"अजैविक संघटक": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
'''अजैविक''' या '''भौतिक संघटक''' के अन्तर्गत समस्त जीवमण्डल अथवा उसके किसी भाग के भौतिक पर्यावरण को शामिल किया गया है।
'''अजैविक''' या '''भौतिक संघटक''' के अन्तर्गत समस्त जीवमण्डल अथवा उसके किसी भाग के भौतिक पर्यावरण को शामिल किया गया है।
==मण्डल==
==मण्डल==
पंक्ति 8: पंक्ति 7:
====स्थलमण्डल====
====स्थलमण्डल====
{{main|स्थलमण्डल}}
{{main|स्थलमण्डल}}
स्थलमण्डल भू-पृष्ठ पर पाए जाने वाले ठोस शैल पदार्थों की परतें हैं। यह जीवमण्डल का महत्वपूर्ण भाग है। इसका निर्माण [[तत्व|तत्वों]], [[खनिज|खनिजों]], शैलों तथा [[मिट्टी]] से हुआ है। तत्व शुद्ध [[पदार्थ]] है, जिसके अन्तर्गत [[लोहा]], [[तांबा]], [[निकल]], [[सोना]], [[चांदी]], [[हाइड्रोजन]], [[ऑक्सीजन]], [[नाइट्रोजन]], [[कार्बन]] आदि आते हैं। [[खनिज|खनिजों]] में [[बॉक्साइट]], डोलोमाइट, हेमेटाइट, फेलस्पार आदि आते हैं।
स्थलमण्डल भू-पृष्ठ पर पाए जाने वाले ठोस शैल पदार्थों की परतें हैं। यह जीवमण्डल का महत्वपूर्ण भाग है। इसका निर्माण [[तत्व|तत्वों]], [[खनिज|खनिजों]], शैलों तथा [[मिट्टी]] से हुआ है। [[तत्व]] शुद्ध [[पदार्थ]] है, जिसके अन्तर्गत [[लोहा]], [[तांबा]], [[निकल]], [[सोना]], [[चांदी]], [[हाइड्रोजन]], [[ऑक्सीजन]], [[नाइट्रोजन]], [[कार्बन]] आदि आते हैं। [[खनिज|खनिजों]] में [[बॉक्साइट]], डोलोमाइट, हेमेटाइट, फेलस्पार आदि आते हैं।
{{tocright}}
====वायुमण्डल====
====वायुमण्डल====
{{main|वायुमण्डल}}
{{main|वायुमण्डल}}
पंक्ति 15: पंक्ति 13:
====जलमण्डल====
====जलमण्डल====
{{main|जलमण्डल}}
{{main|जलमण्डल}}
पूरे [[सौरमंडल]] में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर भारी मात्रा में [[जल]] उपस्थित है। यह एक ऐसा तथ्य है, जो पृथ्वी को अन्य ग्रहों से विशिष्ट बनाता है। पर्यावरणीय संघटकों में जल का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसके बिना किसी भी जीव का अस्तित्व संभव नहीं है। जलमण्डल से तात्पर्य जल की उस परत से है, जो पृथ्वी की सतह पर [[महासागर|महासागरों]], [[झील|झीलों]], नदियों तथा अन्य जलाशयों के रूप में फैली है। पृथ्वी की सतह के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के 71 प्रतिशत भाग में जल का विस्तार है, इसलिए पृथ्वी को "जलीय ग्रह" भी कहते हैं।
पूरे [[सौरमंडल]] में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा [[ग्रह]] है, जिस पर भारी मात्रा में [[जल]] उपस्थित है। यह एक ऐसा तथ्य है, जो पृथ्वी को अन्य ग्रहों से विशिष्ट बनाता है। पर्यावरणीय संघटकों में जल का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसके बिना किसी भी जीव का अस्तित्व संभव नहीं है। जलमण्डल से तात्पर्य जल की उस परत से है, जो पृथ्वी की सतह पर [[महासागर|महासागरों]], [[झील|झीलों]], नदियों तथा अन्य जलाशयों के रूप में फैली है। पृथ्वी की सतह के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के 71 प्रतिशत भाग में जल का विस्तार है, इसलिए पृथ्वी को "जलीय ग्रह" भी कहते हैं।


{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 25: पंक्ति 23:
[[Category:पर्यावरण और जलवायु]][[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:पर्यावरण और जलवायु]][[Category:भूगोल कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

11:18, 18 अप्रैल 2013 का अवतरण

अजैविक या भौतिक संघटक के अन्तर्गत समस्त जीवमण्डल अथवा उसके किसी भाग के भौतिक पर्यावरण को शामिल किया गया है।

मण्डल

भौतिक संघटक के अन्तर्गत निन्मलिखित तीन मण्डल आते हैं-

  1. स्थलमण्डल
  2. वायुमण्डल
  3. जलमण्डल

स्थलमण्डल

स्थलमण्डल भू-पृष्ठ पर पाए जाने वाले ठोस शैल पदार्थों की परतें हैं। यह जीवमण्डल का महत्वपूर्ण भाग है। इसका निर्माण तत्वों, खनिजों, शैलों तथा मिट्टी से हुआ है। तत्व शुद्ध पदार्थ है, जिसके अन्तर्गत लोहा, तांबा, निकल, सोना, चांदी, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन आदि आते हैं। खनिजों में बॉक्साइट, डोलोमाइट, हेमेटाइट, फेलस्पार आदि आते हैं।

वायुमण्डल

वायुमण्डल पृथ्वी के चारों ओर सैकड़ो कि.मी. की मोटाई में लपेटने वाले गैसीय आवरण को कहते हैं। वायुमण्डल विभिन्न गैसों का मिश्रण है, जो पृथ्वी को चारो ओर से घेरे हुए है। निचले स्तरों में वायुमण्डल का संघटन अपेक्षाकृत एक समान रहता है। वायुमण्डल गर्मी को रोककर रखने में एक विशाल 'कांच घर' का काम करता है, जो लघु तरंगों और विकिरण को पृथ्वी के धरातल पर आने देता है, परंतु पृथ्वी से विकसित होने वाली तरंगों को बाहर जाने से रोकता है।

जलमण्डल

पूरे सौरमंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर भारी मात्रा में जल उपस्थित है। यह एक ऐसा तथ्य है, जो पृथ्वी को अन्य ग्रहों से विशिष्ट बनाता है। पर्यावरणीय संघटकों में जल का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसके बिना किसी भी जीव का अस्तित्व संभव नहीं है। जलमण्डल से तात्पर्य जल की उस परत से है, जो पृथ्वी की सतह पर महासागरों, झीलों, नदियों तथा अन्य जलाशयों के रूप में फैली है। पृथ्वी की सतह के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के 71 प्रतिशत भाग में जल का विस्तार है, इसलिए पृथ्वी को "जलीय ग्रह" भी कहते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख