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#हारीतक एक प्राचीन [[ऋषि]] का नाम था जो [[युधिष्ठिर]] का विशेष सम्मान करते थे। ये शरशय्या पर पड़े [[भीष्म पितामह]] को देखने गये थे।<ref>[[महाभारत]] [[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]] 26.23, [[शांतिपर्व महाभारत|शांतिपर्व]] 47.7</ref> | #हारीतक एक प्राचीन [[ऋषि]] का नाम था जो [[युधिष्ठिर]] का विशेष सम्मान करते थे। ये शरशय्या पर पड़े [[भीष्म पितामह]] को देखने गये थे।<ref>[[महाभारत]] [[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]] 26.23, [[शांतिपर्व महाभारत|शांतिपर्व]] 47.7</ref> | ||
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11:54, 4 जुलाई 2011 का अवतरण
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- हारीतक सूर्यवंशी इक्ष्वाकुवंशोत्पन्न राजा युवनाश्व का पुत्र था।[1]
- हारीतक जाबाल ऋषि का पुत्र था जिसका निवास कलाप ग्राम में था जहाँ से स्कंद पुराणानुसार नारद जी अन्य ब्राह्मणों के साथ इसे भी महीसागर संगमतीर्थ (स्तम्भतीर्थ) ले आये थे।[2]
- हारीतक एक प्राचीन ऋषि का नाम था जो युधिष्ठिर का विशेष सम्मान करते थे। ये शरशय्या पर पड़े भीष्म पितामह को देखने गये थे।[3]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भागवत पुराण 9.7.2
- ↑ स्कन्द पुराण
- ↑ महाभारत वनपर्व 26.23, शांतिपर्व 47.7