"अहसास का घर -कन्हैयालाल नंदन": अवतरणों में अंतर
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मुझको अहसास का ऐसा घर चाहिए। | मुझको अहसास का ऐसा घर चाहिए। | ||
ज़िंदगी चाहिए मुझको मान भरी, | |||
चाहे कितनी भी हो मुख़्तासर, चाहिए। | चाहे कितनी भी हो मुख़्तासर, चाहिए। | ||
17:09, 30 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
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हर सुबह को कोई दोपहर चाहिए, |
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