"आओ कि कोई ख़्वाब बुनें -साहिर लुधियानवी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
{{सूचना बक्सा कविता
{{सूचना बक्सा कविता
|चित्र=Sahir-Ludhianvi.jpg
|चित्र=Sahir-Ludhianvi.jpg
|चित्र का नाम=  
|चित्र का नाम=साहिर लुधियानवी
|कवि =साहिर लुधियानवी
|कवि =[[साहिर लुधियानवी]]
|जन्म= [[8 मार्च]], [[1921]]
|जन्म= [[8 मार्च]], [[1921]]
|जन्म स्थान=[[लुधियाना]], [[पंजाब]]
|जन्म स्थान=[[लुधियाना]], [[पंजाब]]

13:08, 23 जून 2013 के समय का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
आओ कि कोई ख़्वाब बुनें -साहिर लुधियानवी
साहिर लुधियानवी
साहिर लुधियानवी
कवि साहिर लुधियानवी
जन्म 8 मार्च, 1921
जन्म स्थान लुधियाना, पंजाब
मृत्यु 25 अक्तूबर, 1980
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
मुख्य रचनाएँ तल्ख़ियाँ (नज़्में), परछाईयाँ (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
साहिर लुधियानवी की रचनाएँ

आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते
वरना ये रात आज के संगीन दौर की
डस लेगी जान-ओ-दिल को कुछ ऐसे कि जान-ओ-दिल
ता-उम्र फिर न कोई हसीं ख़्वाब बुन सकें[1]

गो हम से भागती रही ये तेज़-गाम उम्र
ख़्वाबों के आसरे पे कटी है तमाम उम्र[2]

ज़ुल्फ़ों के ख़्वाब, होंठों के ख़्वाब, और बदन के ख़्वाब
मेराज-ए-फ़न के ख़्वाब, कमाल-ए-सुख़न के ख़्वाब[3]

तहज़ीब-ए-ज़िन्दगी के, फ़रोग़-ए-वतन के ख़्वाब
ज़िन्दाँ के ख़्वाब, कूचा-ए-दार-ओ-रसन के ख़्वाब[4]

ये ख़्वाब ही तो अपनी जवानी के पास थे
ये ख़्वाब ही तो अपने अमल के असास थे
ये ख़्वाब मर गये हैं तो बे-रंग है हयात
यूँ है कि जैसे दस्त-ए-तह-ए-सन्ग है हयात[5]

आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते
वरना ये रात आज के संगीन दौर की
डस लेगी जान-ओ-दिल को कुछ ऐसे कि जान-ओ-दिल
ता-उम्र फिर न कोई हसीं ख़्वाब बुन सकें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संगीन=कठिन; दौर=समय; ता-उम्र=सारी उम्र
  2. तेज़-गाम=तेज़ चलने वाली
  3. मेराज-ए-फ़न=कला की उँचाई तक पहुँचना; कमाल-ए-सुख़न=बेहतरीन कविता
  4. तहज़ीब-ए-ज़िन्दगी=जीने की कला; फ़रोग़-ए-वतन=देश का विकास; ज़िन्दाँ=जीवन; कूचा-ए-दार-ओ-रसन=फ़ाँसी तक जाने वाला रस्ता
  5. अमल=साकार करना; असास= नींव; हयात=जीवन; दस्त-ए-तह-ए-सन्ग=पत्थर के नीचे हाथ दब जाना

संबंधित लेख