"नैनी झील": अवतरणों में अंतर
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नैनी | '''नैनी झील''' [[उत्तराखंड]] के [[कुमाऊँ]] क्षेत्र के [[नैनीताल ज़िला|नैनीताल ज़िले]] में स्थित है। इस झील के तट पर [[नैनीताल]] नगर स्थित है। इस नगर एवं झील का नाम सम्भवतः यहाँ स्थित नैनी देवी के नाम पर पड़ा है। पर्यटकों के लिए यह सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत जगह है। ख़ासतौर से तब जब सूरज की किरणें पूरी झील को अपनी आग़ोश में ले लेती हैं। यह चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरी हुई है। नैनीताल में नौंकायें और पैडलिंग का भी आनंद उठाया जा सकता है। मुख्य शहर से तक़रीबन ढाई किमी दूर बनी नैनी झील तक पहुँचने के लिए केवल कार का इस्तेमाल करना पड़ता है। यह सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। | ||
==स्थिति== | ==स्थिति== | ||
झील के चारों ओर केवल दक्षिण पूर्वी भाग को छोड़कर ऊँचे पहाड़ है। इस ताल की लम्बाई 1500 मीटर, चौड़ाई 42 मीटर और गहराई 30 मीटर है। | झील के चारों ओर केवल दक्षिण पूर्वी भाग को छोड़कर ऊँचे पहाड़ है। इस ताल की लम्बाई 1500 मीटर, चौड़ाई 42 मीटर और गहराई 30 मीटर है। | ||
==नैनी झील का निर्माण== | |||
कुमाऊं विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय एवं भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष भूगर्भ वेत्ता प्रो. सी. सी. पंत ने देश के सुप्रसिद्ध भूवेत्ता प्रो. खड़ग सिंह वल्दिया की पुस्तक जियोलोजी एंड नैचुरल इनविरोमेंट ऑफ़ हिल्स, कुमाऊँ हिमालय (Geology and Natural Environment of Nainital Hills, Kumaon Himalaaya) के आधार पर बताया कि नैनीताल कभी नदी घाटी रहा होगा, इसमें उभरा नैनीताल फाल्ट नैनी झील की उत्पत्ति का कारण बना, जिसके कारण नदी का उत्तर पूर्वी भाग, दक्षिण पश्चिमी भाग के सापेक्ष ऊपर उठ गया। इस प्रकार भ्रंशों के द्वारा पुराने जल प्रवाह के रुकने तथा वर्तमान शेर का डांडा व अयारपाटा नाम की पहाड़ियों के बीच गुजरने वाले भ्रंश की हलचल व भू-धंसाव से तल्लीताल डांठ के पास नदी अवरुद्ध हो गई, और करीब 40 हजार वर्ष पूर्व नैनी झील की उत्पत्ति हुई होगी। जनपद की अन्य झीलें भी इसी नदी घाटी का हिस्सा थीं, और इसी कारण उन झीलों का निर्माण भी हुआ होगा। नैना पीक चोटी इस नदी का उद्गम स्थल था। नैनी झील सहित इन झीलों के अवसादों के रेडियोकार्बन विधि से किये गये अध्ययन से भी यह आयु तथा इन सभी झीलों के क़रीब एक ही समय उत्पत्ति की पुष्टि भी हो चुकी है। प्रो. पंत बताते हैं कि नैनीताल की चट्टानें चूना पत्थर की बनी हुई हैं। चूना पत्थर के लगातार पानी में घुलते जाने से विशाल पत्थरों के अंदर गुफ़ानुमा आकृतियाँ बन जाती हैं, जिसे नगर में देखा जा सकता है। वहीं कई बार गुुफ़ाओं के धंस जाने से भी झील बन जाती हैं। प्रो. पंत बताते हैं कि खुर्पाताल झील इसी प्रकार गुफाओं के धंसने से बनी है। कुछ पुराने वैज्ञानिक नैनी झील की कारक प्राचीन नदी का [[हिमनद|हिमनदों]] से उद्गम भी मानते हैं, पर प्रो. पंत कहते हैं कि यहां हिमनदों के कभी होने की पुष्टि नहीं होती है। लेकिन प्रो. पंत यह दावा जरूर करते हैं कि यहां की सभी झीलें भ्रंशों के कारण ही बनी हैं।<ref name="NJB">{{cite web |url=http://navinjoshi1.wordpress.com/2014/07/07/nainital/ |title=नैनीताल और नैनी झील के कई जाने-अनजाने पहलू |accessmonthday=18 नवम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नवीन जोशी (ब्लॉग) |language=हिन्दी }}</ref> | |||
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पर्यटकों के लिए यह सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत जगह है। ख़ासतौर से जब सूरज की किरणें पूरी झील को अपनी आग़ोश में ले लेती हैं। | पर्यटकों के लिए यह सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत जगह है। ख़ासतौर से जब सूरज की किरणें पूरी झील को अपनी आग़ोश में ले लेती हैं। | ||
