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<blockquote>अहल्या द्रौपदी तारा कुंती मंदोदरी तथा। <br /> | <blockquote>अहल्या द्रौपदी तारा कुंती मंदोदरी तथा। <br /> | ||
पंचकन्या: स्मरेतन्नित्यं महापातकनाशम्॥</blockquote> | पंचकन्या: स्मरेतन्नित्यं महापातकनाशम्॥<ref>[[ब्रह्म पुराण]] 3.7.219</ref></blockquote> | ||
*इन पाँचों कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं- | *इन पाँचों कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं- | ||
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11:25, 26 मई 2012 का अवतरण
पंचकन्या वे पाँच कन्याएँ हैं, जिनका भारत के हिन्दू सम्प्रदाय और धर्मग्रंथों में विशिष्ट स्थान है। पुराणों के अनुसार ये पाँच कन्याएँ विवाहित होते हुए भी पूजा के योग्य मानी गई हैं।[1]
अहल्या द्रौपदी तारा कुंती मंदोदरी तथा।
पंचकन्या: स्मरेतन्नित्यं महापातकनाशम्॥[2]
- इन पाँचों कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 458 |
- ↑ प्रा.भा.सं.को., पृष्ठ 212
- ↑ ब्रह्म पुराण 3.7.219