथार्थवादी होने के साथ ही धनवाद से भी प्रभावित हैं। उन्होंने पत्थर, काष्ठ, सीमेंट, लकड़ी आदि का प्रयोग करते हुए अपने शिल्प बनाये। | |||
==शिक्षा== | ==शिक्षा== | ||
धनराज भगत ने मेयो कॉलेज ऑफ आर्ट्स, लाहौर से मूर्ति कला में डिप्लोमा प्राप्त किया। वह [[दिल्ली महाविद्यालय]] में विभागाध्यक्ष भी रहे और यहीं से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने मेसी पेपर धातु, कास्ट, प्रस्तर व सीमेंट धातु आदि माध्यमों से अपने मूर्ति शिल्पों की रचना की।<ref name="pp">{{cite web |url=https://fineartist.in/%e0%a4%a7%e0%a4%a8%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c-%e0%a4%ad%e0%a4%97%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80-dhanraj-bhaghat-in-hindi/ |title=धनराज भगत जीवनी|accessmonthday=14 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=fineartist.in |language=हिंदी}}</ref> | धनराज भगत ने मेयो कॉलेज ऑफ आर्ट्स, लाहौर से मूर्ति कला में डिप्लोमा प्राप्त किया। वह [[दिल्ली महाविद्यालय]] में विभागाध्यक्ष भी रहे और यहीं से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने मेसी पेपर धातु, कास्ट, प्रस्तर व सीमेंट धातु आदि माध्यमों से अपने मूर्ति शिल्पों की रचना की।<ref name="pp">{{cite web |url=https://fineartist.in/%e0%a4%a7%e0%a4%a8%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c-%e0%a4%ad%e0%a4%97%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80-dhanraj-bhaghat-in-hindi/ |title=धनराज भगत जीवनी|accessmonthday=14 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=fineartist.in |language=हिंदी}}</ref> | ||
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धनराज भगत
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पूरा नाम | धनराज भगत |
जन्म | 20 दिसम्बर, 1917 |
जन्म भूमि | लाहौर, अविभाजित भारत |
मृत्यु | 1988 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | मूर्तिकला, चित्रकला |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री (1977) |
प्रसिद्धि | मूर्तिकार व चित्रकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | 'कॉस्मिक मैन'- धनराज भगत का यह प्रसिद्ध मूर्तिशिल्प सीमेंट व प्लास्टर से बनाया गया है। वर्तमान में यह ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में संग्रहीत है। |
धनराज भगत (अंग्रेज़ी: Dhanraj Bhaghat, जन्म- 20 दिसम्बर, 1917, लाहौर[1], आज़ादी पूर्व भारत; मृत्यु- 1988) मूर्तिकार होने के साथ चित्रकार भी थे। लेकिन मुख्य रूप से वह एक मूर्तिकार के रूप में ही जाने गये। धनराज भगत के मूर्तिशिल्प यथार्थवादी होने के साथ ही धनवाद से भी प्रभावित हैं। उन्होंने पत्थर, काष्ठ, सीमेंट, लकड़ी आदि का प्रयोग करते हुए अपने शिल्प बनाये।
शिक्षा
धनराज भगत ने मेयो कॉलेज ऑफ आर्ट्स, लाहौर से मूर्ति कला में डिप्लोमा प्राप्त किया। वह दिल्ली महाविद्यालय में विभागाध्यक्ष भी रहे और यहीं से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने मेसी पेपर धातु, कास्ट, प्रस्तर व सीमेंट धातु आदि माध्यमों से अपने मूर्ति शिल्पों की रचना की।[2]
पुरस्कार
- धनराज भगत की कला साधना को 1977 ई. पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
- सन 2010 में राजकीय कला महाविद्यालय, चंडीगढ़ में धनराज भगत स्कल्पचर पार्क की स्थापना हुई।
प्रमुख मूर्ति शिल्प
- घोड़े की नालबंदी
- द किंग
- बांसुरी वादक
- सितार वादक
- कॉस्मिक मैन
- शीर्षक हीन
- मोनार्क श्रंखला
- शिवा नृत्य
कॉस्मिक मैन - यह मूर्ति शिल्प सीमेंट व प्लास्टर से बनाया गया है। वर्तमान में यह मूर्ति शिल्प ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में संग्रहीत है।[2]
इस मूर्ति शिल्प में ज्यामितीय आकार से मानव दिखाया गया है, जिसके ऊपरी भाग में अर्ध चंद्रमा स्थित है; जो यह दर्शाता है कि यह कॉस्मिक मैन अंतरिक्ष मानव है।
शीर्षक हीन (मोनार्क) - इसकी रचना में लकड़ी ताम्र पत्र व कीलों का उपयोग किया गया है। मोनार्क की श्रंखला में (शासक राजा) को जनप्रतिनिधि के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
मूर्ति शिल्प को अलंकृत करने में धातु पत्रों व कीलों का प्रयोग किया गया है। लकड़ी में खुदाई कर कुदरापन लिए हुए हैं। यह मूर्ति शिल्प धनराज भगत के निजी संग्रह में सुरक्षित है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मूर्तिकार धनराज भगत की कला (हिंदी) tgtpgtkala.com। अभिगमन तिथि: 14 अक्टूबर, 2021।
- ↑ 2.0 2.1 धनराज भगत जीवनी (हिंदी) fineartist.in। अभिगमन तिथि: 14 अक्टूबर, 2021।