*यह चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरी हुई है। | *यह चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरी हुई है। | ||
*नैनीताल में नौंकायें और पैडलिंग का भी आनंद उठाया जा सकता है। मुख्य शहर से तक़रीबन ढाई किमी दूर बनी नैनी झील तक पहुँचने के लिए केवल कार का इस्तेमाल करना पड़ता है। | *नैनीताल में नौंकायें और पैडलिंग का भी आनंद उठाया जा सकता है। मुख्य शहर से तक़रीबन ढाई किमी दूर बनी नैनी झील तक पहुँचने के लिए केवल कार का इस्तेमाल करना पड़ता है। | ||
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*इस झील में कई प्रकार की मछलियाँ भी है। | *इस झील में कई प्रकार की मछलियाँ भी है। | ||
*इस झील में नौका विहार बहुत किया जाता है। | *इस झील में नौका विहार बहुत किया जाता है। | ||
==सर्वाधिक बोझ वाली झील== | |||
नैनी झील का कुल क्षेत्रफल 44.838 हैक्टेयर यानी 0.448 वर्ग किमी यानी आधे वर्ग किमी से भी कम है। इसमें 5.66 वर्ग किमी जलागम क्षेत्र से पानी (और गंदगी भी) आती है। जबकि इस छोटी सी झील पर नगर पालिका के 11.68 वर्ग किमी और केंटोनमेंट बोर्ड के 2.57 वर्ग किमी मिलाकर 14.25 वर्ग किमी क्षेत्रफल की जिम्मेदारी है। इसमें नगर की 80 फीसदी जनसंख्या इसके जलागम क्षेत्र यानी 5.66 वर्ग किमी क्षेत्र में ही रहती है। यानी नगर के 14.25 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले शहर की 80 प्रतिशत जनंसख्या इसके जलागम क्षेत्र 5.66 वर्ग किमी में रहती है, इसमें सीजन में हर रोज एक लाख से अधिक लोग पर्यटकों के रूप में भी आते हैं, और यह समस्त जनसंख्या किसी न किसी तरह से मात्र 0.448 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली झील पर निर्भर रहती है। इतने बड़े बोझ को झेल रही यह दुनिया की अपनी तरह की इकलौती झील है।<ref name="NJB"/> | |||
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13:41, 18 नवम्बर 2014 का अवतरण
नैनी झील
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नाम | नैनी झील |
प्रकार | प्राकृतिक वर्षा का जल |
देश | भारत |
राज्य | जम्मू और कश्मीर |
नगर/ज़िला | नैनीताल |
निर्देशांक | 29.4 उत्तर - 79.47 पूर्व |
अधिकतम लंबाई | 1500 मीटर (लगभग) |
अधिकतम गहराई | 42 मीटर (लगभग) |
अधिकतम चौड़ाई | 30 मीटर (लगभग) |
सतह की ऊँचाई | 1940 मीटर (लगभग) |
गूगल मानचित्र | गूगल मानचित्र |
अन्य जानकारी | मुख्य शहर से तक़रीबन ढाई किमी दूर बनी नैनी झील तक पहुँचने के लिए केवल कार का इस्तेमाल करना पड़ता है। |
अद्यतन | 16:16, 21 नवम्बर 2011 (IST)
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नैनी झील उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र के नैनीताल ज़िले में स्थित है। इस झील के तट पर नैनीताल नगर स्थित है। इस नगर एवं झील का नाम सम्भवतः यहाँ स्थित नैनी देवी के नाम पर पड़ा है। पर्यटकों के लिए यह सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत जगह है। ख़ासतौर से तब जब सूरज की किरणें पूरी झील को अपनी आग़ोश में ले लेती हैं। यह चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरी हुई है। नैनीताल में नौंकायें और पैडलिंग का भी आनंद उठाया जा सकता है। मुख्य शहर से तक़रीबन ढाई किमी दूर बनी नैनी झील तक पहुँचने के लिए केवल कार का इस्तेमाल करना पड़ता है। यह सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है।
स्थिति
झील के चारों ओर केवल दक्षिण पूर्वी भाग को छोड़कर ऊँचे पहाड़ है। इस ताल की लम्बाई 1500 मीटर, चौड़ाई 42 मीटर और गहराई 30 मीटर है।
नैनी झील का निर्माण
