"बंजारानामा -नज़ीर अकबराबादी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
|मृत्यु=1830  
|मृत्यु=1830  
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=
|मुख्य रचनाएँ=बंजारानामा, [[दूर से आये थे साक़ी -नज़ीर अकबराबादी|दूर से आये थे साक़ी]], [[फ़क़ीरों की सदा -नज़ीर अकबराबादी|फ़क़ीरों की सदा]], [[है दुनिया जिसका नाम -नज़ीर अकबराबादी|है दुनिया जिसका नाम]] आदि  
|मुख्य रचनाएँ=[[बंजारानामा -नज़ीर अकबराबादी|बंजारानामा]], [[दूर से आये थे साक़ी -नज़ीर अकबराबादी|दूर से आये थे साक़ी]], [[फ़क़ीरों की सदा -नज़ीर अकबराबादी|फ़क़ीरों की सदा]], [[है दुनिया जिसका नाम -नज़ीर अकबराबादी|है दुनिया जिसका नाम]] आदि  
|यू-ट्यूब लिंक=
|यू-ट्यूब लिंक=
|शीर्षक 1=
|शीर्षक 1=

08:22, 27 दिसम्बर 2012 का अवतरण

बंजारानामा -नज़ीर अकबराबादी
नज़ीर अकबराबादी
नज़ीर अकबराबादी
कवि नज़ीर अकबराबादी
जन्म 1735
मृत्यु 1830
मुख्य रचनाएँ बंजारानामा, दूर से आये थे साक़ी, फ़क़ीरों की सदा, है दुनिया जिसका नाम आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
नज़ीर अकबराबादी की रचनाएँ

टुक हिर्सो-हवा[1] को छोड़ मियां, मत देस-बिदेस फिरे मारा
क़ज़्ज़ाक[2] अजल[3] का लूटे है दिन-रात बजाकर नक़्क़ारा
क्या बधिया, भैंसा, बैल, शुतुर[4] क्या गौनें पल्ला सर भारा
क्या गेहूं, चावल, मोठ, मटर, क्या आग, धुआं और अंगारा
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

        ग़र तू है लक्खी बंजारा और खेप भी तेरी भारी है
        ऐ ग़ाफ़िल तुझसे भी चढ़ता इक और बड़ा ब्योपारी है
        क्या शक्कर, मिसरी, क़ंद[5], गरी क्या सांभर मीठा-खारी है
        क्या दाख़, मुनक़्क़ा, सोंठ, मिरच क्या केसर, लौंग, सुपारी है
        सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा

तू बधिया लादे बैल भरे जो पूरब पच्छिम जावेगा
या सूद बढ़ाकर लावेगा या टोटा घाटा पावेगा
क़ज़्ज़ाक़ अजल का रस्ते में जब भाला मार गिरावेगा
धन-दौलत नाती-पोता क्या इक कुनबा काम न आवेगा
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लालच
  2. डाकू
  3. मौत
  4. ऊंट
  5. खांड

संबंधित लेख