"हैमलेट -रांगेय राघव": अवतरणों में अंतर

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'''हैमलेट''' शेक्सपीयर द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध दु:खांत नाटक है। यह नाटक उनके रचना काल के तीसरे युग की रचना है। प्रसिद्ध [[हिन्दी]] साहित्यकार [[रांगेय राघव]] ने शेक्सपियर के दस नाटकों का [[हिन्दी]] अनुवाद किया है, जो इस सीरीज में पाठको को उपलब्ध कराये गये हैं। इसका प्रकाशन को 'राजपाल एंड संस' द्वारा किया गया था।
==भूमिका==
==भूमिका==
'हैमलेट' शेक्सपियर के रचना काल के तीसरे युग की रचना है, जब उन्होंने 'जूलियस सीज़र', 'ऑथलो', 'सम्राट लियर', 'मैकबेथ', 'एण्टनी एण्ड क्लियोपैट्रा केरियोलैनेस', 'टाइमन ऑफ़ एथेन्स' नामक दुःखान्त नाटक लिखे थे। इतना घोर अवसाद 1601 से 1609 ई. तक कवि पर छा गया था कि उसने व्यक्ति वैचित्र्य वाले पात्रों का सर्जन किया, किन्तु उस ऊँचाई पर उनका चित्रण किया कि अपनी असाधारण मेधा से उस सबका सहज साधारणीकरण कर दिया। यहाँ कला ने अपना स्वरूप कलाकार के कृतित्वाभिमान के नीचे से नहीं निकाला, जिसमें कलाकार बड़ा चतुर बनकर अपनी सीमाओं को न पहचानकर अपने अहं को बड़ा करके देखने लगता है। यहाँ तो कला एक स्वाभाविक भाव-सिरजन के रूप में प्रकटी है और उसमें व्यक्तित्व की कुण्ठा ने कहीं भी अभिव्यक्ति को खण्डित नहीं किया है।<ref name="ab">{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=4837|title=हैमलेट|accessmonthday=25 जनवरी|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
'हैमलेट' शेक्सपियर के रचना काल के तीसरे युग की रचना है, जब उन्होंने 'जूलियस सीज़र', 'ऑथलो', 'सम्राट लियर', 'मैकबेथ', 'एण्टनी एण्ड क्लियोपैट्रा केरियोलैनेस', 'टाइमन ऑफ़ एथेन्स' नामक दुःखान्त नाटक लिखे थे। इतना घोर अवसाद 1601 से 1609 ई. तक कवि पर छा गया था कि उसने व्यक्ति वैचित्र्य वाले पात्रों का सर्जन किया, किन्तु उस ऊँचाई पर उनका चित्रण किया कि अपनी असाधारण मेधा से उस सबका सहज साधारणीकरण कर दिया। यहाँ कला ने अपना स्वरूप कलाकार के कृतित्वाभिमान के नीचे से नहीं निकाला, जिसमें कलाकार बड़ा चतुर बनकर अपनी सीमाओं को न पहचानकर अपने अहं को बड़ा करके देखने लगता है। यहाँ तो कला एक स्वाभाविक भाव-सिरजन के रूप में प्रकटी है और उसमें व्यक्तित्व की कुण्ठा ने कहीं भी अभिव्यक्ति को खण्डित नहीं किया है।<ref name="ab">{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=4837|title=हैमलेट|accessmonthday=25 जनवरी|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>

06:18, 25 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

हैमलेट -रांगेय राघव
'हैमलेट' उपन्यास का आवरण पृष्ठ
'हैमलेट' उपन्यास का आवरण पृष्ठ
लेखक शेक्सपीयर
अनुवादक रांगेय राघव
प्रकाशक राजपाल एंड संस
ISBN 81-7028-171-7
देश भारत
पृष्ठ: 168
भाषा हिन्दी
प्रकार अनुवाद

हैमलेट शेक्सपीयर द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध दु:खांत नाटक है। यह नाटक उनके रचना काल के तीसरे युग की रचना है। प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार रांगेय राघव ने शेक्सपियर के दस नाटकों का हिन्दी अनुवाद किया है, जो इस सीरीज में पाठको को उपलब्ध कराये गये हैं। इसका प्रकाशन को 'राजपाल एंड संस' द्वारा किया गया था।

