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-[[सूर्य | -[[सूर्य मन्दिर कोणार्क|सूर्य मन्दिर]], [[कोणार्क]] | ||
+दुर्गा मन्दिर, [[ऐहोल]] | +दुर्गा मन्दिर, [[ऐहोल]] | ||
-खजुराहो मन्दिर, [[खजुराहो]] | -खजुराहो मन्दिर, [[खजुराहो]] | ||
-विरुपाक्ष | -विरुपाक्ष मन्दिर, [[हम्पी]] | ||
||दुर्गा मन्दिर सम्भवतः छठी सदी का है। यह मन्दिर बौद्ध चैत्य को ब्राह्मण धर्म के मन्दिर के रूप में उपयोग में लाने का एक प्रयोग है। इस मन्दिर का ढाँचा अर्द्धवृत्ताकार है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ऐहोल]] | ||दुर्गा मन्दिर सम्भवतः छठी सदी का है। यह मन्दिर बौद्ध चैत्य को ब्राह्मण धर्म के मन्दिर के रूप में उपयोग में लाने का एक प्रयोग है। इस मन्दिर का ढाँचा अर्द्धवृत्ताकार है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ऐहोल]] | ||
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+एतमादुद्दौला का मक़बरा, [[आगरा]] | +एतमादुद्दौला का मक़बरा, [[आगरा]] | ||
-[[बीबी का मक़बरा]], [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]] | -[[बीबी का मक़बरा]], [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]] | ||
- | -ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा, [[तुग़लकाबाद]] | ||
||पर्सी ब्राउन के अनुसार, ‘[[आगरा]] में [[यमुना नदी]] के तट पर स्थित एतमादुद्दौला का मक़बरा अकबर एवं [[शाहजहाँ]] की शैलियों के मध्य एक कड़ी है। इस मक़बरे का निर्माण 1626 ई. में [[नूरजहाँ]] ने करवाया। मुग़लकालीन वास्तुकला के अन्तर्गत निर्मित यह प्रथम ऐसी इमारत है, जो पूर्ण रूप से बेदाग़ [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] संगमरमर से निर्मित है। सर्वप्रथम इसी इमारत में ‘पित्रादुरा’ नाम का जड़ाऊ काम किया गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला#एतमादुद्दौला का मक़बरा|एतमादुद्दौला का मक़बरा]] | ||पर्सी ब्राउन के अनुसार, ‘[[आगरा]] में [[यमुना नदी]] के तट पर स्थित एतमादुद्दौला का मक़बरा अकबर एवं [[शाहजहाँ]] की शैलियों के मध्य एक कड़ी है। इस मक़बरे का निर्माण 1626 ई. में [[नूरजहाँ]] ने करवाया। मुग़लकालीन वास्तुकला के अन्तर्गत निर्मित यह प्रथम ऐसी इमारत है, जो पूर्ण रूप से बेदाग़ [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] संगमरमर से निर्मित है। सर्वप्रथम इसी इमारत में ‘पित्रादुरा’ नाम का जड़ाऊ काम किया गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला#एतमादुद्दौला का मक़बरा|एतमादुद्दौला का मक़बरा]] | ||
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-दुर्गा मन्दिर, [[ऐहोल]] | -दुर्गा मन्दिर, [[ऐहोल]] | ||
+बृहदेश्वर | +बृहदेश्वर मन्दिर, [[तंजौर]] | ||
-[[जगन्नाथ | -[[जगन्नाथ मन्दिर पुरी|जगन्नाथ मन्दिर]], [[पुरी]] | ||
-[[इस्कॉन मन्दिर बेंगळूरू|इस्कॉन मन्दिर]] , [[बेंगळूरू]] | -[[इस्कॉन मन्दिर बेंगळूरू|इस्कॉन मन्दिर]] , [[बेंगळूरू]] | ||
