"छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-9": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*छान्दोग्य उपनिषद के [[छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2|अध...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{छान्दोग्य उपनिषद}}") |
||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{छान्दोग्य उपनिषद}} | |||
[[Category:छान्दोग्य उपनिषद]] | [[Category:छान्दोग्य उपनिषद]] | ||
[[Category:दर्शन कोश]] | [[Category:दर्शन कोश]] |
14:58, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण
- छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरा का यह नौवाँ खण्ड है।
मुख्य लेख : छान्दोग्य उपनिषद
- 'आदित्य' सदा ही सम रहता है।
- वह साम है।
- वह सभी के प्रति समभाव वाला है।
- उदयमान सूर्य 'प्रस्ताव' है।
- सभी मनुष्य और पशु-पक्षी उसके अनुगामी हैं।
- मध्याह्न में आदित्य 'उद्गीथ' है।
- समस्त देवगण उसके इसी रूप के अनुगामी हैं।
- उपराह्न में आदित्य 'प्रतिहार' है।
- अस्त होते सूर्य का रूप ही 'निधन' हैं आदित्य-रूप साम की इसी प्रकार उपासना करनी चाहिए।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1 |
खण्ड-1 | खण्ड-2 | खण्ड-3 | खण्ड-4 | खण्ड-5 | खण्ड-6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 | खण्ड-10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 |
खण्ड-1 | खण्ड-2 | खण्ड-3 | खण्ड-4 | खण्ड-5 | खण्ड-6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 | खण्ड-10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 | खण्ड-14 | खण्ड-15 | खण्ड-16 | खण्ड-17 | खण्ड-18 | खण्ड-19 | खण्ड-20 | खण्ड-21 | खण्ड-22 | खण्ड-23 | खण्ड-24 |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-3 |
खण्ड-1 से 5 | खण्ड-6 से 10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 से 19 |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-4 | |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-5 | |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-6 |
खण्ड-1 से 2 | खण्ड-3 से 4 | खण्ड-5 से 6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 से 13 | खण्ड-14 से 16 |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-7 | |
छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-8 |