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07:20, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- लक्षवर्तिव्रत कार्तिक, वैसाख एवं माघ में आरम्भ होता है।
- लक्षवर्तिव्रत के लिए वैसाख सर्वोत्तम होता है।
- लक्षवर्तिव्रत पूर्णिमा पर तीन मासों में समाप्त होता है।
- प्रतिदिन एक सहस्र वातियों से विष्णु एवं लक्ष्मी, ब्रह्मा एवं सावित्री, शिव एवं उमा की आरती उतारना चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्मृतिकौस्तुभ (410-411); व्रतार्क (पाण्डुलिपी 399-403 बी, वायु पुराण से उद्धरण)
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