"रहीम के दोहे": अवतरणों में अंतर
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{{सूचना बक्सा कविता | |||
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|चित्र का नाम=रहीम | |||
|कवि=[[रहीम]] | |||
|जन्म=17 दिसम्बर 1556 ई. | |||
|जन्म स्थान= | |||
|मृत्यु=1627 ई. | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|मुख्य रचनाएँ=रहीम रत्नावली, रहीम विलास, रहिमन विनोद, रहीम 'कवितावली, रहिमन चंद्रिका, रहिमन शतक | |||
|यू-ट्यूब लिंक= | |||
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! रहीम की रचनाएँ | |||
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{{रहीम की रचनाएँ}} | |||
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रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। | रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। | ||
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥ | जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥ | ||
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। | बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 59: | ||
बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय। | बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय। | ||
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥ | औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥ | ||
माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि। | माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि। | ||
पंक्ति 39: | पंक्ति 65: | ||
मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय। | मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय। | ||
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥ | फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥ | ||
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। | जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। | ||
पंक्ति 49: | पंक्ति 74: | ||
जे गरीब सों हित करै, धनि रहीम वे लोग। | जे गरीब सों हित करै, धनि रहीम वे लोग। | ||
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥ | कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥ | ||
गरज आपनी आप सों रहिमन कहीं न जाया। | गरज आपनी आप सों रहिमन कहीं न जाया। | ||
जैसे कुल की कुल वधू पर घर जात लजाया॥ | जैसे कुल की कुल वधू पर घर जात लजाया॥ | ||
एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय। | एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय। | ||
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय॥ | रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय॥ | ||
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि। | आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि। | ||
पंक्ति 64: | पंक्ति 86: | ||
अब रहीम मुसकिल परी, गाढ़े दोऊ काम। | अब रहीम मुसकिल परी, गाढ़े दोऊ काम। | ||
सांचे से तो जग नहीं, झूठे मिलैं न राम॥ | सांचे से तो जग नहीं, झूठे मिलैं न राम॥ | ||
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। | तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। | ||
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥ | कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥ | ||
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। | चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। | ||
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥ | जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥ | ||
खीरा को मुंह काटि के, मलियत लोन लगाय। | खीरा को मुंह काटि के, मलियत लोन लगाय। | ||
पंक्ति 79: | पंक्ति 98: | ||
खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। | खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। | ||
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥ | रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥ | ||
देनहार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन। | देनहार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन। | ||
लोग भरम हम पै धरैं, याते नीचे नैन॥ | लोग भरम हम पै धरैं, याते नीचे नैन॥ | ||
टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार। | टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार। | ||
रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥ | रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥ | ||
छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात। | छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात। | ||
कह ‘रहीम’ हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥ | कह ‘रहीम’ हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥ | ||
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग। | वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग। | ||
पंक्ति 99: | पंक्ति 114: | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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14:53, 26 जुलाई 2014 का अवतरण
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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