"ऐरावत": अवतरणों में अंतर
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'''ऐरावत''' देवताओं के राजा इन्द्र के हाथी का नाम है। यह हाथी देवताओं और असुरों द्वारा किये गए समुद्र मंथन के दौरान निकली चौदह मूल्यवान वस्तुओं में से एक था। मंथन से प्राप्त रत्नों के बँटवारे के समय ऐरावत को इन्द्र को दे दिया गया था। | '''ऐरावत''' [[देवता|देवताओं]] के राजा [[इन्द्र]] के [[हाथी]] का नाम है। यह हाथी देवताओं और [[असुर|असुरों]] द्वारा किये गए [[समुद्र मंथन]] के दौरान निकली चौदह मूल्यवान वस्तुओं में से एक था। मंथन से प्राप्त [[रत्न|रत्नों]] के बँटवारे के समय ऐरावत को इन्द्र को दे दिया गया था। | ||
*ऐरावत को शुक्लवर्ण और चार दाँतों वाला बताया गया है। | *ऐरावत को शुक्लवर्ण और चार दाँतों वाला बताया गया है। | ||
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*ऐरावत के और भी कई अन्य नाम हैं, जैसे- 'अभ्रमातंग', 'ऐरावण', 'अभ्रभूवल्लभ', 'श्वेतहस्ति', 'मल्लनाग', 'हस्तिमल्ल', 'सदादान', 'सुदामा', 'श्वेतकुंजर', 'गजाग्रणी' तथा 'नागमल्ल'। | *ऐरावत के और भी कई अन्य नाम हैं, जैसे- 'अभ्रमातंग', 'ऐरावण', 'अभ्रभूवल्लभ', 'श्वेतहस्ति', 'मल्लनाग', 'हस्तिमल्ल', 'सदादान', 'सुदामा', 'श्वेतकुंजर', 'गजाग्रणी' तथा 'नागमल्ल'। | ||
*[[महाभारत]], [[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्मपर्व]] के अष्ट्म अध्याय में [[भारतवर्ष]] से उत्तर के भू-भाग को [[उत्तर कुरु]] के बदले 'ऐरावत' कहा गया है। [[जैन]] साहित्य में भी यही नाम आया है। | *[[महाभारत]], [[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्मपर्व]] के अष्ट्म अध्याय में [[भारतवर्ष]] से उत्तर के भू-भाग को [[उत्तर कुरु]] के बदले 'ऐरावत' कहा गया है। [[जैन]] साहित्य में भी यही नाम आया है। | ||
*धृतराष्ट्र नामक एक नाग का पैतृक नाम भी ऐरावत था। | *धृतराष्ट्र नामक एक [[नाग]] का पैतृक नाम भी ऐरावत था। | ||
*कद्रुपुत्र नागों को भी ऐरावत नाम से पुकारा गया है। | *कद्रुपुत्र नागों को भी ऐरावत नाम से पुकारा गया है। | ||
*'इरा' का अर्थ [[जल]] है, अत: 'इरावत' ([[समुद्र]]) से उत्पन्न [[हाथी]] को ऐरावत नाम दिया गया है। सम्भव है कि परवर्ती भारतीय वाङ्मय में ऐरावत नाग का संबंध [[इन्द्र]] के हाथी ऐरावत से जोड़ लिया गया। | *'इरा' का अर्थ [[जल]] है, अत: 'इरावत' ([[समुद्र]]) से उत्पन्न [[हाथी]] को ऐरावत नाम दिया गया है। सम्भव है कि परवर्ती भारतीय वाङ्मय में ऐरावत नाग का संबंध [[इन्द्र]] के हाथी ऐरावत से जोड़ लिया गया। | ||
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06:19, 7 मई 2013 का अवतरण
ऐरावत देवताओं के राजा इन्द्र के हाथी का नाम है। यह हाथी देवताओं और असुरों द्वारा किये गए समुद्र मंथन के दौरान निकली चौदह मूल्यवान वस्तुओं में से एक था। मंथन से प्राप्त रत्नों के बँटवारे के समय ऐरावत को इन्द्र को दे दिया गया था।
- ऐरावत को शुक्लवर्ण और चार दाँतों वाला बताया गया है।
- रत्नों के बँटवारे के समय इन्द्र ने इस दिव्य गुणयुक्त हाथी को अपनी सवारी के लिए ले लिया था। इसलिए इसका 'इंद्रहस्ति' अथवा 'इंद्रकुंजर' नाम भी पड़ा।
- ऐरावत के और भी कई अन्य नाम हैं, जैसे- 'अभ्रमातंग', 'ऐरावण', 'अभ्रभूवल्लभ', 'श्वेतहस्ति', 'मल्लनाग', 'हस्तिमल्ल', 'सदादान', 'सुदामा', 'श्वेतकुंजर', 'गजाग्रणी' तथा 'नागमल्ल'।
- महाभारत, भीष्मपर्व के अष्ट्म अध्याय में भारतवर्ष से उत्तर के भू-भाग को उत्तर कुरु के बदले 'ऐरावत' कहा गया है। जैन साहित्य में भी यही नाम आया है।
- धृतराष्ट्र नामक एक नाग का पैतृक नाम भी ऐरावत था।
- कद्रुपुत्र नागों को भी ऐरावत नाम से पुकारा गया है।
- 'इरा' का अर्थ जल है, अत: 'इरावत' (समुद्र) से उत्पन्न हाथी को ऐरावत नाम दिया गया है। सम्भव है कि परवर्ती भारतीय वाङ्मय में ऐरावत नाग का संबंध इन्द्र के हाथी ऐरावत से जोड़ लिया गया।
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