भूमिका

'हैमलेट' शेक्सपियर के रचना काल के तीसरे युग की रचना है, जब उन्होंने 'जूलियस सीज़र', 'ऑथलो', 'सम्राट लियर', 'मैकबेथ', 'एण्टनी एण्ड क्लियोपैट्रा केरियोलैनेस', 'टाइमन ऑफ़ एथेन्स' नामक दुःखान्त नाटक लिखे थे। इतना घोर अवसाद 1601 से 1609 ई. तक कवि पर छा गया था कि उसने व्यक्ति वैचित्र्य वाले पात्रों का सर्जन किया, किन्तु उस ऊँचाई पर उनका चित्रण किया कि अपनी असाधारण मेधा से उस सबका सहज साधारणीकरण कर दिया। यहाँ कला ने अपना स्वरूप कलाकार के कृतित्वाभिमान के नीचे से नहीं निकाला, जिसमें कलाकार बड़ा चतुर बनकर अपनी सीमाओं को न पहचानकर अपने अहं को बड़ा करके देखने लगता है। यहाँ तो कला एक स्वाभाविक भाव-सिरजन के रूप में प्रकटी है और उसमें व्यक्तित्व की कुण्ठा ने कहीं भी अभिव्यक्ति को खण्डित नहीं किया है।[1]

शेक्सपियर के जिन चार प्रसिद्ध दुःखान्त नाटकों पर अधिक लिखा गया है, वे हैं-

  1. ऑथलो
  2. सम्राट लियर
  3. मेकबेथ
  4. हैमलेट

यद्यपि 'हैमलेट' में यह दोष लगाया जाता है कि नायक के आत्मकथन लम्बे हैं और गति को रोकते हैं, मैं समझता हूँ, इतने सशक्त कथन साहित्य में शायद ही निकलें। जॉर्ज बर्नाड शॉ को एक बड़ा आश्चर्य हुआ करता था। वे कहते थे कि शेक्सपियर ने मूर्ख पात्रों को प्रस्तुत किया, पता नहीं संसार इन्हीं मूर्ख पात्रों को शताब्दियों से सहन कैसे कर सकता है? 'हैमलेट' भी ऐसा ही मूर्ख था, जिसके पास बकबक करने और जीवन का रहस्य खोजने के अतिरिक्त और कोई समस्या ही नहीं थी। परन्तु यह कहना कि हैमलेट मूर्ख था, पात्र को न समझने के बराबर है। अचानक चौंका देने वाली बात का यश प्राप्त करना, गम्भीर आलोचना नहीं, जैसे मेरे एकमित्र ने शॉ की नकल को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि हैमलेट एक सुखान्त नाटक है। मेरी अपनी राय है कि इलियट और शॉ दोनों शेक्सपियर के सामने बालक हैं, क्योंकि शेक्सपियर ने मानव के मूलरूप को देखा था, सामाजिक विकास के अन्तर्गत रखकर, जबकि बाकी दोनों मानव के बाह्य और अन्तर को परस्पर विरोधी स्वरूपों में रखकर देखते हैं। इसीलिए शेक्सपियर विश्व-साहित्य का एक विशाल दीप स्तम्भ है।

'हैमलेट' की कथा शेक्सपियर से पहले ही लिखी जा चुकी थी। सैक्सोग्रैमैटिक्स की हिस्टोरिया डैविक में यह पेरिस में 1514 ई. में छपी थी। यद्यपि इसका लेखन काल बारहवीं शती था। बाद में यह फ्रेंच में आई और सम्भवतः शेक्सपियर ने उसी को अपने नाटक का आधार बनाया था। कुछ का मत है कि अंग्रेज़ी में ही हैमलेट एक पुराना नाटक और भी था, जो शेक्सपियर के नाटक के पहले खेला जाता था। जो भी हो, शेक्सपियर की महानता, कभी उसके कथानकों की नवीनता में नहीं रही। वह रही है उसके सफल चरित्र-चित्रण में, जिसमें उसके युग ने भूतों को भी रखा है, जिसके कथानक काफ़ी डरावने-से लगते हैं। एक विद्वान ने ठीक ही कहा है कि 'हैमलेट' प्रतिहिंसा का दुःखमय अन्त नहीं, मानव-आत्मा का दुःखान्त है, जिसमें मनुष्य के उदात्ततम गुण संसार की नीचता और कुटिलता से कुचले जाते हैं। मनुष्य जीवन के जो सार्वजनीन सत्य 'हैमलेट' में प्रतिपादित हैं, वैसे अन्यत्र कम ही मिलते हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 हैमलेट (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2013।

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