"मेवाड़ की झीलें": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "खूबसूरत" to "ख़ूबसूरत")
No edit summary
 
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
|शीर्षक 2=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=[[मेवाड़]] की राजधानी [[उदयपुर]] में निर्मित [[पिछोला झील]] को पन्द्रहवीं सदी में महाराणा लाखा के समकालीन किसी बंजारे ने बनवाया था।  
|अन्य जानकारी=[[मेवाड़]] की राजधानी [[उदयपुर]] में निर्मित [[पिछोला झील]] को पन्द्रहवीं सदी में [[महाराणा लाखा]] के समकालीन किसी बंजारे ने बनवाया था।  
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
|अद्यतन=

10:57, 1 मई 2014 के समय का अवतरण

मेवाड़ विषय सूची
मेवाड़ की झीलें
पिछोला झील, उदयपुर
पिछोला झील, उदयपुर
विवरण रियासत की राजधानी उदयपुर को "झीलों की नगरी" नाम से भी पुकारा जाता है। मेवाड़ में कई झीलें हैं, जहाँ पानी की उपलब्धता बनी रहती है।
राज्य राजस्थान
ज़िला उदयपुर ज़िला
संबंधित लेख पिछोला झील, राजसमन्द झील, जयसमन्द झील, बनास नदी
भौगोलिक स्थिति उत्तरी अक्षांश 25° 58' से 49° 12' तक तथा पूर्वी देशांतर 45° 51' 30' से 73° 7' तक
अन्य जानकारी मेवाड़ की राजधानी उदयपुर में निर्मित पिछोला झील को पन्द्रहवीं सदी में महाराणा लाखा के समकालीन किसी बंजारे ने बनवाया था।

प्रकृति ने अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से भी मेवाड़ को काफ़ी हद तक समृद्धशाली बनाया है। कई नदियों के साथ ही प्राकृतिक तथा कृत्रिम झीलों की दृष्टि से भी मेवाड़ अत्यन्त सम्पन्न है। रियासत की राजधानी उदयपुर को "झीलों की नगरी" नाम से भी पुकारा जाता है। मेवाड़ में कई झीलें हैं, जहाँ पानी की उपलब्धता बनी रहती है।

मुख्य झीलें

मेवाड़ में वैसे तो कई झील हैं, किंतु यहाँ की चार प्रमुख झीलें हैं-

  1. पिछोला
  2. राजसमन्द
  3. जयसमन्द
  4. उदयसागर

पिछोला झील

मेवाड़ की राजधानी उदयपुर में निर्मित पिछोला झील को पन्द्रहवीं सदी में महाराणा लाखा के समकालीन किसी बंजारे ने बनवाया था। इसकी लम्बाई 2.25 मील तथा चौड़ाई 1.5 मील है। सन् 1795 में इस पर बनाया गया बांध टूट गया था, जिससे भारी क्षति हुई थी। इसके अतिरिक्त दो अन्य तालाब 'ग्राम बड़ी' और 'देवाली' के हैं। रियासत के उत्तर और पूर्वी हिस्से, जैसे- घासा, सेंसरा, कपासन, लाखोला, गुरला, मांडल, दरौची, भटेवर और भूताला आदि में भी तालाब हैं।

जयसमन्द झील

जयसमन्द झील

इन झीलों में पिछोला झील सर्वाधिक प्राचीन है तथा जयसमन्द झील मानव निर्मित झीलों में सर्वाधिक विशाल झील है। यह झील महाराणा जयसिंह ने सन 1687 से 1691 ई. (विक्रम संवत 1744 से 1748) के बीच उदयपुर से 32 मील (लगभग 51.2 कि.मी.) की दूरी पर दक्षिण में एक स्थान पर बनवायी थी। झील की लम्बाई 9 मील (लगभग 14.4 कि.मी.) तथा चौड़ाई 6 मील (लगभग 9.6 कि.मी.) है। इसकी अधिकतम गहराई 80 फीट है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 960 फीट है। पहाड़ों के बीच संगमरमर का एक सुन्दर व मजबूत-सा बाँध बनवाया गया था। बाद में सन 1867 में वैकुण्ठवासी महाराणा सज्जन सिंह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। इसके पूर्वी किनारों पर गुम्बदाकार महल हैं तथा मध्य में एक बड़ा मंदिर है, जिसके दोनों तरफ़ झील के अग्निकोण पर पानी का निकास है, जहाँ से एक धारा सोम नदी में जा मिलती है।

राजसमन्द झील

राजसमन्द झील

राजसमन्द झील उदयपुर से लगभग 40 मील (लगभग 64 कि.मी.) की दूरी पर उत्तर की ओर है। इसकी लम्बाई 4 मील (लगभग 6.4 कि.मी.) तथा चौड़ाई 1.75 मील (लगभग 2.8 कि.मी.) है। इसके निर्माण का आरम्भ महाराणा राजसिंह ने सन् 1662 में करवाया तथा यह चौदह वर्षों में यह बनकर तैयार हुई। यह तालाब मैदानी क्षेत्र में पड़ता है, जहाँ पर 'गोमती' नामक एक छोटी-सी नदी 3 मील (लगभग 4.8 कि.मी.) के लम्बे संगमरमर निर्मित अर्द्धवृत्ताकार बाँध से रोकी गई है। बांध पर ही द्वारिकानाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। बांध के ऊपर मण्डपदार गृह है, जिनको 'नौचौकिया' कहा जाता है।

उदयसागर झील

उदयसागर झील उदयपुर से लगभग 6 मील (लगभग 9.6 कि.मी.) की दूरी पर पूरब की ओर है। इसकी लम्बाई 2.5 मील (लगभग 4 कि.मी.) तथा चौड़ाई 2 मील (लगभग 3.2 कि.मी.) है। पानी एक ऊँचे बांध से रुका हुआ है। आहाड़ नदी इस झील का मुख्य जल स्रोत है तथा निकास से बेड़च निकलती है। आस-पास की पहाड़ियाँ घने जंगल से ढकी हुई हैं। इनका प्राकृतिक नज़ारा बड़ा ख़ूबसूरत दिखाई देता है।

बड़ा इमामबाड़ा
उदयपुर नगर का पिछोला झील से विहंगम दृश्य


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख