"पेट -नज़ीर अकबराबादी": अवतरणों में अंतर
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भरे तो इस ख़ुशी में फूल जावे कि गोया बाँझ के तई रह गया पेट । | भरे तो इस ख़ुशी में फूल जावे कि गोया बाँझ के तई रह गया पेट । | ||
जो | जो ख़ाली हो तो दिन को यों करे सुस्त किसी का जैसे दस्तों से चला पेट ।। | ||
बड़ा कोई नहीं दुनिया में यारो मगर कहिए तो सबसे बड़ा पेट । | बड़ा कोई नहीं दुनिया में यारो मगर कहिए तो सबसे बड़ा पेट । |
12:30, 14 मई 2013 के समय का अवतरण
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किसी सूरत नहीं भरता ज़रा पेट, यह कुछ रखता है अब हर्सो हक । |
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