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*इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल हैं। | *इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल हैं। | ||
*ऐसा विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में आबादी\मतदाताओं की संख्या में अनियमित वृद्धि के कारण पैदा हुए असंतुलन के दूर करने के लिए किया गया है। | *ऐसा विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में आबादी\मतदाताओं की संख्या में अनियमित वृद्धि के कारण पैदा हुए असंतुलन के दूर करने के लिए किया गया है। |
11:59, 10 सितम्बर 2011 का अवतरण
भारत का संविधान (84वाँ संशोधन) अधिनियम,2001
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- इस क़ानून द्वारा संविधान के अनुच्छेद 82 और 170(3) की शर्तों में संशोधन किया गया है ताकि वर्ष 1991 की जनगणना के दौरान सुनिश्चित की गयी आबादी के आधार पर प्रत्येक राज्य के लिए आबंटित लोकसभा सीटों और राज़्यों की विधानसभा सीटों की संख्या में कोई परिवर्तन किए बगैर राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों को परिवर्तित तथा पुनर्गठित किया जा सके।
- इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल हैं।
- ऐसा विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में आबादी\मतदाताओं की संख्या में अनियमित वृद्धि के कारण पैदा हुए असंतुलन के दूर करने के लिए किया गया है।
- इससे वर्ष 1991 की जनगणना के दौरान सुनिश्चित की गयी आबादी के आधार पर राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा के लिए आरक्षित, अनुसूचित और जनजाति की सीटों की संख्या भी फिर से निर्धारित की जा सकेगी।
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