कुमाऊं विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय एवं भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष भूगर्भ वेत्ता प्रो. सी. सी. पंत ने देश के सुप्रसिद्ध भूवेत्ता प्रो. खड़ग सिंह वल्दिया की पुस्तक जियोलोजी एंड नैचुरल इनविरोमेंट ऑफ़ हिल्स, कुमाऊँ हिमालय (Geology and Natural Environment of Nainital Hills, Kumaon Himalaaya) के आधार पर बताया कि नैनीताल कभी नदी घाटी रहा होगा, इसमें उभरा नैनीताल फाल्ट नैनी झील की उत्पत्ति का कारण बना, जिसके कारण नदी का उत्तर पूर्वी भाग, दक्षिण पश्चिमी भाग के सापेक्ष ऊपर उठ गया। इस प्रकार भ्रंशों के द्वारा पुराने जल प्रवाह के रुकने तथा वर्तमान शेर का डांडा व अयारपाटा नाम की पहाड़ियों के बीच गुजरने वाले भ्रंश की हलचल व भू-धंसाव से तल्लीताल डांठ के पास नदी अवरुद्ध हो गई, और करीब 40 हजार वर्ष पूर्व नैनी झील की उत्पत्ति हुई होगी। जनपद की अन्य झीलें भी इसी नदी घाटी का हिस्सा थीं, और इसी कारण उन झीलों का निर्माण भी हुआ होगा। नैना पीक चोटी इस नदी का उद्गम स्थल था। नैनी झील सहित इन झीलों के अवसादों के रेडियोकार्बन विधि से किये गये अध्ययन से भी यह आयु तथा इन सभी झीलों के क़रीब एक ही समय उत्पत्ति की पुष्टि भी हो चुकी है। प्रो. पंत बताते हैं कि नैनीताल की चट्टानें चूना पत्थर की बनी हुई हैं। चूना पत्थर के लगातार पानी में घुलते जाने से विशाल पत्थरों के अंदर गुफ़ानुमा आकृतियाँ बन जाती हैं, जिसे नगर में देखा जा सकता है। वहीं कई बार गुुफ़ाओं के धंस जाने से भी झील बन जाती हैं। प्रो. पंत बताते हैं कि खुर्पाताल झील इसी प्रकार गुफाओं के धंसने से बनी है। कुछ पुराने वैज्ञानिक नैनी झील की कारक प्राचीन नदी का हिमनदों से उद्गम भी मानते हैं, पर प्रो. पंत कहते हैं कि यहां हिमनदों के कभी होने की पुष्टि नहीं होती है। लेकिन प्रो. पंत यह दावा जरूर करते हैं कि यहां की सभी झीलें भ्रंशों के कारण ही बनी हैं।[1]
पर्यटन
पर्यटकों के लिए यह सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत जगह है। ख़ासतौर से जब सूरज की किरणें पूरी झील को अपनी आग़ोश में ले लेती हैं।
- यह चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरी हुई है।
- नैनीताल में नौंकायें और पैडलिंग का भी आनंद उठाया जा सकता है। मुख्य शहर से तक़रीबन ढाई किमी दूर बनी नैनी झील तक पहुँचने के लिए केवल कार का इस्तेमाल करना पड़ता है।
- यह सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले टूरिस्ट स्थलों में से एक है।
- यह झील अत्यन्त मनोरम एवं नैसर्गिक सौंदर्य उपस्थित करती है।
- इस झील में कई प्रकार की मछलियाँ भी है।
- इस झील में नौका विहार बहुत किया जाता है।
सर्वाधिक बोझ वाली झील
नैनी झील का कुल क्षेत्रफल 44.838 हैक्टेयर यानी 0.448 वर्ग किमी यानी आधे वर्ग किमी से भी कम है। इसमें 5.66 वर्ग किमी जलागम क्षेत्र से पानी (और गंदगी भी) आती है। जबकि इस छोटी सी झील पर नगर पालिका के 11.68 वर्ग किमी और केंटोनमेंट बोर्ड के 2.57 वर्ग किमी मिलाकर 14.25 वर्ग किमी क्षेत्रफल की जिम्मेदारी है। इसमें नगर की 80 फीसदी जनसंख्या इसके जलागम क्षेत्र यानी 5.66 वर्ग किमी क्षेत्र में ही रहती है। यानी नगर के 14.25 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले शहर की 80 प्रतिशत जनंसख्या इसके जलागम क्षेत्र 5.66 वर्ग किमी में रहती है, इसमें सीजन में हर रोज एक लाख से अधिक लोग पर्यटकों के रूप में भी आते हैं, और यह समस्त जनसंख्या किसी न किसी तरह से मात्र 0.448 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली झील पर निर्भर रहती है। इतने बड़े बोझ को झेल रही यह दुनिया की अपनी तरह की इकलौती झील है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 नैनीताल और नैनी झील के कई जाने-अनजाने पहलू (हिन्दी) नवीन जोशी (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 18 नवम्बर, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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