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*[[बिहार]] में स्थित ओदंतपुरी को उदंतपुरी भी कहते हैं।  
*ओदंतपुरी वर्तमान बिहार नामक नगर का प्राचीन नाम है।
*आठवीं सदी के मध्य में [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] और बिहार में, पाल वंश के संस्थापक गोपाल ने यहाँ एक महाविहार की स्थापना की थी।  
*[[बिहार]] में स्थित ओदंतपुरी को उदंतपुरी या उद्दंडपुर भी कहते हैं।  
*इसकी प्रसिद्धि का कारण था यहाँ का बौद्धविहार और तत्संबद्ध महाविद्यालय।
*आठवीं सदी के मध्य में [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] और बिहार में, पाल वंश के संस्थापक गोपाल (730-740 ई.) ने यहाँ एक महाविहार की स्थापना की थी।  
*अनुवर्ती पालराजाओं ने इस विहार तथा महाविद्यालय को अनेक दान दिए थे।
*यह एक महत्त्वपूर्ण विद्या केन्द्र बन गया था।  
*यह एक महत्त्वपूर्ण विद्या केन्द्र बन गया था।  
*इसके समृद्धिकाल में यहाँ एक हजार विद्यार्थी शिक्षा पाते थे।  
*इसके समृद्धिकाल में यहाँ एक हजार विद्यार्थी शिक्षा पाते थे।  
*यहाँ दूर-दूर से विद्यार्थीगण शिक्षा पाने के लिए आते थे।
*यहाँ का सर्वप्रथम विद्यार्थी दीपंकर था, जो बाद में [[विक्रमशिला महाविद्यालय]] का प्रधान आचार्य बना और जिसने [[तिब्बत]] जाकर वहाँ [[लामा]] संस्था की स्थापना की।  
*यहाँ का सर्वप्रथम विद्यार्थी दीपंकर था, जो बाद में [[विक्रमशिला महाविद्यालय]] का प्रधान आचार्य बना और जिसने [[तिब्बत]] जाकर वहाँ [[लामा]] संस्था की स्थापना की।  
*तेरहवीं सदी के प्रारम्भ में [[मुसलमान]] आक्रांताओं ने इसे नष्ट कर दिया।
*13वीं शती के प्रारंभ में मुसलमानों के बिहार पर आक्रमण के समय यहाँ का विहार और विद्यालय नष्ट हो गए।
*बिहार-बंगाल में ओदंतपुरी के लगभग समकालीन अन्य महाविद्यालय [[नालंदा]], विक्रमपुर, विक्रमशिला, जगद्दल और ताम्रलिप्ति में थे।
 
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11:47, 1 जुलाई 2011 का अवतरण

  • ओदंतपुरी वर्तमान बिहार नामक नगर का प्राचीन नाम है।
  • बिहार में स्थित ओदंतपुरी को उदंतपुरी या उद्दंडपुर भी कहते हैं।
  • इसकी प्रसिद्धि का कारण था यहाँ का बौद्धविहार और तत्संबद्ध महाविद्यालय।
  • आठवीं सदी के मध्य में बंगाल और बिहार में, पाल वंश के संस्थापक गोपाल (730-740 ई.) ने यहाँ एक महाविहार की स्थापना की थी।
  • अनुवर्ती पालराजाओं ने इस विहार तथा महाविद्यालय को अनेक दान दिए थे।
  • यह एक महत्त्वपूर्ण विद्या केन्द्र बन गया था।
  • इसके समृद्धिकाल में यहाँ एक हजार विद्यार्थी शिक्षा पाते थे।
  • यहाँ दूर-दूर से विद्यार्थीगण शिक्षा पाने के लिए आते थे।
  • यहाँ का सर्वप्रथम विद्यार्थी दीपंकर था, जो बाद में विक्रमशिला महाविद्यालय का प्रधान आचार्य बना और जिसने तिब्बत जाकर वहाँ लामा संस्था की स्थापना की।
  • 13वीं शती के प्रारंभ में मुसलमानों के बिहार पर आक्रमण के समय यहाँ का विहार और विद्यालय नष्ट हो गए।
  • बिहार-बंगाल में ओदंतपुरी के लगभग समकालीन अन्य महाविद्यालय नालंदा, विक्रमपुर, विक्रमशिला, जगद्दल और ताम्रलिप्ति में थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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