||तंजौर चोल शासक राजराज (985-1014ई.) द्वारा निर्मित भव्य वृहदेश्वर मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। इसका शिखर 190 फुट ऊँचा है। शिखर पर पहुँचने के लिए 14 मंज़िले हैं। यह मन्दिर भारतीय स्थापत्य का अदभुत नमूना है। यह चारों ओर से लम्बी परिखा से परिवेष्ठित है। इसमें एक विशाल शिवलिंग है। पत्थर का बनाया गया एक विशाल नंदी मन्दिर के सामने प्रतिष्ठित है। मन्दिर में विशाल तोरण एवं मण्डप हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तंजौर]] | ||तंजौर चोल शासक राजराज (985-1014ई.) द्वारा निर्मित भव्य वृहदेश्वर मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। इसका शिखर 190 फुट ऊँचा है। शिखर पर पहुँचने के लिए 14 मंज़िले हैं। यह मन्दिर भारतीय स्थापत्य का अदभुत नमूना है। यह चारों ओर से लम्बी परिखा से परिवेष्ठित है। इसमें एक विशाल शिवलिंग है। पत्थर का बनाया गया एक विशाल नंदी मन्दिर के सामने प्रतिष्ठित है। मन्दिर में विशाल तोरण एवं मण्डप हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तंजौर]] | ||
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[[चित्र:Chennakeshava-Temple-Belur.jpg|link=प्रयोग:Ruby|350px]] | [[चित्र:Chennakeshava-Temple-Belur.jpg|link=प्रयोग:Ruby|350px]] | ||
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+चेन्नाकेशव | +चेन्नाकेशव मन्दिर, [[बेलूर]] | ||
-सोमनाथपुर | -सोमनाथपुर मन्दिर, [[मैसूर]] | ||
-[[सोमनाथ | -[[सोमनाथ मन्दिर]], [[गुजरात]] | ||
-[[ | -[[लिंगराज मन्दिर]], [[भुवनेश्वर]] | ||
||[[होयसल वंश|होयसल वंशीय]] नरेश [[विष्णुवर्धन]] का 1117 ई. में बनवाया हुआ चेन्नाकेशव का प्रसिद्ध मन्दिर बेलूर की ख्याति का कारण है। इस मन्दिर को, जो स्थापत्य एवं मूर्तिकला की दृष्टि से [[भारत]] के सर्वोत्तम मन्दिरों में है, मुसलमानों ने कई बार लूटा किन्तु हिन्दू नरेशों ने बार-बार इसका जीर्णोद्वार करवाया। मन्दिर 178 फुट लम्बा और 156 फुट चौड़ा है। परकोटे में तीन प्रवेशद्वार हैं, जिनमें सुन्दिर मूर्तिकारी है। इसमें अनेक प्रकार की मूर्तियाँ जैसे हाथी, पौराणिक जीवजन्तु, मालाएँ, स्त्रियाँ आदि उत्कीर्ण हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बेलूर]] | ||[[होयसल वंश|होयसल वंशीय]] नरेश [[विष्णुवर्धन]] का 1117 ई. में बनवाया हुआ चेन्नाकेशव का प्रसिद्ध मन्दिर बेलूर की ख्याति का कारण है। इस मन्दिर को, जो स्थापत्य एवं मूर्तिकला की दृष्टि से [[भारत]] के सर्वोत्तम मन्दिरों में है, मुसलमानों ने कई बार लूटा किन्तु हिन्दू नरेशों ने बार-बार इसका जीर्णोद्वार करवाया। मन्दिर 178 फुट लम्बा और 156 फुट चौड़ा है। परकोटे में तीन प्रवेशद्वार हैं, जिनमें सुन्दिर मूर्तिकारी है। इसमें अनेक प्रकार की मूर्तियाँ जैसे हाथी, पौराणिक जीवजन्तु, मालाएँ, स्त्रियाँ आदि उत्कीर्ण हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बेलूर]] | ||
13:37, 8 मई 2011 का अवतरण
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