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*तत: सम्प्रस्थितो राजा कौंतेयो भूरिदक्षिण: अगस्त्याश्रममासाद्य दुर्जयायामुवास ह।<ref>[[महाभारत]] [[वन पर्व महाभारत|वन पर्व]] 96,1</ref>
'''अगस्त्याश्रम''' [[बिहार]] का एक ऐतिहासिक स्थान है।
*'पांडव अपनी तीर्थयात्रा के प्रसंग में [[गया]] ([[बिहार]]) से आगे चलकर अगस्त्याश्रम पहुंचे थें यही मणिमती नगरी की स्थिति थी।  
*'पांडव अपनी तीर्थयात्रा के प्रसंग में [[गया]] से आगे चलकर अगस्त्याश्रम पहुंचे थें यही मणिमती नगरी की स्थिति थी।  
*शायद यह राजगृह के निकट स्थित था।  
*शायद यह [[राजगृह]] के निकट स्थित था।  
*अगस्त्यतीर्थ जो दक्षिण समुद्रतट पर स्थित था इससे भिन्न था।  
*अगस्त्यतीर्थ जो दक्षिण [[समुद्र]] [[तट]] पर स्थित था इससे भिन्न था।  
*जान पड़ता है कि प्राचीनकाल में [[अगस्त्य]] के आश्रमों की परंपरा, बिहार से [[नासिक]] एवं दक्षिण समुद्रतट तक विस्तृत थी।  
*जान पड़ता है कि प्राचीनकाल में [[अगस्त्य]] के आश्रमों की परंपरा, बिहार से [[नासिक]] एवं दक्षिण समुद्रतट तक विस्तृत थी।  
*पौराणिक साहित्य के अनुसार अगस्त्य-ऋषि ने [[भारत]] की आर्य-सभ्यता का सुदूर दक्षिण तथा समुद्रपार के देशों तक प्रचार किया था।
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:तत: सम्प्रस्थितो राजा कौंतेयो भूरिदक्षिण: अगस्त्याश्रममासाद्य दुर्जयायामुवास ह।<ref>[[महाभारत]] [[वन पर्व महाभारत|वन पर्व]] 96,1</ref>
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10:30, 15 नवम्बर 2011 का अवतरण

अगस्त्याश्रम बिहार का एक ऐतिहासिक स्थान है।

  • 'पांडव अपनी तीर्थयात्रा के प्रसंग में गया से आगे चलकर अगस्त्याश्रम पहुंचे थें यही मणिमती नगरी की स्थिति थी।
  • शायद यह राजगृह के निकट स्थित था।
  • अगस्त्यतीर्थ जो दक्षिण समुद्र तट पर स्थित था इससे भिन्न था।
  • जान पड़ता है कि प्राचीनकाल में अगस्त्य के आश्रमों की परंपरा, बिहार से नासिक एवं दक्षिण समुद्रतट तक विस्तृत थी।
  • पौराणिक साहित्य के अनुसार अगस्त्य-ऋषि ने भारत की आर्य-सभ्यता का सुदूर दक्षिण तथा समुद्रपार के देशों तक प्रचार किया था।
तत: सम्प्रस्थितो राजा कौंतेयो भूरिदक्षिण: अगस्त्याश्रममासाद्य दुर्जयायामुवास ह।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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