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'''भारत का संविधान (62वाँ संशोधन) अधिनियम,1989''' | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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'''भारत का संविधान (62वाँ संशोधन) अधिनियम, 1989''' | |||
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संविधान संशोधन- 62वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
62वाँ संशोधन | 1989 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (62वाँ संशोधन) अधिनियम, 1989
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- संविधान के अनुच्छेद 334 में यह प्रावधान है कि अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों की सीटों के आरक्षण तथा लोकसभा और विधानसभाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के प्रतिनिधित्व से संबंधित व्यवस्था संविधान में लागू होने के 40 वर्ष बाद समाप्त हो जाएगी।
- हालांकि अनुसूचित जातियों और जनजातियों ने गत 40 वर्षों में पर्याप्त प्रगति की है, किंतु संविधान सभा के सामने इस तरह की व्यवस्था बनाते समय जो कारण थे, वे अभी बरकरार हैं।
- इस अधिनियम के द्वारा अनुच्छेद 334 को संशोधित करके यह व्यवस्था की गई कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों का आरक्षण और आंग्ल-भारतीय समुदाय का मनोनयन द्वारा प्रतिनिधित्व अगले 10 वर्षों तक जारी रहेगा।
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