"अपसढ़": अवतरणों में अंतर
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*जिसका उल्लेख [[मगध]] के उत्तरवर्ती [[गुप्त वंश]] के आदित्यसेन के अभिलेख में हुआ है। | *जिसका उल्लेख [[मगध]] के उत्तरवर्ती [[गुप्त वंश]] के आदित्यसेन के अभिलेख में हुआ है। | ||
*इसी अभिलेख के कारण अपसढ़ जाना जाता है। इसमें [[आदित्यसेन]] की माता द्वारा एक विहार और उसकी पत्नी द्वारा एक तड़ाग बनवाये जाने का उल्लेख है। | *इसी अभिलेख के कारण अपसढ़ जाना जाता है। इसमें [[आदित्यसेन]] की माता द्वारा एक विहार और उसकी पत्नी द्वारा एक तड़ाग बनवाये जाने का उल्लेख है। | ||
*इसमें अंतिम गुप्त नरेशों के बारे में और उनकी मौखरियों से प्रतिद्वन्द्विता का भी ज़िक्र है,जो ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। | *इसमें अंतिम गुप्त नरेशों के बारे में और उनकी [[मौखरि वंश|मौखरियों]] से प्रतिद्वन्द्विता का भी ज़िक्र है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। | ||
*यहाँ पर एक विशाल मन्दिर के अवशेष हैं। उसकी दीवारों पर [[रामायण]] के अनेक दृश्य अकिंत हैं। इसका समय ईसा की छठी सदी के आस-पास अनुमान किया जाता है। | *यहाँ पर एक विशाल मन्दिर के अवशेष हैं। उसकी दीवारों पर [[रामायण]] के अनेक दृश्य अकिंत हैं। इसका समय ईसा की छठी सदी के आस-पास अनुमान किया जाता है। | ||
05:09, 13 मार्च 2011 का अवतरण
- अपसढ़ बिहार में गया ज़िले में स्थित नवादा के पूर्वोत्तर में लगभग 15 मील दूर स्थित एक गाँव था।
- जिसका उल्लेख मगध के उत्तरवर्ती गुप्त वंश के आदित्यसेन के अभिलेख में हुआ है।
- इसी अभिलेख के कारण अपसढ़ जाना जाता है। इसमें आदित्यसेन की माता द्वारा एक विहार और उसकी पत्नी द्वारा एक तड़ाग बनवाये जाने का उल्लेख है।
- इसमें अंतिम गुप्त नरेशों के बारे में और उनकी मौखरियों से प्रतिद्वन्द्विता का भी ज़िक्र है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण है।
- यहाँ पर एक विशाल मन्दिर के अवशेष हैं। उसकी दीवारों पर रामायण के अनेक दृश्य अकिंत हैं। इसका समय ईसा की छठी सदी के आस-पास अनुमान किया जाता है।
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