"तेरा मेरा मनुवां -कबीर": अवतरणों में अंतर
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तू तो रंगी फिरै बिहंगी, सब धन डारा खोई रे ॥ | तू तो रंगी फिरै बिहंगी, सब धन डारा खोई रे ॥ | ||
सतगुरु धारा निर्मल बाहै, बामे काया धोई रे । | |||
कहत कबीर सुनो भाई साधो, तब ही वैसा होई रे ॥ | कहत कबीर सुनो भाई साधो, तब ही वैसा होई रे ॥ | ||
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14:39, 16 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
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तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे । |
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